प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बार-बार अपना दोस्त बताने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद यूं ही नहीं पलटी मार लिए हैं. यूं ही नहीं उन्हें पाकिस्तानी नेता आजकल अच्छे लगने लगे हैं. पता चल रहा है कि अंकल सैम ने पाकिस्तान से सीजफायर कराने के बदले क्रिप्टो डील किया है. कहा जा रहा है कि यह डील विश्व लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) के साथ हुए एक व्यापारिक समझौते से जुड़ा है. इसमें ट्रंप परिवार की 60% हिस्सेदारी है. यह समझौता 26 अप्रैल 2025 को हुआ. यानि कि पहलगाम हमले के करीब 5 दिन बाद. यह डील पाकिस्तान के क्रिप्टो काउंसिल (PCC) और WLF के बीच हुई, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान को क्रिप्टोक्यूरेंसी और ब्लॉकचेन हब बनाना है, जिसमें डिजिटल एसेट टोकनाइजेशन, स्टेबलकॉइन निर्माण और डीफाई बिजनेस के लिए रेगुलेटरी सैंडबॉक्स शामिल हैं.
हालांकि क्रिप्टो डील वास्तविक है लेकिन इसे सीजफायर के बदले सौदे के रूप में जोड़ने का कोई पुख्ता सबूत नहीं है. यह कहानी डील के समय और ट्रंप परिवार के वित्तीय हितों से प्रेरित प्रतीत होती है, लेकिन यह अभी अनुमान पर आधारित है. पाकिस्तान द्वारा भारत के साथ सीजफायर के बदले डोनाल्ड ट्रंप को क्रिप्टो डील देने के दावे को समर्थन देने वाले सबूत और उदाहरण सीमित और परोक्ष हैं, क्योंकि यह मुख्य रूप से संदेह और समय के संयोग पर आधारित है. पर नीचे कुछ प्रमुख बिंदु जो संदेह को मजबूत बनाते हैं.
1-क्रिप्टो डील का समय और ट्रंप परिवार की हिस्सेदारी
26 अप्रैल 2025 को, पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल (PCC) और वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) के बीच एक समझौता हुआ. WLF में डोनाल्ड ट्रंप के बेटों, एरिक और डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, और दामाद जेरेड कुशनर की 60% हिस्सेदारी है. यह डील पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के ठीक पांच दिन बाद और भारत के ऑपरेशन सिंदूर (7 मई 2025) से पहले हुई, जिसने भारत-पाक तनाव को बढ़ाया था.
इस डील में WLF की ओर से जैकरी विटकॉफ, जो ट्रंप के करीबी दोस्त स्टीव विटकॉफ के बेटे हैं, ने हिस्सा लिया. उनकी इस्लामाबाद यात्रा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया. यह उच्च-स्तरीय सैन्य और राजनीतिक भागीदारी असामान्य थी और संदेह को बढ़ाती है.
2-पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल का गठन और बिनांस कनेक्शन
PCC का गठन अप्रैल 2025 में हुआ, और इसने तुरंत बिनांस के संस्थापक चांगपेंग झाओ को सलाहकार नियुक्त किया. यह डील पाकिस्तान को दक्षिण एशिया का क्रिप्टो हब बनाने के लिए थी, जिसमें डिजिटल एसेट टोकनाइजेशन और डीफाई (विकेंद्रीकृत वित्त) पर ध्यान था. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह डील जल्दबाजी में हुई, और PCC के गठन के कुछ ही दिनों बाद WLF के साथ समझौता हुआ. यह संदिग्ध है क्योंकि पाकिस्तान में पहले क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध था, और अचानक नीति बदलाव ने सवाल खड़े किए. इस डील को टेरर फंडिंग या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए नए रास्ते के रूप में देखा जा रहा है, खासकर क्योंकि पाकिस्तान पहले FATF की ग्रे लिस्ट में रहा है.
3-ट्रंप की मध्यस्थता का दावा और भारत का खंडन
डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत-पाक सीजफायर में मध्यस्थता की. हालांकि, भारत ने इसे स्पष्ट रूप से खारिज किया, जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिश्रा और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि यह डीजीएमओ-स्तर की द्विपक्षीय बातचीत का परिणाम था.
10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान ने चार दिन के ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद सीजफायर पर सहमति जताई. ट्रंप ने इसके बाद इसे अपनी उपलब्धि बताया, लेकिन भारत ने इसे बेबुनियाद करार दिया.
ट्रंप का दावा और WLF-PCC डील का समय संदिग्ध है, क्योंकि यह सवाल उठाता है कि क्या ट्रंप ने अपने परिवार के वित्तीय हितों को बढ़ावा देने के लिए मध्यस्थता का दावा किया.
दुनिया के लिए क्यों घातक हो सकती है यह डील
पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल (PCC) और वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF) के बीच 26 अप्रैल 2025 को हुआ समझौता कई कारणों से वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय है और इसे कुछ लोग दुनिया के लिए संभावित रूप से घातक मान रहे हैं.
1-टेरर फंडिंग का जोखिम
पाकिस्तान का वित्तीय कार्रवाइयों पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था FATF (Financial Action Task Force) की ग्रे लिस्ट में रहने का इतिहास रहा है, क्योंकि वह आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता को रोकने में विफल रहा है. क्रिप्टोकरेंसी, अपनी गुमनाम प्रकृति के कारण, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकियों की फंडिंग के लिए उपयोगी हो सकती है.
2-अनियमित क्रिप्टोकरेंसी का वैश्विक खतरा
PCC-WLF डील में बिनांस के संस्थापक चांगपेंग झाओ को सलाहकार बनाया गया है, जो क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में एक विवादास्पद नाम है. डील में स्टेबलकॉइन और डीफाई पर जोर है, जो अनियमित होने पर वैश्विक वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं. 2023 में, बिनांस पर अमेरिका में मनी लॉन्ड्रिंग और प्रतिबंधों के उल्लंघन के लिए 4.3 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया था. ऐसे में, बिनांस का PCC के साथ जुड़ाव चिंता का विषय है. अनियमित क्रिप्टोकरेंसी से वैश्विक वित्तीय प्रणाली में अस्थिरता आ सकती है, क्योंकि यह अवैध लेनदेन, कर चोरी, और साइबर अपराधों को बढ़ावा दे सकती है. पाकिस्तान जैसे देश में, जहां पहले से ही वित्तीय पारदर्शिता की कमी रही है, यह जोखिम और बढ़ जाता है.
3-भारत और क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव
भारत के लिए इस डील से रणनीतिक और सुरक्षा दृष्टिकोण से खतरनाक हो सकता है, क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे सकता है. क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग आतंकवादी संगठनों को गुप्त रूप से धन उपलब्ध कराने के लिए हो सकता है, जिससे भारत और दक्षिण एशिया की सुरक्षा को खतरा हो सकता है.