शहीद उधम सिंह को आज ही दी गई थी फांसी... 34 साल बाद भारत में हुआ था अंतिम संस्कार

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अमृतसर के जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेने के लिए क्रांतिकारी उधम सिंह ने 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटन हॉल में घुसकर माइक ओ डायर की हत्या कर दी थी. ओ डायर कभी पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर रहे थे और जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए इन्हें जिम्मेदार माना जाता है. 

ओ डायर की हत्या से पहले उन्होंने कई देशों का भ्रमण किया और फिर इंग्लैंड आ गए. यहां रहते हुए वो उन्होंने सही मौके का इंतजार किया और फिर एक दिन अपने मंसूबे को अंजाम देकर हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में अमर हो गए. 

शहीद उधम सिंह को कब फांसी दी गई थी?
आज 31 जुलाई है और इतिहास में ये दिन उधम सिंह की शहादत से जुड़ा है.  ओ डायर की हत्या के चार महीने बाद 31 जुलाई 1940 को उधम  सिंह को पेंटनविले जेल में फांसी दी गई थी. 

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 26 दिसंबर 1899 में उधम सिंह का जन्म पंजाब के संगरूर जिले में हुआ था. उनका नाम जन्म से उधम सिंह नहीं था. उधम सिंह का पहला नाम शेर सिंह था. 1933 में जब वो भारत से बाहर जाने की योजना बना रहे थे, तब लाहौर में पासपोर्ट बनवाते समय उन्होंने अपना नाम उधम सिंह रखा और यही नाम हमेशा के लिए उनके साथ जुड़ गया. 

पहले कुछ और ही था उधम सिंह का नाम
जब उन्होंने पासपोर्ट पर अपना नाम उधम सिंह रखा, उससे पहले वह उदय सिंह के नाम से जाने जाते थे. पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियायाल में इतिहास के प्रोफेसर डॉ. नवतेज सिंह ने अपनी किताब 'द लाइफ ऑफ शहीद उधम सिंह' में लिखा है कि 1919 में जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेने और तत्कालीन ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध जताने के लिए उन्होंने ओ डायर की हत्या की थी. 

गिरफ्तारी के वक्त उधम सिंह ने क्या बताया था अपना नाम 
ओ डायर की हत्या के बाद जब उन्हें गिरफ्तार किया गया, तब उन्होंने खुद को मुहम्मद सिंह बताया था. उसके बाद जेल से लिखे गए सभी पत्र पर इसी नाम के हस्ताक्षर थे. 

उधम सिंह को फांसी देने के बाद उनकी अंतिम रस्मों को पूरा नहीं करने दिया गया. डॉ. नवतेज सिंह सरकारी रिकॉर्ड का हवाला देते हुए अपनी किताब में लिखते हैं कि उनकी कब्र पर US शब्द अंकित था. उन्हें मदन लाल ढींगरा की कब्र से पास दफनाया गया था, जिन्हें 1909 में फांसी दी गई थई. 

आजादी के बाद उधम सिंह के अवशेष 19 जुलाई 1974 में भारत वापस लाया गया. यहीं उनका अंतिम संस्कार किया गया. 2 अगस्त 1974 को उनकी अस्थियां 7 कलशों में रखी गईं और सभी को अलग-अलग जगह भेज दिया गया.  

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