नीतीश कटारा मर्डर केस में पिछले 23 सालों से जेल में बंद और उम्र कैद की सजा काट रहे विकास यादव की शादी हो गई. कार्ड पर शादी की जगह चीनी मिल कम्पाउंड, मानपुर नगरिया, न्यौली, कासगंज लिखा था. लेकिन शादी डीपी यादव के राजनगर, गाजियाबाद में मौजूद आवास पर वैदिक रीति-रिवाजों के साथ बड़े सादा अंदाज में हुई. इस साल अप्रैल से ही विकास यादव जमानत पर बाहर है. हालाकि ये अंतरिम जमानत विकास को शादी के लिए नही बल्कि अप्रैल में इसलिए मिली थी ताकि वो अपनी बीमार मां की देखभाल कर सके.
इसी बीच विकास यादव के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में शादी का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत की मियाद बढ़ाने की गुजारिश की थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने विकास यादव की अंतरिम जमानत एक हफ्ते के लिए और बढा दी. इससे विकास यादव की शादी का रास्ता साफ हो गया था और अब वो 9 सितंबर तक अंतरिम जमानत पर आजाद है.
सगाई, शादी और विवाद!
हालांकि 2002 में जिस नीतीश कटारा मर्डर केस में विकास यादव को उम्र कैद की सजा मिली उन नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा के वकील ने विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाए जाने का ये कहकर विरोध किया कि विकास यादव की शादी पहले ही हो चुकी है. इस सिलसिल में कोर्ट के सामने दो तस्वीरें पेश की गईं. नीलम कटारा के वकील का दावा था कि विकास यादव की शादी 5 जुलाई को ही हो चुकी है. उन तस्वीरों के कोर्ट में पेश किए जाने के बाद विकास यादव के वकील ने दावा किया कि ये तस्वीरें शादी की नहीं बल्कि सगाई की हैं.
असल में उस तस्वीर में ऐसी कई चीजें हैं, जिसे लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि ये तस्वीर सचमुच सगाई की है या विकास यादव की शादी पहले ही हो चुकी है. अगर सिलसिलेवार उस तस्वीर को देखें तो उसमें कई चीजें ऐसी हैं जो अमूमन पश्चिमी यूपी के इस इलाके में सगाई के दौरान देखने को नहीं मिलती. सबसे पहले तो तस्वीर में विकास यादव और उसकी होने वाली दुल्हन या हो चुकी दुल्हन हर्षिका के आगे हवन कुंड रखा हुआ है. हवन कुंड में बाकायदा अग्नि जल रही है. शादी में इसी अग्नि को साक्षी मानकर फेरे लेने की रस्म पूरी की जाती है.
विकास और हर्षिका ने जो कपड़े पहने है वो शादी का ही जोड़ा है. सगाई में इस तरह के कपड़े अमूमन नहीं पहने जाते. दुल्हन ने गुलाबी रंग का जोड़ा पहना है. जिसपर लाल रंग का दुपट्टा है. दूल्हे ने सफेद रंग की शेरवानी पर गुलाबी रंग का फेटा पहना है. दुल्हन का दुपट्टा और दूल्हे का फेटा आपस में बंधा हुआ है. अमूमन ऐसा फेरे के वक्त ही किया जाता है. क्योंकि इस गांठ को गठबंधन कहा जाता है.
विकास यादव ने दाएं हाथ में सफेद रंग का रुमाल बांध रखा है जिसे कंगना कहा जाता है. और ये भी शादी के वक्त ही बांधा जाता है. दुल्हन ने सिर पर एक मुकुट पहन रखा है जिसे इस इलाके में मोहरी कहा जाता है. दुल्हन शादी के वक्त ही सिर पर मोहरी पहनती है ना कि सगाई के वक्त.
खैर इस तस्वीर के बाहर का सच ये है कि शुक्रवार यानी पांच सितंबर को विकास यादव की अब ऐलानिया शादी हो गई. खबरों के मुताबिक इस शादी को बेहद गोपनीय रखा गया. सिर्फ परिवार के खास और बेहद करीबी रिश्तेदार ही इस शादी में शिरकत करने आए थे. शादी का ये कार्ड भी इसलिए बाहर आ गय़ा क्योंकि ये कार्ड कोर्ट में अंतरिम ज़मानत की मियाद बढ़ाने के लिए एफिडेविट के तौर पर जमा किया गया था.
शादी के कार्ड पर कासगंज जिले का जो पता है और जिस शुगर मिल में शादी होनी थी वो शुगर मिल डीपी यादव की ही है. हालांकि वारदात की टीम गुरूवार को जब उस जगह पर पहुंची थी तो वहां ऐसी कोई खास हलचल नजर नहीं आई थी. ना ही शादी जैसा कोई माहौल दिखा और ना कोई साज-सजावट. आसपास के लोग भी शादी के बारे में बात करने से कतराते नजर आ रहे थे.
नीतीश कटारा मर्डर केस की पूरी कहानी
23 साल तक जेल में रहने के बाद 5 सितंबर 2025 को विकास यादव शादी हो गई. इत्तेफाक देखिए कि 23 साल पहले वो भी शादी का ही एक मौका था, जब विकास यादव ने नीतीश कटारा को अगवा करने के बाद उसका कत्ल किया था. वो 16 फरवरी 2002 की रात थी. डीपी यादव की बेटी भारती और भारती का दोस्त नीतीश कटारा गाजियाबाद में एक शादी में शामिल होने पहुंचे थे. शादी भारती और नीतीश की कॉमन फ्रेंड शिवानी गौड़ की थी.
उस शादी में भारती का भाई विकास यादव अपने कजिन विशाल यादव और उनका साथी सुखदेव पहलवान भी पहुंचा था. विकास यादव को अपनी बहन भारती और नीतीश की दोस्ती पसंद नहीं थी. दोनों को शादी में एक साथ देखकर उसे गुस्सा आ गया. चश्मदीदों के बयान के मुताबिक कत्ल की रात शादी के फंक्शन में नीतीश और भारती ने साथ डांस किया था. जिसे देखकर विकास मौके पर ही आगबबूला हो गया था. नीतीश से विकास की ये अदावत अदालत में कत्ल की वजह साबित करने के लिये काफी थी.
वारदात की रात नीतीश को आखिरी बार विकास यादव की टाटा सफारी में विशाल यादव और साथी सुखदेव पहलवान के साथ जाते देखा गया था. विकास ने पहले नीतीश को किसी काम के बहाने बाहर बुलाया. फिर एक सोची समझी साज़िश के तहत नीतीश को विकास और उसके साथी धोखे से गाड़ी में बिठा कर ले गए. देर रात तक नीतीश जब घर नहीं लौटा तो उसके घरवालों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. लेकिन तब भी नीतीश का कोई सुराग नहीं मिला. अचानक पांच दिन बाद 21 फरवरी को बुलंदशहर के खुर्जा इलाके में नीतीश की अधजली लाश मिली थी.
जब ये हादसा हुआ तब विकास यादव यूपी के बिसौली इलाके में विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहा था. लेकिन नीतीश की हत्या की खबर अख़बारों में छपते ही वो सबकुछ छोड़ कर ग़ायब हो गया. हालांकि चुनाव में उसकी ज़मानत ज़ब्त हो गई. पुलिस के मुताबिक विकास यादव ने पहले नीतीश कटारा का अपहरण किया और बाद में उसका क़त्ल कर दिया. आखिरकार पुलिस ने 22 फरवरी को विकास और उसके ममरे भाई विशाल यादव को ग्वालियर में धर-दबोचा. वहां से उसे गाज़ियाबाद लाया गया. पर विकास और उसके घरवालों का दबदबा यहां भी दिखाई दिया. बाद में अदालत के आदेश पर ये मामला गाज़ियाबाद से दिल्ली ट्रांसफर हो गया.
कत्ल के मकसद के तौर पर सरकारी वकील ये साबित करने में कामयाब रहे कि नीतीश और भारती के बीच प्रेम सम्बंध थे. सबूत के तौर पर भारती की ओर से नीतीश को भेजी कुल 79 चिट्ठियां, फोटोग्राफ्स, ईमेल, एसएमएस और गिफ्ट अदालत के सामने पेश किये गये. इसमें नीतीश और भारती की साथ ली गई तस्वीरें और भारती का जन्मदिन मनाने के लिये मुंबई जाने के प्लेन टिकट अहम सबूत साबित हुए.
आला-ए-क़त्ल यानी कत्ल में इस्तेमाल हुए हथियार की बरामदगी विकास और विशाल के खिलाफ सबसे बड़ा सबूत साबित हुई. विकास और विशाल की निशानदेही पर पुलिस ने कत्ल में इस्तेमाल हुआ हथौड़ा और नीतीश की कलाई घड़ी गाजियाबाद से 80 किलोमीटर दूर ठीक उसी जगह से बरामद कर लिये जहां नीतीश की लाश पाई गई थी.
नीतीश को अगवा करने में इस्तेमाल हुई विकास यादव की टाटा सफारी गाड़ी वारदात के एक हफ्ते बाद करनाल की एक बंद फैक्ट्री से बरामद हुई. कत्ल के दौरान इस्तेमाल हुई गाड़ी की बरामदगी भी घटना की कड़ियां जोड़ने में विकास और विशाल के खिलाफ पुख्ता सबूत साबित हुई. नीतीश के कत्ल के बाद अचानक भारती का पढ़ाई के बहाने लंदन चला जाना भी विकास यादव के खिलाफ गया. 20 फरवरी 2002 को इंग्लेंड गई भारती अदालत के लगातार बुलावे के बावजूद तीन साल तक हिंदुस्तान नहीं आई. कोर्ट के सख्त रवैये पर भारती ने आखिरकार अपनी गवाही नवंबर 2006 में दी. भारती के बयान देने से बचने की ये कवायद भी अदालत में विकास और विशाल के खिलाफ गई.
तीन साल के लंबे इंतजार के बाद पुलिस को दिये अपने पुराने बयान से पलटना भी विकास और विशाल के पक्ष में नहीं गया. कोर्ट ने माना कि भारती का बयान मामले में अब तक पेश किये सबूतों के ठीक उलट है और भारती ने ये नये बयान परिवार के दबाव में अपने भाइयों को कत्ल के इल्जाम से बचाने के लिये दिये हैं.
करीब 6 साल तक दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में मुकदमा चला. 2008 में अदालत ने नीतीश कटारा के कत्ल को ऑनर किलिंग करार देते हुए विकास यादव और विशाल यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई. 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा. बाद में 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाते हुए विकास और विशाल की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी. जबकि कम सजा मिलने की वजह से अपनी सजा पूरी कर सुखदेव पहलवान को रिहा कर दिया गया.
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