'केवल भारत नहीं, पूरे इंडो-पेसिफिक पर फोकस हो...', पीएम मोदी के UK दौरे से पहले ब्रिटिश थिंक टैंक ने दी सलाह

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 23 जुलाई को मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर करने के लिए ब्रिटेन जाने वाले हैं. उनकी इस यात्रा से ठीक पहले ब्रिटेन के एक प्रमुख थिंक टैंक ने मंगलवार को ब्रिटेन की हिंद-प्रशांत रणनीति को नए सिरे से तैयार करने का आह्वान किया. इस रणनीति के तहत भारत के साथ रिश्तों को व्यापार समझौते से आगे तक ले जाने और पूरे इंडो-पेसिफिक क्षेत्र पर फोकस करने की बात कही गई.

रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स, जिसे चैथम हाउस के नाम से जाना जाता है, ने 'Why the Indo-Pacific should be a higher priority for the UK’ शीर्षक से एक रिसर्च पेपर जारी किया है जिसमें केवल द्विपक्षीय फोकस के खिलाफ चेतावनी दी गई है. इसमें कहा गया है कि ब्रिटेन का द्विपक्षीय फोकस उस दक्षिण एशियाई क्षेत्र को अनदेखा करता है जो भारत की तरह आर्थिक विकास नहीं कर रहा है.

रिसर्च पेपर में त्रिपक्षीय सहयोग बढ़ाने का भी आह्वान किया गया है जिसमें फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे तीसरे देशों को शामिल किया जाए, ताकि ब्रिटेन के भारत के साथ गहरे संबंधों को और मजबूत किया जा सके.

द्विपक्षीय सहयोग का दायरा बढ़ाए ब्रिटेन

लंदन स्थित थिंक टैंक के रिसर्च पेपर में कहा गया है, 'दक्षिण एशिया में ब्रिटेन को भारत के साथ व्यापार समझौते से भी आगे बढ़ने की जरूरत है ताकि द्विपक्षीय सहयोग का दायरा इस तरह बढ़ाया जा सके कि दोनों देशों की व्यापक विदेश नीति प्राथमिकताओं (जैसे अमेरिका और ग्लोबल साउथ के साथ जुड़ना) का फायदा उठाया जा सके.'

भारत और ब्रिटेन ने 6 मई को एक एफटीए पर सहमति जताई थी जिसका लक्ष्य 2030 तक दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापार को दोगुना करके 120 अरब डॉलर तक पहुंचाना है. इस समझौते के ड्राफ्ट पर अभी कानूनी समीक्षा चल रही है. उम्मीद है कि गुरुवार को पीएम मोदी की ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टारमर के साथ होने वाली बैठक के दौरान इस पर औपचारिक हस्ताक्षर किए जाएंगे.

रिसर्च पेपर में कहा गया है, '2021 में ब्रिटेन भारत के साथ कॉम्प्रिहेन्सिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप के लिए सहमत हुआ था और अब मई 2025 में ब्रिटेन का भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते की घोषणा रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में ही एक कदम है.'

चैथम हाउस के रिसर्च पेपर में आगे कहा गया, 'लेकिन भारत की संरक्षणवादी प्रवृत्ति को देखते हुए, किसी भी अंतिम समझौते के द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों के लिए बहुत बदलाव भरा होने की संभावना नहीं है. इसलिए यह जरूरी है कि ब्रिटेन की सरकार अन्य क्षेत्रों में भी बात करे जो व्यापार और निवेश संबंधों को आगे बढ़ाए जैसे कि प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल जिसे 2024 में लॉन्च किया गया था. '

इसमें आगे कहा गया है, 'इसे व्यापक रूप से देखें तो, भारत की पड़ोसी अर्थव्यवस्थाएं उसके समान आगे नहीं बढ़ रही हैं और ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था के अपने आप ही बढ़ने पर दांव लगाना एक खराब दांव होगा.'

चैथम हाउस ने ब्रिटेन से किया ये आह्वान

अपनी सिफारिशों में थिंक टैंक ने ब्रिटेन से आह्वान किया कि भारत के साथ महत्वपूर्ण राजनीतिक और आर्थिक संबंध विकसित किए जाएं लेकिन साथ ही केवल द्विपक्षीय ब्रिटेन-भारत संबंधों के बजाय व्यापक इंडो-पेसिफिक क्षेत्र को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है.

इसमें कहा गया है, 'हाल ही में हुए व्यापार समझौते से आगे भारत के साथ ब्रिटेन के संबंधों का विस्तार करना और ब्रिटेन, भारत और फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया या अमेरिका जैसे तीसरे देश के साझेदारों को शामिल करते हुए त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाना जरूरी है.'

रिसर्च पेपर में इस बात का जिक्र है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में दुनिया की अधिकांश जनसंख्या निवास करती है. कुछ अनुमानों के अनुसार 2050 तक की अवधि में वैश्विक विकास में इसका योगदान 50 प्रतिशत से अधिक होगा. इंडो-पैसिफिक शब्द हिंद और प्रशांत महासागरों के बीच के देशों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिसमें दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जापान सहित प्रशांत क्षेत्र के देश शामिल हैं.

रिसर्च पेपर में कहा गया है, 'यह क्षेत्र ब्रिटिश हितों के लिए जरूरी है क्योंकि इसमें ब्रिटेन को प्रभावित करने वाले सुरक्षा जोखिम शामिल हैं और ये क्षेत्र ब्रिटेन के लिए बड़ा आर्थिक अवसर देता है. साथ ही यह क्षेत्र जलवायु रिस्क के प्रति संवेदनशील है, जिन्हें अगर कम नहीं किया गया तो दुनिया पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा.'

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