राज और उद्धव के साथ आने पर संजय राउत को शक है या इमोशनल अत्याचार कर रहे हैं?

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शिवसेना का एक टुकड़ा पुराने तेवर में लौट आया है. ये छोटा टुकड़ा है. बड़ा टुकड़ा तो महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के पास है. बाकी बची जमीन पर उद्धव ठाकरे काबिज हैं, और थक हार कर अपने चचेरे भाई राज ठाकरे से हाथ मिला चुके हैं. 

राज ठाकरे के तेवर तो शुरू से ही आक्रामक रहे हैं, अब उद्धव ठाकरे भी उसी रास्ते पर चल पड़े हैं, जिससे एक जमाने में यू टर्न ले लिया था. और, शिवसेना को इतना बदल डाला कि उसके दो टुकड़े हो गये, उद्धव ठाकरे देखकर हाथ मलते रह गये. 

पालघर में एक ऑटोरिक्शा वाले को सरेआम पीटने का वीडियो वायरल हुआ है. ये हमला ऑटो वाले के हिंदी बोलने और मराठी नहीं बोलने पर हुआ है. मुद्दे की बात ये है कि विरार शहर के शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उदय जाधव ने हमले को सही ठहराया है. कहते हैं, अगर कोई मराठी भाषा, महाराष्ट्र या मराठी मानुष का अपमान करेगा, तो उसे शिवसेना स्टाइल में जवाब मिलेगा.

राज ठाकरे पर भी ऐसी ही भाषा बोलने का ताजा आरोप लगा है. बॉम्बे हाई कोर्ट के तीन सीनियर वकीलों ने महाराष्ट्र के डीजीपी को पत्र लिखकर राज ठाकरे के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है. पत्र में राज ठाकरे के कथित भड़काऊ भाषण की भी जांच कराने की मांग की गई है - और भड़काऊ बयानों के लिए राज ठाकरे पर NSA लगाने की मांग की भी की गई है.

शिकायती पत्र में लिखा है, 5 जुलाई को मुंबई के वर्ली में एक कार्यक्रम के दौरान राज ठाकरे ने कहा था, 'जो भी हमसे गलत भाषा में बात करेगा उसे एक मिनट में चुप करा देंगे.'

मराठी मानुष शिवसेना का पुराना मुद्दा रहा है. अब मराठी भाषा के मुद्दे पर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे अब साथ आ गये हैं. हालांकि, शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत दोनों भाइयों के मिलने को अभी राजनीतिक गठबंधन नहीं मानते. संजय राउत ने अपने मन की बात सामना में लिखी है. 

ठाकरे बंधुओं का साथ आना

राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे के साथ आते ही सत्ताधारी महायुति, विशेषकर बीजेपी पर हमला बोल दिया. कहा, आप विधानसभा में शासन कर सकते हैं लेकिन सड़क पर शासन हमारा होगा.

उद्धव ठाकरे ने भी उसी अंदाज में ललकारते हुए कहा, हम साथ आए हैं... और साथ रहेंगे... हम साथ में एमसीडी पर कब्जा करेंगे, और फिर महाराष्ट्र पर.

शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे का 2012 में निधन हुआ था. उससे छह साल पहले ही राज ठाकरे ने परिवार और पार्टी से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई थी. चुनावी शुरुआत तो ठीक ठाक ही रही, लेकिन अब विधानसभा में एमएनएस का अकाउंट जीरो बैलेंस पर पहुंच गया है. राज ठाकरे पिछले चुनाव में अपने बेटे को भी नहीं जिता पाये.  

बाल ठाकरे के निधन के करीब 13 साल बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का मन बदला है. ऐसे संकेत तो कुछ दिन पहले से ही मिलने लगे थे. एक शादी में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे की अच्छी मुलाकात हुई थी. बाल ठाकरे के बाद बीजेपी ने दबाव बढ़ाया तो उद्धव ठाकरे बर्दाश्त नहीं कर पाये. नये छोर से नये साथियों के साथ मुकाबले की कोशिश किये तो पार्टी का नाम और निशान दोनों ही हाथ से निकल गये. 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन और राजनीतिक अस्तित्व की मुश्किल होती लड़ाई ने दोनों भाइयों को साथ ला तो दिया है, लेकिन चुनौतियां बहुत ज्यादा हैं. ये चुनौतियां भी सिर्फ बाहरी नहीं, आपसी भी हैं. 

साथ खड़े हुए, आगे भी बढ़ेंगे क्या?

सब कुछ लुट जाने के बावजूद शिवसेना मुखपत्र सामना उद्धव ठाकरे के पास ही है. उद्धव ठाकरे के साथी सांसद संजय राउत ने सामना में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच राजनीतिक गठबंधन के बेहद जरूरी बताया है - लेकिन उनके जिक्र का अंदाज संदेह पैदा करने वाला लगता है. 

संजय राउत का कहना है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे साथ आए हैं, लेकिन अभी गठबंधन नहीं हुआ है - तो, क्या संजय राउत को ठाकरे बंधुओं के राजनीतिक गठबंधन पर कोई शक शुबहा है? 

संजय राउत लिखते हैं, 'दोनों ठाकरे साथ आए हैं, इससे मराठी लोगों में भरोसा जगा है... लेकिन, इसका मतलब ये नहीं है कि महाराष्ट्र और मराठी लोगों की सारी मुश्किलें तत्काल खत्म हो जाएंगी... दोनों ठाकरे हिंदी को जरूरी करने के खिलाफ साथ आए हैं... मगर, अभी तक उनका राजनीतिक गठबंधन नहीं हुआ है. ये गठबंधन जरूरी है, तभी महाराष्ट्र को एक नई दिशा मिलेगी... दिल्ली और महाराष्ट्र के मौजूदा शासक मराठी एकता से डर गए हैं... वे इस गठबंधन को रोकने की कोशिश करेंगे.'

सवाल ये है कि जब राज ठाकरे चचेरे भाई के साथ मंच पर आकर और मिलकर लड़ने की बात कर रहे हैं, तो संजय राउत को संदेह क्यों हो रहा है? 

आखिर संजय राउत को बीजेपी के खतरनाक मंसूबे का डर है, या किसी तरह के दबाव या लालच में राज ठाकरे के मन बदल जाने का? 

संजय राउत की बातों से तो लगता है जैसे राज ठाकरे को चैलेंज कर रहे हों. बल्कि, कठघरे में ही खड़ा कर दे रहे हों. संजय राउत का दावा है क राज ठाकरे जल्दी ही देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे से अपनी मुलाकातों के बारे में बताएंगे. वो इन मुलाकातों पर सफाई देंगे.

ये सब जानकारी तो राज ठाकरे की तरफ से आनी चाहिये थी. उद्धव ठाकरे के बारे में बताने के लिए तो संजय राउत अधिकृत भी है, लेकिन राज ठाकरे का पक्ष रखने के लिए तो एमएनएन कार्यकर्ता हैं ही.

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