अमेरिका में एक शख्स पर दो महिला ने रेप का आरोप लगाया था. उस शख्स ने जेल जाने से बचने के लिए पहले खुद के मरने की झूठी खबर फैलाई और फिर गायब हो गया. कई साल बाद वह स्कॉटलैंड के एक अस्पताल से पकड़ा गया, जहां वह नाम बदलकर रह रहा था.
डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, निकोलस रॉसी ने रेप के आरोपों से बचने के लिए अपनी मौत का नाटक किया और स्कॉटलैंड भाग गया. वह जेल जाना नहीं चाहता था. इसलिए नाम बदलकर विदेश में रह रहा था. अब उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. अब जाकर अदालत में सुनवाई के बाद उसे सजा सुनाई गई है.
2008 में एक महिला के साथ किया था रेप
अमेरिकी राज्य रोड आइलैंड के 38 साल के निकोलस रॉसी को 2008 में उत्तरी यूटा में दो महिलाओं के साथ बलात्कार के लिए पांच साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. उन्हें नवंबर में दूसरी सजा भी मिलनी तय थी, क्योंकि उन्हें अगस्त और सितंबर में क्रमशः प्रत्येक अपराध के लिए अलग-अलग दोषी ठहराया गया था.
अब अनिश्चित अवधि के लिए सुनाई गई सजा
अब यूटा के साल्ट लेक सिटी में हुई सुनवाई में उसे 'अनिश्चित' अवधि की सजा सुनाई गई. इसमें वर्षों की सीमा तय नहीं की जाती है. इसलिए उसकी अंतिम रिहाई की तारीख राज्य पैरोल बोर्ड तय करेगा - और उसे अभी भी आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है.
रेप की सजा से बचने के लिए फैलाई मौत की झूठी खबर
रॉसी, जिसका कानूनी नाम निकोलस अलाहवेर्डियन है, उसकी पहचान पहली बार 2018 में एक महिला से रेप करने वाले आरोपी के रूप में हुई थी. जब एक दशक पुरानी डीएनए रेप किट की जांच की गई थी. फरवरी 2020 में रेप के एक अन्य मामले में उस पर आरोप लगाए गए.
दूसरे रेप के मामले में आरोपी बनने के कुछ ही महीनों बाद, उसकी मौत से जुड़ा एक आर्टिकल ऑनलाइन पब्लिश किया गया. इसमें दावा किया गया कि उसकी मृत्यु लिंफोमा से हो गई थी. वास्तव में वह जिंदा था और अमेरिका से भागकर कुछ समय तक इंग्लैंड के दक्षिण-पश्चिम में ब्रिस्टल में रह रहा था - लेकिन वह अमेरिका से ब्रिटेन कब भागा, यह स्पष्ट नहीं है.
टैटू की वजह से पकड़ा गया आरोपी
ब्रिस्टल से वह स्कॉटलैंड पहुंच गया, जहां वह दिसंबर 2021 तक गुमनाम रहा. जब तक कि उसे ग्लासगो के क्वीन एलिजाबेथ यूनिवर्सिटी अस्पताल से गिरफ्तार नहीं कर लिया गया. वह अस्पताल में कोविड का इलाज कराने के लिए भर्ती हुआ था.
अस्पताल में कोविड का इलाज कराते समय स्टाफ ने उसके एक विशिष्ट टैटू को पहचान लिया और अधिकारियों को इसकी सूचना दे दी. तब रॉसी ने दावा किया कि वह आर्थर नाइट नामक एक आयरिश अनाथ है, जिसे फंसाया जा रहा है. पुलिस उसे गिरफ्तार कर गलती कर रही है, क्योंकि वह आरोपी शख्स नहीं है.
कई वर्षों तक नाम बदल-बदल कर छुपता फिर रहा था रॉसी
नवंबर 2022 में काफी जांच-पड़ताल के बाद इस बात की पुष्टि हो गई कि अस्पताल से से गिरफ्तार व्यक्ति वास्तव में निकोलस रॉसी ही था और लंबी अदालती लड़ाई के बाद, उसे अंततः पिछले साल जनवरी में अमेरिका प्रत्यर्पित कर दिया गया.
अदालत में सुनवाई के बाद यह बात सामने आई कि उसने वर्षों से पकड़े जाने से बचने के लिए एक दर्जन से अधिक नामों का प्रयोग किया था. वह अलग-अलग जगह नाम बदलकर रहता था. इसमें आर्थर ब्राउन नाम भी शामिल था, जो उन्होंने ब्रिटिश महिला मिरांडा नाइट से विवाह के बाद रखा था.
दो महिलाओं ने लगाए रेप के आरोप
ऐसा माना जाता है कि उनकी मुलाकात ब्रिस्टल में हुई थी, उसके बाद दोनों ग्लासगो चले गए. अगस्त में गवाही देते समय उन पर आरोप लगाने वालों में से एक ने कहा था कि रॉसी ने अपने पीछे भय, दर्द और विनाश के निशान छोड़े हैं.
अदालत में अभियोजक ब्रैंडन सिमंस ने कहा कि रॉसी महिलाओं को नियंत्रित करने के लिए उनका रेप करता है और वह जनता की सुरक्षा के लिए खतरा है. वहीं रॉसी ने अपनी बेगुनाही का दावा करते हुए सज़ा सुनाए जाने के दौरान कहा कि मैं इसमें दोषी नहीं हूं ये महिलाएं झूठ बोल रही हैं.
जिससे सगाई होने वाली थी उसी से किया रेप
जिन दो महिलाओं के साथ बलात्कार का आरोप उस पर लगाया गया था, उनमें से एक महिला की उससे पहली मुलाकात तब हुई थी जब उसने विज्ञापन वेबसाइट क्रेगलिस्ट पर उसके द्वारा की गई पोस्ट पर प्रतिक्रिया दी थी.
फिर दोनों ने डेटिंग शुरू कर दी और कुछ ही हफ्तों में उनकी सगाई हो गई।. महिला ने गवाही दी कि उसने उससे पैसे उधार मांगे थे. कार की मरम्मत के लिए और शादी की अंगूठियां खरीदने के लिए कर्ज लिया था. उसने अदालत को बताया कि एक रात उसे घर छोड़ने के बाद उसने अपने बेडरूम में उसके साथ रेप किया था.
कई वर्षों बाद उसने पुलिस को इसकी सूचना दी. जब उसे पता चला कि यूटा में एक अन्य महिला ने भी उस पर इसी तरह के अपराध का आरोप लगाया था.
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