महाराष्ट्र के सतारा में एक बेटी के हाथ पर पेन से लिखे शब्दों ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया है. हाथ पर पेन से लिखे डॉक्टर बेटी के आखिरी शब्दों ने सिस्टम की कलई खोल कर रख दी है. दुनिया को बता दिया कि ये सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम की विफलता की कहानी है.
दरअसल, सतारा के फलटण अस्पताल में गुरुवार रात एक सरकारी महिला डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली. लेकिन क्यों? जो सरकारी डॉक्टर दूसरों की जान बचाती थी, उसे खुद जान क्यों देनी पड़ी? जिस डॉक्टर बेटी के हाथ दूसरों को जिंदगी देते थे, उन हाथों पर अंतिम शब्द लिखने के लिए किसने मजबूर किया? इन सारे सवालों का जवाब हाथ पर लिखे सुसाइड नोट में है, जिसे पढ़कर लोगों के होश उड़ गए.
आत्महत्या करने वाली इस सरकारी डॉक्टर ने सुसाइड नोट में 2 पुलिस वालों पर गंभीर इल्जाम लगाए. सरकारी डॉक्टर ने आत्महत्या से पहले अपने हाथ पर लिखे सुसाइड नोट में साफ-साफ बताया कि PSI गोपाल बदने ने 5 महीनों तक लगातार उसका शारीरिक शोषण और बलात्कार किया. पुलिसकर्मी प्रशांत बनकर ने मानसिक रूप से प्रताड़ित किया.
इस सुसाइड नोट के सामने आते ही ये मामला गरमाया और महाराष्ट्र पुलिस कटघरे में खड़ी हो गई. इसकी वजह इस डॉक्टर बेटी के परिवार का दावा है, जिसके मुताबिक, फलटण के डिप्टी एसपी और स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को आत्महत्या करने वाली इस बेटी ने चिट्ठी लिखकर पुलिस अधिकारियों पर परेशान करने का आरोप लगाया था. लेकिन सवाल ये है कि पुलिस विभाग की तरफ से एक सरकारी डॉक्टर को परेशान क्यों किया जा रहा था और क्यों आत्महत्या करने वाली डॉक्टर लगातार अपने वरिष्ठ अधिकारियों से कह रही थी कि अगर मेरे साथ अन्याय नहीं रुका तो मैं आत्महत्या कर लूंगी.

दावा है कि आत्महत्या करने वाली ये डॉक्टर बेटी कुछ महीनों से पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के बीच चल रहे एक विवाद में फंसी हुई थीं. बताया जा रहा है कि एक मेडिकल जांच से जुड़े मामले में पुलिस अधिकारियों से उनके बीच वाद-विवाद हुआ था. परिवार का दावा है कि बेटी पर पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने का दबाव था.
लेड़ी डॉक्टर के साथ काम करने वाले कर्मचारियों का भी कहना है कि आत्महत्या करने से पहले सरकारी डॉक्टर तनाव में थी, सवाल ये है कि पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टर की शिकायतों पर कार्रवाई क्यों नहीं की? अगर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग ने समय रहते इस मामले की जांच की होती तो एक डॉक्टर बेटी को आत्महत्या नहीं करनी पड़ती. लेकिन किसी के कान पर जूं नहीं रेंगी.
मृतक डॉक्टर के चाचा ने मीडिया से कहा कि भतीजी लंबे समय से मानसिक तनाव में थी और बार-बार सिस्टम से न्याय की गुहार लगा रही थी. उसने डीवायएसपी फलटण के कार्यालय में औपचारिक शिकायत भी दर्ज कराई थी, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. चाचा ने कहा कि अगर समय रहते कार्रवाई होती, तो आज वह जिंदा होती.ट
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इस केस में एक आरोपी को पुणे के एक दोस्त के फार्म हाउस से गिरफ्तार किया गया, जबकि दूसरा अभी फरार है और उसके पंढरपूर क्षेत्र में होने का अनुमान लगाया जा रहा है. गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपी को पूछताछ के लिए फलटण थाने लाया. आरोपी को कोर्ट में पेश करने के बाद पुलिस कस्टडी रिमांड की मांग करेगी.

सातारा जिले के पालकमंत्री ने भी इस संवेदनशील मामले पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और पुलिस पूरी ताकत के साथ आरोपियों की तलाश कर रही है. मंत्री ने यह भी कहा कि इस मामले की जांच के लिए महिला पुलिस अधिकारी को जिम्मा दिया गया है. परिवार अगर किसी अन्य व्यक्ति पर शक करता है, तो तुरंत पुलिस को जानकारी दें.
इस मामले में सातारा की एडिशनल एसपी ने कहा कि अगर डॉक्टर की शिकायत पर समय रहते कार्रवाई होती या वह अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के बारे में किसी को बताती, तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी. उन्होंने बताया कि एक विकृत मानसिकता वाला पुरुष हमेशा किसी महिला पर अत्याचार करने की कोशिश करता है, और यह हर माता-पिता के लिए चिंताजनक है.

डॉक्टर ने अपने सुसाइड नोट में स्पष्ट रूप से लिखा था कि पुलिस अधिकारी ने उसे लगातार मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का शिकार बनाया. इस मामले को लेकर पूरे सातारा में तनाव और आक्रोश फैल गया. मामला सुर्खियों में आया तो आरोपी PSI को निलंबित कर दिया गया है. पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया पूरी होने के बाद शव को पैतृक गांव भेजा गया. परिवार ने शव लेने से पहले साफ कर दिया कि न्याय मिलने तक वे चुप नहीं बैठेंगे.
गृह राज्य मंत्री (ग्रामीण) पंकज भोयर ने कहा कि पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच के आदेश दिए गए हैं. यह बेहद गंभीर मामला है. जो भी इसमें दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. यह भी जांच की जा रही है कि डॉक्टर पर किसने दबाव बनाया था और उन्होंने इस बारे में किससे शिकायत की थी.
सोशल मीडिया यूजर्स के साथ ही महिला डॉक्टर संगठन इस मामले में सीबीआई या स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग कर रहे हैं. डॉक्टर संगठनों ने कहा कि यह केवल सुसाइड नहीं, बल्कि सिस्टम की विफलता है. एक महिला जो रोज दूसरों की जान बचाती थी, वह न्याय की उम्मीद में खुद हार गई. इस सुसाइड केस में अब एसआईटी जांच की मांग की जा रही है.
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