मध्य प्रदेश के दमोह जिले में बटियागढ़ ब्लॉक अंतर्गत ग्राम खमरिया स्थित शासकीय प्राथमिक सैटेलाइट शाला का नाम 'इस्लामपुरा' दर्ज होने पर विवाद खड़ा हो गया है. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) सहित अन्य हिंदू संगठनों ने इसे लेकर आपत्ति जताई है और कहा है कि सरकारी विद्यालय में किसी विशेष धर्म से जुड़े नाम और प्रतीक चिन्ह शिक्षा विभाग के नियमों के खिलाफ हैं.
दरअसल, विद्यालय जिस भूमि पर स्थापित है, वह अठ्या परिवार द्वारा दान की गई थी. दान पत्र में 'इस्लामपुरा' का कोई उल्लेख नहीं है. इसके बावजूद सरकारी रिकॉर्ड और पोर्टल्स में विद्यालय का नाम 'इस्लामपुरा' दर्ज है. यही वजह है कि संगठनों ने नामकरण को संदेहास्पद बताते हुए विरोध दर्ज कराया है.
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विहिप का आरोप
विहिप के जिला उपाध्यक्ष बबलू राय और हटा ब्लॉक अध्यक्ष भरत राय ने विद्यालय का निरीक्षण कर बताया कि दीवारों और छतों पर “ईद मुबारक” और “स्टार” जैसे धार्मिक प्रतीक बने हैं. उनका कहना है कि किसी भी शासकीय विद्यालय में धर्म विशेष से जुड़े प्रतीकों का प्रदर्शन नहीं होना चाहिए. उन्होंने नामकरण की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाए और जांच की मांग की.
विद्यालय प्रशासन का पक्ष
विद्यालय प्रभारी चरण दास पटेल ने सफाई देते हुए कहा कि विद्यालय में किसी तरह का जातिवाद या संप्रदायवाद नहीं है. उन्होंने स्वीकार किया कि दीवारों पर लिखे शब्दों पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया और आश्वासन दिया कि यदि आपत्ति है तो उन प्रतीकों को हटा दिया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि विद्यालय में लगभग 20 विद्यार्थी पढ़ते हैं, जिनमें सभी वर्गों के बच्चे शामिल हैं. विद्यालय में कार्यरत दोनों शिक्षक भी हिंदू समाज से हैं.
शिक्षा विभाग का बयान
जिला परियोजना समन्वयक (DPC) मुकेश द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि विद्यालय का नाम प्रारंभ से ही 'इस्लामपुरा' सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है. यदि स्थानीय लोग चाहें तो प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत नाम बदल सकते हैं. साथ ही, विद्यालय की दीवारों पर लिखे धार्मिक शब्दों और प्रतीकों की जांच कराई जा रही है. दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई की जाएगी.
स्थानीय हालात और विवाद
ग्राम खमरिया की आबादी लगभग दो हजार है, जिसमें 'इस्लामपुरा' बस्ती में करीब 60–70 परिवार रहते हैं. पहले यह विद्यालय सैटेलाइट शाला के रूप में संचालित था, जिसे अब प्राथमिक शाला 'इस्लामपुरा' नाम से चलाया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि नामकरण में धार्मिक पहचान को बढ़ावा देने की कोशिश की गई है, जिसके चलते यह विवाद गहराता जा रहा है.
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