रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ FIR

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वाराणसी में पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है. पुलिस ने यह एफआईआर मंगलवार को कैंटोनमेंट थाने में दर्ज की. यह कार्रवाई अदालत के आदेश पर की गई है.

क्या है मामला?
कैंटोनमेंट थाने के SHO शिवकांत मिश्रा ने बताया कि केस भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295 (धार्मिक स्थल को अपमानित करने का इरादा), 298 (धार्मिक भावनाएं आहत करने वाले शब्द कहना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान), 505(2) (विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने वाले बयान) और 153ए (समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना) के तहत दर्ज किया गया है.

किस बयान पर हुआ विवाद?
याचिकाकर्ता एडवोकेट अशोक कुमार ने अदालत में दायर शिकायत में कहा कि 22 जनवरी 2023 को एक टीवी इंटरव्यू के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस और इसके लेखक गोस्वामी तुलसीदास के बारे में आपत्तिजनक बातें कहीं थीं. मौर्य ने कहा था, “करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते, यह सब बकवास है. तुलसीदास ने रामचरितमानस अपनी खुशी के लिए लिखा था.”

इतना ही नहीं, उन्होंने सरकार से मांग की थी कि या तो किताब के आपत्तिजनक हिस्सों को हटाया जाए या फिर इस ग्रंथ पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जाए.

अदालत का आदेश
एडवोकेट अशोक कुमार का कहना है कि उनकी शुरुआती याचिका को एसीजेएम (अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) ने खारिज कर दिया था. इसके बाद उन्होंने पुनरीक्षण याचिका दायर की. जिस पर एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश नीरज कुमार ने 7 अगस्त को आदेश दिया कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156(3) के तहत एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाए.

बढ़ सकती हैं कानूनी मुश्किलें
एफआईआर दर्ज होने के बाद अब स्वामी प्रसाद मौर्य की कानूनी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. यह मामला संवेदनशील धार्मिक मुद्दे से जुड़ा होने के कारण राजनीतिक रूप से भी बड़ा विवाद खड़ा कर सकता है.

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