बिहार में 65 लाख वोटर्स के नाम कटे, पटना में सबसे ज्यादा मतदाता ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से बाहर

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बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. उससे पहले चुनाव आयोग ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) जारी कर दी है. नई लिस्ट के अनुसार, वोटर लिस्ट से 65 लाख से ज्यादा नामों को हटा दिया गया है. इस लिस्ट में 7.24 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए हैं. हटाए गए लोगों में ज्यादातर लोग इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं या किसी दूसरी जगह पर शिफ्ट हो गए हैं. 

चुनाव आयोग ने अपने आधिकारिक वेबसाइट पर ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की है. ड्राफ्ट वोटर लिस्ट चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई प्रक्रिया है जो विवादों में है, क्योंकि चुनाव के कुछ महीनों पहले शुरू की गई है. विपक्षी राजनीतिक दलों का आरोप है कि इसके जरिए गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों का वोट छिने जा रहा हैं. 

चुनाव आयोग ने बताया है कि राजनीतिक दलों को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की प्रिंटेड कॉपी भी दी गई है. ताकि वे लिस्ट की जांच कर सकें और कोई भी 'गलती या आपत्ति' हो तो उसे ठीक करवा सकें. यह प्रक्रिया एक महीने यानि एक सितंबर तक चलेगी. इसके बाद आयोग फ़ाइनल लिस्ट जारी करेगी. 

हालांकि, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने राफ्ट वोटर लिस्ट की प्रिंटेड कॉपी शेयर करने पर आपत्ति ज़ाहिर की है. आरजेडी का कहना है कि आयोग उन्हें ये डाटा पेन ड्राइव या सीडी में दे ताकि आसानी से जांच की जा सके. 

वहीं कांग्रेस ने आपत्ति ज़ाहिर करते हुए चुनाव आयोग से सवाल पूछा है कि अब तक वोटर लिस्ट में कितने विदेशी नागरिक थे और क्या उन्हें इस ड्राफ्ट लिस्ट से हटाया गया है?

दूसरी ओर एनडीए (BJP के नेतृत्व वाला गठबंधन) का आरोप है कि बिहार, विशेष तौर पर कोसी और सीमांचल इलाकों में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या रहते हैं, जिन्होंने अवैध तरीके से वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाकर रखा था. गठबंधन का कहना है कि इन वोटरों को बचाने के लिए विपक्षी दल ड्राफ्ट वोटर लिस्ट का विरोध कर रहे हैं.

चुनाव आयोग की ओर से आज (शुक्रवार) को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की ज़िलेवार आंकड़े भी जारी किए हैं. सबसे ज्यादा नाम आयोग की ओर से राजधानी पटना से हटाए गए हैं. पटना से 50.04 लाख वोटर 24 जून तक दर्ज थे और यहीं सबसे ज़्यादा 46.51 लाख एनुमरेशन फॉर्म जमा हुए. लेकिन 3.95 लाख फॉर्म ऐसे हैं जिन्हें या तो जमा नहीं किया गया या ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं जोड़ा गया. 

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पटना के अलावा, जिन ज़िलों में सबसे ज्यादा फॉर्म नहीं लौटे या ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल नहीं हुए, वे हैं:

  • मधुबनी (3.52 लाख)
  • पूर्वी चंपारण (3.16 लाख)
  • गोपालगंज (3.10 लाख)
  • बेगूसराय (2.84 लाख)
  • मुजफ्फरपुर (2.83 लाख)

वहीं, शेखपुरा ज़िले में सबसे कम – सिर्फ 26,256 ऐसे फॉर्म थे.

चुनाव आयोग ने बताया है कि 22.34 लाख नाम इसलिए हटाए गए क्योंकि वे लोग अब जीवित नहीं हैं. 36.28 लाख लोग दूसरी जगह स्थायी रूप से चले गए हैं या अनुपस्थित पाए गए. 7.01 लाख लोग दो जगहों पर नाम दर्ज करा चुके थे, इसलिए हटाए गए.

बिहार में चुनाव आयोग की ओर से स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की प्रक्रिया शुरू होने से पहले कुल 7.9 करोड़ रजिस्टर्ड वोटर थे. अब यह आंकड़ा घटकर 7.24 करोड़ रह गया है.

आरजेडी ने चुनाव आयोग से ये जानना चाह रही है कि किस आधार पर किसी व्यक्ति को 'मृत' या 'स्थायी रूप से पलायन' कर चुका माना गया? क्या परिवार से कोई प्रमाण पत्र लिया गया?

CPI(ML) जैसी अन्य पार्टियों ने पेशल इंटेंसिव रिवीजन को 'वोटबंदी' करार दिया है. उनका कहना है कि ये 'नोटबंदी' योजना की तरह ही है, जो गरीबों पर सबसे ज्यादा असर डालती है.

कांग्रेस ने अपने ज्ञापन में पूछा है कि कितने फॉर्म बिना फोटो या पहचान दस्तावेज के जमा हुए और क्या उन्हें BLO ने खारिज किया?

सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें इस पूरी प्रक्रिया को चुनौती दी गई है. मुख्य विवाद यह है कि आधार कार्ड और राशन कार्ड को पहचान के लिए स्वीकार नहीं किया गया, जबकि गरीबों के पास यही दस्तावेज होते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सुनवाई में कहा है कि किसी को बड़े पैमाने पर लिस्ट से बाहर नहीं किया जाना चाहिए और आधार कार्ड को मान्य दस्तावेजों में शामिल किया जाए.

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर चुनाव आयोग ने यह मुद्दा हल नहीं किया तो विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का विकल्प खुला है.

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बिहार वोटर लिस्ट 2025 में नाम नहीं है? ऐसे जोड़ें अपना नाम, आसान तरीके से समझिए

बिहार में वोटर लिस्ट 2025 की ड्राफ्ट जारी हो चुकी है. ऐसे में अगर आपने लिस्ट में अपना नाम चेक किया और वह नहीं मिला, तो घबराने की जरूरत नहीं है. आपके पास अभी भी नाम जुड़वाने का एक महीना का समय है. चुनाव आयोग ने इसके लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से प्रक्रिया शुरू कर दी है. 

सबसे पहले अपना नाम चुनाव आयोग के आधिकारिक वेबसाइट पर चेक करें. अगर नाम नहीं है तो तुरंत फॉर्म 6 को NVSP पोर्टल या NVSP मोबाइल ऐप के ज़रिए भर दें. अपने जरूरी डॉक्यूमेंट्स तैयार रखें. जैसे - आधार कार्ड, जन्म प्रमाणपत्र, राइविंग लाइसेंस / पासपोर्ट, राज्य या केंद्र सरकार द्वारा जारी कोई भी वैध पहचान पत्र. बिहार के सभी प्रखंड और नगर निकाय कार्यालयों में विशेष शिविर लगाए जा रहे हैं. इन शिविरों में आप दस्तावेज के साथ फॉर्म भर सकते हैं और अपनी एंट्री सुनिश्चित कर सकते हैं.

फॉर्म भरने और आपत्ति दर्ज करने की आखिरी तारीख एक सितंबर तक है. आप BLO की भी मदद ले सकते हैं. अगर किसी तरह की समस्या है तो आप शिकायत भी दर्ज करवा सकते हैं. 1 सितंबर के बाद नाम जुड़वाने का मौका नहीं मिलेगा.

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