'हम शर्मिंदा हैं... अब भी ऐसी घटनाएं हो रहीं', बालासोर आत्मदाह मामले पर बोला सुप्रीम कोर्ट

6 hours ago 1

सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के बालासोर की 20 वर्षीय बी.एड छात्रा के साथ हुई घटना को शर्मनाक बताया है. बालासोर स्थित फकीर मोहन ऑटोनॉमस कॉलेज की इस छात्रा ने अपने एचओडी के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत की थी. कॉलेज प्रशासन की ओर से आरोपी एचओडी के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने पर छात्रा ने आत्मदाह कर लिया था और एम्स भुवनेश्वर में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.

शीर्ष अदालत ने सुझाव मांगे कि स्कूली लड़कियों, गृहणियों और ग्रामीण क्षेत्रों की बच्चियों को सशक्त बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह टिप्पणी उस समय की जब सुप्रीम कोर्ट विमेन लॉयर्स एसोसिएशन की वकील ने इस घटना को शीर्ष अदालत के संज्ञान में लाया. पीठ ने कहा, 'हम शर्मिंदा हैं और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये घटनाएं अब भी हो रही हैं. यह कोई विरोधात्मक मुकदमा नहीं है. हमें केंद्र और सभी पक्षों से सुझाव चाहिए.'

यह भी पढ़ें: बालासोर छात्रा आत्मदाह केस: पेट्रोल कहां से आया? सीसीटीवी से मिले सुराग, जांच में आया नया मोड़

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, 'हमें सभी से सुझाव चाहिए कि स्कूली छात्राओं, गृहणियों, ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों, जो सबसे कमजोर और बेजुबान हैं, को सशक्त बनाने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जा सकते हैं. हमारे निर्देशों का कुछ प्रभाव और स्पष्ट छाप होनी चाहिए.' पीठ महिलाओं, बच्चों और ट्रांसजेंडरों के लिए देश में सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए दिशानिर्देश की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. 

महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध

सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पावनी ने दलील दी कि 'चीजों को बदलने के लिए हम किसी आपदा का इंतजार करते हैं.'  उन्होंने बताया कि ओडिशा के इस मामले में महिला ने हेल्पलाइन पर कॉल किया था, लेकिन उसे कोई मदद नहीं मिली. सरकार को पत्र भेजे गए थे. वकील ने ओडिशा मामले को संस्थागत हत्या बताया क्योंकि सिस्टम ने छात्रा की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं किया.

यह भी पढ़ें: राजनीतिक साजिश से दबाई गई थी पीड़िता की आवाज! बालासोर सुसाइड केस में 71 छात्रों के लेटर से खुलासा

पावनी ने अदालत को यह भी बताया कि लोगों को कानूनों और उपलब्ध प्रक्रियाओं के बारे में कोई जागरूकता नहीं है. लोग ऑनलाइन कंप्लेंट मैकेनिज्म के बारे में जागरूक नहीं हैं. एएसजी ने अदालत को बताया कि यौन अपराधियों का नेशनल डेटाबेस बनाया गया है. हालांकि, महालक्ष्मी पावनी ने कोलकाता लॉ कॉलेज रेप केस का हवाला दिया, जहां आरोपी के खिलाफ 11 अन्य शिकायतें थीं. उन्होंने कहा कि यदि डेटाबेस जनता और विश्वविद्यालयों के लिए खुला होता, तो शायद उसे कॉलेज में नहीं रखा जाता.

यह भी पढ़ें: 'मुझ पर एक एहसान करो...', आरोपी प्रोफेसर ने छात्रा से मांगा था फेवर, पढ़ें बालासोर स्टूडेंट सुसाइड केस की टाइमलाइन

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा नालसा महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए और भी योजनाएं ला रहा है. पावनी ने अदालत को बताया कि जब उत्पीड़ित महिलाएं हेल्पलाइन पर कॉल करती हैं, तो पुलिस की मदद लेने के बजाय उन्हें मॉरल पुलिसिंग के उपदेश दिए जाते हैं... यह संस्थागत विफलता है. याचिका में कानून और प्रक्रियाओं के बारे में महिलाओं के बीच जागरूकता बढ़ाने और उन्हें प्रशिक्षित करने सहित कई कदम उठाने का भी आह्वान किया गया है. याचिका में कहा गया है कि देश भर में केवल 17563 पुलिस स्टेशन हैं, लेकिन उनमें से सिर्फ 3256 स्पेशल पुलिस स्टेशन हैं. इसी तरह देश में कुल 7863 रेलवे स्टेशन हैं, लेकिन केवल 800 के आसपास ही सीसीटीवी से लैस हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं विशेष रूप से असुरक्षित हैं.

---- समाप्त ----

Read Entire Article