अरविंद केजरीवाल और उनके साथी फिर से निशाने पर हैं. आम आदमी पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज के कई ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी की है. ये मामला 2018-19 में पास हुए करीब 5,590 करोड़ की लागत वाले 24 अस्पतालों के प्रोजेक्ट से जुड़ा है. आरोप है कि अस्पतालों में काम तो नहीं हुआ लेकिन लागत कई गुना बढ़ गई, और इसमें करोड़ों रुपये के गबन का भी आरोप है. सौरभ भारद्वाज आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं.
भ्रष्टाचार के आरोपी PM-CM की कुर्सी लेने वाले कानून पर जारी बहस का केंद्र बिंदु अरविंद केजरीवाल ही बन रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले भी जेल जाने पर इस्तीफा नहीं देने का खास तौर पर जिक्र किया था, और एक ताजा इंटरव्यू में भी किया है. संसद में बहस के दौरान अमित शाह ने तो अपनी गिरफ्तारी से पहले इस्तीफे का भी उदाहरण दिया था.
अमित शाह ने कहा है, आज कल नई परंपरा आ गई है... पहले, आरोप लगने के बाद नेता इस्तीफा देते थे... रिहाई के बाद ही राजनीति में शामिल होते थे, लेकिन तमिलनाडु के कुछ मंत्रियों ने जेल में रहने के बावजूद मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया था. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी इस्तीफा नहीं दिया था.
बीजेपी नेता के बयान पर अरविंद केजरीवाल ने अपनी प्रतिक्रिया में बड़ा सवाल उठाया है. अरविंद केजरीवाल का सवाल है कि अगर किसी को झूठे केस में जेल में डाल दिया जाए और बाद में वो दोषमुक्त हो जाए, तो उस पर झूठा केस लगाने वाले मंत्री को कितने साल की जेल होनी चाहिए?
सवाल तो बनता है. दलील भी दमदार है. वैसे PM-CM और मंत्रियों को 30 दिन तक गंभीर अपराधों वाले आरोप में जेल में रहने पर कुर्सी से हटा दिए जाने वाले प्रस्तावित कानून वाला बिल जेपीसी को भेज दिया गया है - और संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की अपेक्षा है.
अमित शाह से केजरीवाल का सवाल
बातें तो हर पक्ष को कानून के दायरे में लाने की हो रही हैं, लेकिन निशाने पर सबसे आगे आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल ही नजर आ रहे हैं. न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा है, आजकल नई परंपरा आ गई है... दो साल पहले ऐसा कोई मामला नहीं था... आरोप लगने के बाद नेता इस्तीफा देते थे... रिहाई के बाद ही राजनीति में शामिल होते थे, लेकिन तमिलनाडु के कुछ मंत्रियों ने जेल में रहने के बावजूद मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया था... दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी इस्तीफा नहीं दिया था... राजनीति को बदनाम करने, और सामाजिक नैतिकता का स्तर गिराने के लिए हम इससे सहमत नहीं हैं.
सोशल साइट X पर अमित शाह के ऑफिस वाले हैंडल से लिखा गया है, अब अगर कोई आरोपी हिरासत में ले लिये जाने के बाद भी 30 दिनों तक खुद अपना पद नहीं छोड़ता है, तो 31वें दिन उसे हटा दिये जाने का नए कानून में प्रावधान होगा... जम्मू-कश्मीर की ही तरह केंद्र और राज्य सरकारों के लिए भी प्रस्तावित विधेयकों में 31वें दिन हटा दिये जाने का प्रावधान कर दिया जाएगा.
जेल से सरकार चलाने को लेकर सवाल उठाये जाने पर अरविंद केजरीवाल का कहना है, राजनीतिक षड्यंत्र के तहत झूठे केस में फंसाकर जब केंद्र सरकार ने मुझे जेल भेजा तो मैंने जेल से 160 दिन सरकार चलाई... कम से कम जेल वाली सरकार के वक्त बिजली नहीं जाती थी, पानी आता था. अरविंद केजरीवाल कहते हैं, अस्पतालों और मोहल्ला क्लिनिक में फ्री दवाईयां मिलती थीं... फ्री टेस्ट होते थे... एक बारिश में दिल्ली का इतना बुरा हाल नहीं होता था. प्राइवेट स्कूलों को मनमानी और गुंडागर्दी करने की इजाजत नहीं थी.
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अमित शाह की पोस्ट पर रिएक्ट करते हुए लिखा है, जो व्यक्ति गंभीर गुनाहों के मुजरिमों को अपनी पार्टी में शामिल करके उनके सारे केस रफा दफा करके उन्हें मंत्री, उपमुख्यमंत्री या मुख्यमंत्री बना देता है... क्या ऐसे मंत्री/प्रधानमंत्री को भी अपना पद छोड़ना चाहिए? ऐसे व्यक्ति को कितने साल की जेल होनी चाहिए?
अरविंद केजरीवाल का सवाल है, अगर किसी पर झूठा केस लगाकर उसे जेल में डाला जाए और बाद में वो दोषमुक्त हो जाए, तो उस पर झूठा केस लगाने वाले मंत्री को कितने साल की जेल होनी चाहिए?
विपक्ष के सवालों पर अमित शाह का जवाब
प्रस्तावित कानूनों के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों में अगर आरोपी को महीना भर हिरासत या जेल में रहना पड़ा तो पद छोड़ना पड़ेगा. कानून बन जाने पर जेल या हिरासत के 31वें दिन आरोपी अपने आप पद के अयोग्य हो जाएगा - अमित शाह ने ये भी साफ करने की कोशिश की है कि हर मामले में ऐसा ही हो, जरूरी नहीं है.
अमित शाह ने कहा है, अगर कोई पांच साल से ज्यादा सजा वाले केस में जेल जाता है और उसे 30 दिन में बेल नहीं मिलती, तो उसे पद छोड़ना पड़ेगा... कोई छिटपुट आरोप के लिए पद नहीं छोड़ना पड़ेगा... मगर जिन पर करप्शन के आरोप हैं, या पांच साल से ज्यादा वाली सजा के आरोप हैं, ऐसे मंत्री, CM या PM जेल में बैठ कर सरकार चलाएं ये कितना उचित है?
देखा जाए तो अरविंद केजरीवाल भी अपने खिलाफ के मामले को वैसा ही बता रहे हैं, जैसा अमित शाह ने बताया था. संसद में बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा था कि गिरफ्तारी के बाद नेताओं को नैतिकता दिखाते हुए अपना पद छोड़ देना चाहिए. अमित शाह की बात पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल बोले, क्या मैं गृह मंत्री से एक सवाल पूछ सकता हूं? जब वो गुजरात के गृहमंत्री थे, तब उन्हें गिरफ्तार किया गया था... क्या तब उन्होंने उस नैतिकता का पालन किया था?
कांग्रेस नेता के सवाल पर गृह मंत्री अमित शाह का जवाब था, जब मैं गुजरात का गृह मंत्री था, तब मेरे खिलाफ फर्जी आरोप लगे थे... और मैंने नैतिकता दिखाते हुए इस्तीफा दे दिया... बेल पर बाहर आने के बाद भी, जब तक मैं अदालत से पूरी तरह निर्दोष साबित नहीं हुआ, तब तक मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं लिया था.
कॉमन क्या है?
कॉमन बात ये है कि अरविंद केजरीवाल और अमित शाह दोनों ही झूठे मामलों में जेल भेजे जाने की बात कह रहे हैं - अरविंद केजरीवाल के सवाल के बाद तो अमित शाह को भी जेल भेजने वालों के खिलाफ वैसा ही एक्शन बनता है. अरविंद केजरीवाल तो वही सवाल उठा रहे हैं जो अमित शाह के मामले में भी लागू होता है. ऐसा लगता है जैसे अमित शाह के बहाने अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस शासन को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है.
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