'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' एक आइकॉनिक शो है, जो 25 साल बाद टीवी पर लौटा है. शो आम जनता और सेलेब्स को इमोशनल कर रहा है. 'क्योंकि...' की तुलना 'अनुपमा' से हो रही है. जानते हैं कि दोनों शो क्यों अलग है.
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'अनुपमा' से कितना अलग है 'क्योंकि सास...' (PHOTO: Instagram @starplus)
25 साल बाद आइकॉनिक शो 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' टेलीविजन पर लौट आया है. जिस दिन एकता कपूर शो का दूसरा सीजन अनाउंस किया था. उसी दिन से शो की तुलना 'अनुपमा' से की जाने लगी. कुछ लोग कह रहे थे कि 'क्योंकि...' के बाद 'अनुपमा' की टीआरपी गिर जाएगी. वहीं कुछ ने दोनों सीरियल्स की कहानी को एक जैसा बताया. पर असल में ऐसा नहीं है. जानते हैं कि स्मृति ईरानी का शो रूपाली गांगुली के सीरियल से कितना अलग है.
'क्योंकि सास भी बहू थी' और 'अनुपमा' में क्या अंतर है?
'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' की कहानी पारिवार और संस्कारों से प्रेरित है. शो आपको नेस्टोलिजिया फीलिंग देता है. वहीं 'अनुपमा' की कहानी मॉर्डन जमाने की है.
'क्योंकि...' में तुलसी विरानी सेंट्रिक कैरेक्टर हैं. जबकि 'अनुपमा' की स्टोरी से हर आम महिला खुद को कनेक्ट कर सकती है. 'क्योंकि...' में सास-बहू ड्रामा है. 'अनुपमा' एक आत्मनिर्भर महिला और उसके संघर्ष की कहानी को दर्शात है.
वुमेन सेंट्रिक शो क्यों हैं खास?
'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' 90 के दशक का पॉपुलर शो है, जिससे कई लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं. वहीं 'अनुपमा' शो आज के लोगों की पसंद है. एक तरफ जहां 'क्योंकि...' में तुलसी विरानी का फोकस परिवार को बचाना है. वहीं 'अनुपमा' सालों से खुद को साबित करने में जुटी हुई है. वो परिवार और समाज से आत्मसम्मान के लिए लड़ रही है.
पति मिहिर विरानी का एक्सट्रा मैरिटल अफेयर जानने के बाद भी तुलसी ने उसे और परिवार नहीं छोड़ा. वहीं जब 'अनुपमा' को पता चला कि उसके पति का एक्सट्रा मैरिटल अफेयर है, तो उसने तुरंत अपने कदम पीछे कर लिए. तीन बच्चों की मां होने के बावजूद उसने वनराज से तलाक लेने का साहस दिखाया.
दोनों ही शो दो पावरफुल महिलाओं की जर्नी को दिखाते हैं. एक परिवार के संस्कारों को बचाने में लगी हुई है. वहीं दूसरी अपने लिए जीना सीख रही है. दोनों ही सीरियल दर्शकों की पहली पसंद है. बस फर्क शो को लेकर लोगों के जज्बातों का है. 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' के लौटने से लोगों की पुरानी यादें ताजा हो गईं. वहीं 'अनुपमा' महिलाओं को अपने हक के लिए आवाज उठाना सीखा रही है.
इसलिए दोनों शो की कहानी को एक जैसा कहना बहुत नाइंसाफी है. 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' और 'अनुपमा' की तुलना करना भी ठीक नहीं है.
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