बिहार विधानसभा चुनाव में महिला वोट बैंक को लुभाने के लिए एनडीए और महागठबंधन के बीच जबरदस्त होड़ देखने को मिल रही है. दोनों गठबंधनों ने महिलाओं को अपने पक्ष में लामबंद करने के लिए कई योजनाओं और वादों की झड़ी लगा दी, लेकिन टिकट बंटवारे में महिला उम्मीदवारों को दी गई हिस्सेदारी ने सवाल खड़े कर दिए हैं.
चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने महिलाओं के लिए कई योजनाएं लागू कीं. मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना शुरू की गई, जिसके तहत जीविका दीदियों को स्वरोजगार के लिए 10-10 हजार रुपये की राशि दी गई. अब तक 1.21 करोड़ महिलाओं के खाते में 10 हजार रुपये ट्रांसफर किए जा चुके हैं. वहीं, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने चुनाव से पहले आंगनबाड़ी सेविकाओं और रसोइयों का मानदेय भी बढ़ाया.
दूसरी ओर, नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना का तोड़ निकालने के लिए महागठबंधन में शामिल राजद के नेता तेजस्वी यादव ने जीविका दीदियों को स्थायी नौकरी और 30 हजार रुपये मासिक वेतन का वादा किया है. उन्होंने इससे पहले बिहार के हर परिवार में एक सरकारी नौकरी का वादा भी किया था.
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टिकट बंटवारे में महिलाओं की हिस्सेदारी
महिला वोटर्स को साधने की कोशिशों के बावजूद उन्हें दोनों ही प्रमुख गठबंधनों द्वारा टिकट बंटवारे में ज्यादा तरजीह नहीं दी गई है. आरजेडी ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 24 महिलाओं को टिकट दिया है, जो कुल उम्मीदवारों का 16% से थोड़ा अधिक है. हालांकि, मोहनियां से राजद की एक महिला उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया है. कांग्रेस ने 61 उम्मीदवारों में से 5 महिलाओं को टिकट दिया है, जो 8% से अधिक हिस्सेदारी है.
जेडीयू और बीजेपी ने अपने 101-101 उम्मीदवारों में से 13-13 महिलाओं को मैदान में उतारा, यानी दोनों ने 13% हिस्सेदारी दी है. एनडीए के सहयोगी चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टियों ने कुल 6 महिला उम्मीदवारों को मौका दिया है. कुशवाहा ने अपनी पत्नी स्नेहलता को टिकट दिया, जबकि चिराग की पार्टी एलजेपीआर की एक महिला उम्मीदवार सीमा सिंह का मढ़ौरा सीट से नामांकन रद्द हो गया है. जीतन राम मांझी की पार्टी ने 6 सीटों में से 2 महिलाओं को टिकट दिया, लेकिन दोनों उनके परिवार या रिश्तेदार हैं.
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NDA और महागठबंधन में महिला प्रत्याशी
एनडीए ने 243 सीटों में से 35 पर महिला उम्मीदवार उतारे हैं, जो 14 फीसदी होता है. लेकिन कोई भी गठबंधन या घटक दल 33% महिला आरक्षण की नीति को लागू नहीं कर पाया है. वहीं महागठबंधन में राजद और कांग्रेस ने अब तक जिन 204 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया है, उनमें से 29 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को टिकट मिला है. आंकड़े बताते हैं कि बिहार विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या लगातार कम हो रही है.
मौजूदा विधानसभा में 23 महिला विधायक हैं, जो कुल सीटों का 10.70% है. इसके पहले 2015 के चुनाव में 28 महिला विधायक चुनकर बिहार विधानसभा में पहुंची थीं, जो कुल सीटों का 11% है. अगर 2010 के चुनाव की बात करें तो सबसे ज्यादा 34 महिला विधायक चुनी गई थीं, जो 243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा का 14% है.
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