CPEC 2.0 इंडिया के लिए बनेगा नया खतरा? चीन-पाकिस्तान ने इस प्रोजेक्ट में जोड़े 5 नए कॉरिडोर

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दक्षिण एशिया की कूटनीति इस वक्त दो अलग-अलग तस्वीरें पेश कर रही है. एक ओर एससीओ समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी ने दोनों देशों के रिश्तों में पिघलती बर्फ की उम्मीदें जगाई थीं. वहीं दूसरी ओर, बीजिंग और इस्लामाबाद की नजदीकी ने भारत की रणनीतिक चिंताओं को और गहरा कर दिया है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीनी प्रीमियर ली च्यांग की ताजा मुलाकात में ‘CPEC 2.0’ का ब्लूप्रिंट पेश किया गया, जिसमें पांच नए कॉरिडोर जोड़े गए हैं. चीन और पाकिस्तान ने इसे 'ऑल-वेदर पार्टनरशिप' का विस्तार बताया, लेकिन यह कदम भारत की सुरक्षा और क्षेत्रीय समीकरणों पर सीधा असर डाल सकता है.

भारत लंबे समय से CPEC का विरोध करता रहा है क्योंकि इसका एक अहम हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से होकर गुजरता है. अब जब इसे ‘CPEC 2.0’ के तहत विस्तार दिया जा रहा है, तो यह न केवल पाकिस्तान-चीन की आर्थिक साझेदारी को मजबूत करेगा बल्कि भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन के लिए भी चुनौती बन सकता है.

Held a warm & most productive meeting with Premier Li Qiang in Beijing today.

We reaffirmed our shared resolve to further strengthen the iron-clad, All-Weather Pakistan-China Strategic Cooperative Partnership.

We also agreed to advance our cooperation in IT, agriculture,… pic.twitter.com/gNTUHrCokf

— Shehbaz Sharif (@CMShehbaz) September 4, 2025

शरीफ की चीन को धन्यवाद ज्ञापन

चीनी प्रीमियर के साथ मीटिंग के दौरान शहबाज शरीफ ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और चीनी नेतृत्व का धन्यवाद करते हुए कहा कि चीन ने हमेशा पाकिस्तान की भौगोलिक अखंडता, संप्रभुता और सामाजिक-आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान चीन की सफलता से सीखकर साझा भविष्य वाली मजबूत पाकिस्तान-चीन कम्युनिटी बनाना चाहता है. शरीफ ने ग्वादर पोर्ट को पूरी तरह ऑपरेशनल करने, ML-1 रेलवे प्रोजेक्ट को जल्द लागू करने और कराकोरम हाईवे के री-अलाइनमेंट की आवश्यकता पर जोर दिया.

नई साझेदारी और समझौते

इस मुलाकात में दोनों देशों ने CPEC 2.0 को लेकर कई अहम एमओयू और समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इनमें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), मीडिया, कृषि और औद्योगिक क्षेत्र में सहयोग शामिल है. पाकिस्तान की ओर से आयोजित B2B इन्वेस्टमेंट कॉन्फ्रेंस में भी 300 पाकिस्तानी और 500 चीनी कंपनियों ने भाग लिया, जिसे दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी का बड़ा संकेत माना जा रहा है.

शरीफ ने बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव, ग्लोबल सिक्योरिटी इनिशिएटिव और ग्लोबल गवर्नेंस इनिशिएटिव जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं का भी समर्थन किया. पाकिस्तान का यह रुख भारत के लिए चिंता का विषय है क्योंकि इससे चीन को दक्षिण एशिया में और मजबूत कूटनीतिक समर्थन मिलता है.

पाकिस्तानी पीएम ने चीनी प्रीमियर को बताया कि बीजिंग में आयोजित B2B इन्वेस्टमेंट कॉन्फ्रेंस में 300 पाकिस्तानी और 500 चीनी कंपनियों ने भाग लिया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक साझेदारी के नए अवसर खुलेंगे.

क्या है CPEC प्रोजेक्ट?

बता दें कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानी CPEC प्रोजेक्ट दोनों देशों के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना है. CPEC की घोषणा साल 2015 में हुई थी, जिसके तहत करीब 2442 किमी लंबी सड़क जो चीन के शिंजियांग शहर को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने का प्रस्ताव है. सीपीईसी के तहत चीन ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है और पानी की तरह अरबों डॉलर बहा रहा है. इस पोर्ट पर चीन 46 बिलियन डॉलर खर्च कर चुका है, क्योंकि यह कॉरिडोर का सबसे अहम हिस्सा है. 

इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन खाड़ी देशों से आने वाले तेल और गैस को बंदरगाह, रेलवे और सड़क के रास्ते कम समय और कम खर्च में अपने देश तक पहुंचाना चाहता है. लेकिन बलूचिस्तान के लोग प्रोजेक्ट को अपने संसाधनों पर कब्जे के रूप में देखते हैं. यही वजह है कि लंबे समय इस इलाके में CPEC का विरोध हो रहा है और बलूच लोगों को अपने संसाधन छिनने का डर है. 

यह प्रोजेक्ट PoK और अक्साई चीन जैसे विवादित इलाकों से होकर गुजरता है. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का भारत हमेशा से विरोध करता रहा है. साथ ही प्रोजेक्ट के लिए पाकिस्तान ने अपना ग्वादर बंदरगाह चीन को सौंप दिया है, ऐसे में भारत की चिंता है कि कुछ वर्षों बाद ग्वादर पोर्ट चीनी सैनिकों का ठिकाना बन सकता है.

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