पृथ्वी के पास चंद्रमा के अलावा और भी 'चांद' हो सकते हैं? हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक नए 'क्वासी-मून' की खोज की है, जिसका नाम है 2025 PN7. यह छोटा सा एस्टेरॉयड पृथ्वी के साथ सूर्य की परिक्रमा कर रहा है, लेकिन असल में यह हमारी कक्षा में चक्कर नहीं लगा रहा. यह खोज बताती है कि हमारा सौर मंडल कितना रहस्यमयी है.
क्वासी-मून क्या होता है?
क्वासी-मून एक तरह का क्षुद्रग्रह (Asteroid) होता है, जो पृथ्वी के साथ सूर्य के चारों ओर घूमता है. लगता है जैसे यह पृथ्वी का चंद्रमा हो, लेकिन वास्तव में यह सूर्य की कक्षा में है. यह गुरुत्वाकर्षण का एक खेल है. प्लैनेटरी सोसाइटी के अनुसार, ये एस्टेरॉयड पृथ्वी के साथ अस्थायी यात्रा करते हैं. हमेशा हमारे साथ नहीं रहते.
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पृथ्वी के पास पहले से सात ज्ञात क्वासी-मून हैं, जैसे कार्डिया और कामो‘ओआलेवा. नया खोजा गया 2025 PN7 सबसे छोटा और सबसे कम स्थिर क्वासी-मून है. यह पृथ्वी के साथ अगले 60 साल तक रहेगा, लेकिन उसके बाद चला जाएगा.
2025 PN7 की खोज कैसे हुई?
यह एस्टेरॉयड 2 अगस्त 2025 को हवाई के हेलाकाला वेधशाला में पैन-स्टार्स1 टेलीस्कोप से पहली बार देखा गया. लेकिन पुराने आर्काइव डेटा से पता चला कि यह 2014 से ही दिखाई दे रहा था. फ्रेंच पत्रकार और एमेच्योर खगोलशास्त्री एड्रियन कोफिनेट ने सबसे पहले इसका विश्लेषण किया. उन्होंने माइनर प्लैनेट मेलिंग लिस्ट पर 30 अगस्त को पोस्ट किया कि यह पृथ्वी की क्वासी-सैटेलाइट है.
मैड्रिड की कॉम्प्लुटेंस यूनिवर्सिटी से अध्ययन के सह-लेखक कार्लोस डे ला फुएंटे मार्कोस ने कहा कि यह छोटी, मंद और पृथ्वी से दिखने लायक नहीं थी, इसलिए इतने सालों तक नजरअंदाज रही. यह खोज 2 सितंबर 2025 को अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की रिसर्च नोट्स जर्नल में प्रकाशित हुई. अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने 29 अगस्त को इसके बारे में सर्कुलर जारी किया, जिसमें 30 जुलाई से डेटा था.
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इसका आकार और विशेषताएं क्या हैं?
2025 PN7 का व्यास सिर्फ 19 मीटर (62 फीट) है, जो 2013 में रूस के चेल्याबिंस्क पर गिरे उल्कापिंड से थोड़ा छोटा है. इसकी चमक मैग्निट्यूड 26 है, यानी यह बहुत मंद है. तुलना के लिए, नंगी आंख से दिखने वाले तारे मैग्निट्यूड 6 या उससे कम होते हैं. सबसे चमकीला तारा सीरियस -1.5 का है. इसलिए, इसे अच्छे टेलीस्कोप से ही देखा जा सकता है.
यह एस्टेरॉयड पृथ्वी से 4.5 मिलियन से 60 मिलियन किलोमीटर दूर रहता है. यह आर्जुना एस्टेरॉयड बेल्ट से आया है. इसकी स्पीड से पता चलता है कि यह कैप्चर्ड एस्टेरॉयड है. यह पृथ्वी के साथ 1:1 रेजोनेंस में है, यानी एक ही समय में सूर्य का चक्कर लगाता है.
क्यों इतने सालों तक छिपा रहा?
यह छोटा, कम चमक वाला और पृथ्वी से दिखने लायक नहीं है. इसलिए, दशकों तक नजर नहीं आया. लेकिन अब वेरा सी. रुबिन वेधशाला जैसे नए उपकरण ऐसे और ऑब्जेक्ट ढूंढ सकते हैं. यह क्षुद्रग्रह 1960 के दशक से पृथ्वी के साथ है, यानी करीब 60 साल. यह कोई खतरा नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों के लिए अध्ययन का अच्छा मौका है.
भविष्य में क्या हो सकता है?
2025 PN7 की तरह और क्वासी-मून हो सकता हैं. रुबिन वेधशाला कई ऐसी खोज कर सकता है. सबसे प्रसिद्ध क्वासी-मून कामो‘ओआलेवा (2016 HO3) है, जिसका व्यास 40-100 मीटर है. चीन का टियांवेन-2 मिशन (मई 2025 में लॉन्च) इसे सैंपल लेने जाएगा, जो 2027 तक सैंपल लाएगा. इससे सौर मंडल की उत्पत्ति के बारे में पता चलेगा.
क्वासी-मून और मिनी-मून में फर्क: मिनी-मून अस्थायी रूप से पृथ्वी की कक्षा में कैद हो जाती हैं (कुछ हफ्ते या महीने), लेकिन क्वासी-मून दशकों तक साथ रहती हैं.
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