2,000 से भी ज्यादा सालों तक मिस्र में एक प्राचीन शहर नील नदी के मुहाने पर समुद्र में डूबा रहा.1990 में जब तक की इसकी खोज नहीं हुई, इस नगर का जिक्र सिर्फ प्राचीन ग्रंथों और इतिहास की किताबों में होता था. काफी समय तक लोगों को यह कोई काल्पनिक जगह लगती थी, जिसका जिक्र पुराने यूनान और इजिप्टियन ग्रंथो में होता था. इस शहर का नाम थोनिस-हेराक्लिओन है, जो अब समुद्र में समा चुका है.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, यह मिस्री शहर नील नदी के मुहाने पर रेत और समुद्र दोनों के नीचे 2000 साल तक दबा रहा. यूनानियों ने इस शहर का नाम अपने नायक हेराक्लीज (हरक्यूलिस) के नाम पर हेराक्लिओन रखा था. माना जाता है कि यह वही स्थान जहां यूनानी नायक हेराक्लीज (हरक्यूलिस) ने पहली बार मिस्र में कदम रखा था, और यहीं ट्रोजन युद्ध से पहले ट्रॉय के प्रेमी युगल पेरिस और हेलेन भी आए थे. इन पर ट्रॉय नाम की फिल्म भी बन चुकी है.
नील नदी के मुहाने पर समुद्र के किनारे बसा था ये शहर
थोनिस इस शहर का मूल मिस्री नाम है. इसलिए इस शहर को थोनिस-हेराक्लिओन कहा जाता है.नील नदी के पश्चिमी मुहाने पर स्थित, यह एक समृद्ध बंदरगाह था. भूमध्य सागर के पार से आने वाले जहाज इसके जटिल नहर नेटवर्क से होकर गुजरता था, जिसका प्रमाण 60 जहाजों के अवशेष और 700 से ज़्यादा लंगरों की खोज है.
अंडर वाटर सिटी के अब मिल रहे अवशेष
पानी के नीचे दब गए इस शहर से प्राप्त सबसे प्रभावशाली कलाकृतियों में से एक है सैस का आदेश. यह दो मीटर ऊंचा काला पत्थर का स्लैब, जिसे स्टेला कहा जाता है. चौथी शताब्दी ईसा पूर्व के आरंभिक चित्रलिपि इस पर अंकित हैं , जो उस समय की मिस्र की टैक्स प्रणाली के महत्वपूर्ण विवरणों की जानकारी देते हैं. साथ ही यह भी पुष्टि करता है कि थोनिस-हेराक्लिओन एक ही शहर था.
हिस्ट्री.कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, टॉलेमिक राजवंश के दौरान, थोनिस-हेराक्लिओन मिस्र आने वाले सभी यूनानी जहाजों का प्रवेश द्वार था. यहीं पर अमुन का भव्य मंदिर भी था. मान्यता है कि यहीं टॉलेमिक फराओ ने अपनी दिव्य शक्ति प्राप्त की थी.
बिना कोई निशान छोड़े गायब हो गया एक शहर
इतिहासकार हेरोडोटस (5वीं शताब्दी ईसा पूर्व) ने थोनिस-हेराक्लिओन की भव्यता के बारे में लिखा था, और इसके प्राचीन स्थान का उल्लेख भूगोलवेत्ता स्ट्रैबो (प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व) ने भी किया था, लेकिन एक समय का यह भव्य शहर और इसके मंदिर बिना किसी निशान के गायब हो गए.
ऐसे मिला इस खोए शहर का सुराग
फिर, 1990 के दशक में, फ्रैंक गोडियो के नेतृत्व में पानी के भीतर इस प्राचीन शहर के अवशेषों को खोजा. पुरातत्वविदों की एक टीम ने एक ऐसे रहस्य को सुलझाया जो सहस्राब्दियों से अन्य पुरातत्वविदों के लिए अनसुलझा था. उच्च तकनीक वाले स्कैनर और सोनार से लैस, गोडियो की टीम ने मिस्र के तट से चार मील से भी ज़्यादा दूर एक समुद्र के अंदर से असामान्य रूप से निकलने वाले बुलबुले का पता लगाया, जो समुद्र तल के लगभग एक वर्ग मील में फैली हुई थी.
गोडियो कहते हैं कि जब हम पहली बार वहां गोता लगाने गए, तो हमें सिर्फ़ रेत ही रेत दिखाई दी, क्योंकि देखने के लिए कुछ भी नहीं था. सब कुछ तलछट के नीचे दबा हुआ था. जैसे ही गोडियो ने खुदाई शुरू की, उनकी टीम को लॉटरी जैसी सफलता हाथ लग गई.
कभी फल-फूल रहा था ये प्राचीन शहर
भूमध्य सागर के गहरे पानी में छिपी इन अद्भुत खोजों में टॉलेमिक राजा और रानी की दो विशाल लाल ग्रेनाइट की मूर्तियां शामिल थीं. इनमें से प्रत्येक की ऊंचाई 15 फीट और वजन कई टन था. समुद्र के अंदर एक पूरे शहर, उसके महल और मंदिरों के अवशेष मौजूद थे.
गोडियो की सबसे बेशकीमती खोज एक पूरी तरह से अक्षुण्ण, काले ग्रेनाइट से बनी मूर्ति थी. इस पर चित्रलिपि अंकित थी. छह फुट ऊंची इस मूर्ति पर फिरौन नेक्टेनेबो प्रथम का एक शाही फरमान अंकित है, जो 380 ईसा पूर्व का है.
दो दशकों से अधिक समय तक लगातार खुदाई के बाद, थोनिस-हेराक्लिओन स्थल पर दो मंदिर, एक देवता (हैपी) की सबसे बड़ी मिस्र की मूर्ति , अनगिनत कांस्य अनुष्ठानिक वस्तुएं और 100 से अधिक जहाज़ के अवशेष मिले हैं. इनमें से कुछ शहर के हिंसक विनाश के समय के हैं.
भूकंप और सुनामी ने अचानक समुद्र में डूबा दिया
नील नदी के मुहाने पर समुद्र के किनारे चिकनी मिट्टी पर बसा थोनिस-हेराक्लिओन शहर भूकंपों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील था. लगभग 150 ईसा पूर्व, इस शहर में एक भयंकर भूकंप आया और उसके बाद सुनामी आई. इस भूकंप के दौरान, मिट्टी के द्रवीकरण से शहर की नींव हिल गई. फिर एक शक्तिशाली लहर ने इसे समुद्र में बहा दिया.
गोडियो कहते हैं कि कुछ ही समय में शहर और इसके सभी स्मारक सात मीटर (23 फीट) नीचे चले गए और समुद्र ने सब कुछ ढक लिया. उनका अनुमान है कि समुद्र में डूबे शहर का केवल 5 प्रतिशत ही खुदाई किया गया है.
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