मधुमक्खी निगलने से गई संजय कपूर की जान? विशेषज्ञों से जान‍िए- कैसे ये हो सकता है घातक 

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जाने-माने उद्योगपति और अभिनेत्री करिश्मा कपूर के पूर्व पति संजय कपूर की अचानक हुई मौत ने सभी को चौंका दिया है. संजय कपूर का निधन 12 जून, 2025 को इंग्लैंड में एक पोलो मैच के दौरान हुआ. शुरुआती रिपोर्ट्स में कहा गया कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई लेकिन बाद में एक हैरान करने वाला दावा सामने आया कि संजय कपूर ने पोलो खेलते समय गलती से एक मधुमक्खी निगल ली थी, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई. क्या वाकई एक मधुमक्खी निगलने से दिल का दौरा पड़ सकता है? आइए, विशेषज्ञों से जानते हैं. 

मधुमक्खी निगलने से कैसे पड़ सकता है दिल का दौरा

सर गंगाराम हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. एम. वली ने aajtak.in को बताया कि संजय कपूर का मामला सामने आया है. हो सकता है कि मधुमक्खी निगलने के दौरान उनकी जीभ पर डंक मार गया हो. जीभ हमारे शरीर की एक अत्यंत संवेदनशील और रक्तवाहिकाओं से भरी संरचना है. अगर जीभ पर डंक लगता है, तो मधुमक्खी का जहर तुरंत खून में मिल सकता है. यह जहर एक ऐसी प्रक्रिया को शुरू कर सकता है जिसे हम एलर्जिक रिएक्शन कहते हैं. 

डॉ. वली ने आगे बताया कि आम तौर पर एलर्जिक रिएक्शन हल्का हो सकता है जैसे कि त्वचा पर खुजली या लाल चकत्ते हो सकते हैं. लेकिन कुछ लोग जो एलर्जी के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं, उनमें यह रिएक्शन बेहद गंभीर हो सकता है जिसे मेडिकल भाषा में एनाफिलैक्सिस (Anaphylaxis) कहा जाता है. ये स्थिति इतनी गंभीर हो सकती है कि यह सांस की नली में सूजन, रक्तचाप में अचानक गिरावट और यहां तक कि कार्डियक अरेस्ट या दिल का दौरा भी पैदा कर सकती है. 

क्या कहते हैं अन्य विशेषज्ञ

इस मामले में कई अन्य विशेषज्ञों ने भी अपनी राय दी है. बेंगलुरु के किम्स हॉस्पिटल के सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. दीपक कृष्णमूर्ति ने इसे एक दुर्लभ स्थिति 'कौनिस सिंड्रोम' (Kounis Syndrome) से जोड़ा है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि यह एक दुर्लभ मामला है. कौनिस सिंड्रोम एक गंभीर एलर्जिक रिएक्शन है जो दिल का दौरा पैदा कर सकता है. संजय कपूर ने पोलो खेलते समय मधुमक्खी निगल ली थी जिसके बाद उनके गले में डंक मारने से संभव है कि एनाफिलैक्सिस और मायोकार्डियल इंफार्क्शन (दिल का दौरा) हुआ जिसके परिणामस्वरूप कार्डियक अरेस्ट हुआ. 

एक एक्सपर्ट ने बताया कि मधुमक्खी का जहर एक जाना-माना एलर्जन है. अगर ये जहर मुंह या गले में डंक मारने के कारण रक्तप्रवाह में प्रवेश करता है तो यह सांस की नली में सूजन, रक्तचाप में तेज गिरावट और सांस रुकने जैसी स्थिति पैदा कर सकता है. ये एक मेडिकल इमरजेंसी है. 

क्या है Kounis Syndrome?

ये सिंड्रोम एक दुर्लभ चिकित्सीय स्थिति है जिसे पहली बार 1991 में परिभाषित किया गया था. यह तब होता है जब कोई एलर्जिक रिएक्शन जैसे कि मधुमक्खी के डंक, दवा या खाद्य पदार्थ से एलर्जी, दिल की समस्याओं को ट्रिगर करता है. डॉ. दीपक कृष्णमूर्ति के अनुसार इस स्थिति में शरीर का इम्यून सिस्टम मास्ट सेल्स को सक्रिय करता है जो हिस्टामाइन और साइटोकाइन्स जैसे रसायनों को रिलीज करता है. ये रसायन कोरोनरी धमनियों में ऐंठन पैदा कर सकते हैं जिससे हृदय में रक्त प्रवाह कम हो जाता है और दिल का दौरा पड़ सकता है. 

मधुमक्खी का डंक कितना खतरनाक

मधुमक्खी का डंक आम तौर पर हल्की जलन, सूजन या खुजली का कारण बनता है. लेकिन अगर डंक गले या मुंह के अंदर लगता है तो यह ज्यादा खतरनाक हो सकता है. मेलबर्न यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के अनुसार मधुमक्खी का जहर प्रोटीन और रसायनों का एक शक्तिशाली मिश्रण होता है जो कुछ लोगों में गंभीर एलर्जिक रिएक्शन को ट्रिगर कर सकता है. अगर डंक सांस की नली में लगता है तो यह सूजन के कारण सांस लेने में रुकावट पैदा कर सकता है जिससे ऑक्सीजन की कमी और हृदय पर दबाव बढ़ सकता है. 

ऐसे हालात में क्या करें 

विशेषज्ञों का कहना है कि मधुमक्खी के डंक की स्थिति में तुरंत कार्रवाई जरूरी है. डंक को 30 सेकंड के भीतर हटा देना चाहिए ताकि जहर का प्रभाव कम हो. अगर गले में डंक लगा हो या सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना या तेज सूजन जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत मेडिकल मदद लें. गौरतलब है कि संजय कपूर के एक पर‍िचति के अलावा अभी उनके परिवार या उनकी कंपनी ने अभी तक मधुमक्खी निगलने की बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार है. लेक‍िन इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि मधुमक्खी का डंक, खासकर गले जैसे संवेदनशील हिस्से में कितना घातक हो सकता है. 

ये सावधानी बरतना जरूरी 

बाहर खुले पेय पदार्थों से बचें, खासकर फूलों वाले क्षेत्रों में खुले ड्रिंक्स पीने से कीड़े मुंह में जा सकते हैं. 
एलर्जी की जानकारी रखें, जिन्हें कीटों से एलर्जी है, उन्हें मेडिकल अलर्ट ब्रेसलेट पहनना चाहिए और एमरजेंसी दवाएं साथ रखनी चाहिए.  
अगर सांस लेने में तकलीफ, चक्कर या सूजन जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत अस्पताल पहुंचें. ऐसे मामले में लापरवाही न करें. 

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