रूस और यूक्रेन के बीच जंग को लगभग चार साल हो चुके हैं. शुरुआत में जब रूस ने हमला किया था, तो यूक्रेन के लोगों में जबरदस्त जोश था. लाखों नागरिक सेना में शामिल हुए थे क्योंकि हर कोई अपने देश की रक्षा करना चाहता था. उस वक्त ऐसा लग रहा था कि देश एकजुट होकर दुश्मन को रोक लेगा,लेकिन अब हालात बदल चुके हैं.जंग इतनी लंबी चल गई है कि लोग अब उससे थक चुके हैं. आज उनके लिए यह जंग डर और मजबूरी बन गई है.
पहले लोग खुद भर्ती हो रहे थे, अब जबरन भर्ती करनी पड़ रही है
द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के हमले के शुरुआती महीनों में यूक्रेन की सेना में 10 लाख से ज्यादा सैनिक शामिल हो गए थे. लोग खुद आगे आकर भर्ती हो रहे थे,लेकिन जैसे-जैसे जंग लंबी खिंचती गई, लोगों का उत्साह कम होता गया. कई लोग सेना में जाने से डरने लगे.कुछ ने तो भर्ती से बचने के लिए पैसे देकर मेडिकल सर्टिफिकेट बनवा लिए ताकि उन्हें 'अनफिट' बताया जा सके.सरकार को जब यह सब पता चला, तो उसने मेडिकल कमिशन खत्म कर दिए और रिश्वतखोरी पर सख्त कार्रवाई की, लेकिन अब स्थिति यह है कि सेना से बचने का कोई रास्ता नहीं बचा.
अब सड़कों से लोगों को पकड़कर ले जा रही है सेना
रिपोर्ट्स के मुताबिक अब यूक्रेन में कई जगह सड़कों पर बने चेकपोइंट्स पर लोगों को रोका जा रहा है.कई बार सेना के जवान सीधे उन्हें भर्ती केंद्रों तक भेज देते हैं.कुछ मामलों में सैनिक लोगों को जबरन मिनीबसों में बैठाकर ले जाते हैं.लोग इस प्रक्रिया को 'प्रेस गैंग' या 'बसिफिकेशन' कह रहे हैं.
देश में 18 से 60 साल की उम्र के पुरुषों पर देश छोड़ने की पाबंदी है.हालांकि सरकार ने 18 से 22 साल के युवाओं को कुछ राहत दी है ताकि वे फंस न जाएं.फिर भी 25 साल तक की उम्र वालों के लिए भर्ती अब भी अनिवार्य है.
जंग ने समाज में भी पैदा कर दी है दरार
रिपोर्ट्स बताती हैं कि अब यूक्रेन के समाज में एक गहरी भावनात्मक खाई बन गई है.जो लोग मोर्चे पर लड़ रहे हैं, उन्हें गुस्सा आता है जब वे देखते हैं कि शहरों में लोग अब भी रेस्तरां में खाना खा रहे हैं, सिनेमा जा रहे हैं और सामान्य जिंदगी जी रहे हैं.एक महिला अफसर, यूलिया मिकितेंको, ने कहा कि जब मैं देखती हूं कि लोग अपने बच्चों और गर्लफ्रेंड्स के साथ घूम रहे हैं, तो मुझे गुस्सा आता है. मेरे सैनिकों को वो मौका नहीं मिलता.
लाखों घायल, हजारों मारे जा चुके
सरकार का कहना है कि अब तक 45,000 से ज्यादा सैनिक मारे जा चुके हैं और 3,80,000 घायल हुए हैं.इतने बड़े नुकसान के बाद सेना को नए लोगों की जरूरत है, लेकिन अब कोई आगे नहीं आना चाहता.लोग या तो छिप रहे हैं या किसी बहाने से भर्ती से बचने की कोशिश कर रहे हैं.यूक्रेन की हालत अब यह है कि देश को सैनिक तो चाहिए, लेकिन लोग अब जंग से थक चुके हैं.
जो कभी देश की रक्षा का गर्व था, वह अब मजबूरी और डर में बदल गया है.
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