वाराणसी में उतरी AI कार, सड़क पर लगे अवैध विज्ञापन पकड़ेगी, तुरंत लगेगा जुर्माना

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वाराणसी अब प्रदेश का पहला और देश का दूसरा शहर बन गया है जहां अवैध विज्ञापनों पर लगाम कसने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का इस्तेमाल शुरू हो गया है. गुरुवार को नगर निगम वाराणसी ने AI कार लॉन्च की, जो शहर भर में लगे विज्ञापनों की निगरानी कर वैध और अवैध होर्डिंग्स की पहचान करेगी. मेयर अशोक तिवारी और नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर से हरी झंडी दिखाकर इस हाई-टेक वाहन को रवाना किया.

कैसे काम करेगी AI कार

नगर निगम ने स्काईसाइन संस्था को इस कार्य की जिम्मेदारी दी है. संस्था का तकनीकी रूप से सक्षम वाहन पूरे शहर का सर्वे करेगा. यह वाहन सेंसर और AI तकनीक की मदद से विज्ञापनों का डाटा इकट्ठा करेगा और जांचेगा कि कौन सा विज्ञापन नगर निगम से अधिकृत है और कौन अवैध. अनधिकृत विज्ञापनों की पहचान होने पर AI सिस्टम ऑटोमेटिक तरीके से नोटिस जारी करेगा और जुर्माना वसूला जाएगा. प्रत्येक तीन माह में इस वाहन से पूरे शहर का सर्वे होगा.

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AI कार की प्रमुख विशेषताएं

इस वाहन में 360 डिग्री वर्चुअल स्ट्रीट व्यू, लेजर माप प्रणाली, ड्रोन सर्विलांस, मोबाइल ऐप से रियल टाइम नोटिस जनरेशन, आरएफआईडी टैगिंग, जीआईएस आधारित यूपीआईएन सिस्टम, GPS व जियो टैगिंग कैमरा और लाइव वीडियो प्रसारण जैसी हाई-टेक सुविधाएं मौजूद हैं. इससे ऊंचाई पर या मुश्किल जगहों पर लगे विज्ञापनों की भी निगरानी संभव होगी.

राजस्व और पारदर्शिता पर जोर

नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने बताया कि यह सिस्टम पूरी तरह मानव रहित होगा और AI तकनीक से जुटाए गए डाटा के आधार पर ही कार्रवाई होगी. इससे न केवल अवैध विज्ञापनों पर रोक लगेगी बल्कि वैध विज्ञापन भी मनमाने तरीके से नहीं लगाए जा सकेंगे. परिणामस्वरूप नगर निगम के राजस्व में करोड़ों रुपये की बढ़ोतरी होगी.

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मेयर अशोक तिवारी ने कहा कि अब तक अवैध और वैध विज्ञापनों की पहचान के लिए कोई तकनीक मौजूद नहीं थी. लेकिन AI कार से यह काम पारदर्शी और प्रभावी तरीके से होगा. उन्होंने दावा किया कि अब वाराणसी नगर निगम सीमा क्षेत्र में एक भी अवैध विज्ञापन नहीं लग पाएगा और विज्ञापनदाता को शुल्क जमा कर ही विज्ञापन लगाने की मंजूरी मिलेगी.

इस पहल से नगर निगम का आउटडोर मीडिया प्रबंधन स्मार्ट, पारदर्शी और राजस्व-सक्षम बनने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. वाराणसी, पुणे के बाद देश का दूसरा और प्रदेश का पहला शहर है जिसने यह तकनीक अपनाई है.

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