QR कोड, APP और OTP के जरिए ठगी... दिल्ली में कैसीनो रैकेट का पर्दाफाश, 9 लोग गिरफ्तार

2 days ago 1

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक बड़े ऑनलाइन कैसीनो रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए पुलिस ने 9 लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार आरोपियों में इस रैकेट का मास्टरमाइंड भुवेंद्र उर्फ भी शामिल है. यह नेटवर्क मुंबई से संचालित हो रहा था और दिल्ली में अपनी जड़ें जमा चुका था. यह कार्रवाई 5 सितंबर को बाहरी दिल्ली के सुल्तानपुरी इलाके में की गई. 

बाहरी जिले के डीसीपी सचिन शर्मा ने बताया कि पुलिस को सुल्तानपुरी इलाके के डीडीए मार्केट के पास अवैध ऑनलाइन जुए की सूचना मिली थी. इसके बाद एक संयुक्त टीम का गठन किया गया, जिसने मौके पर छापा मारकर 9 आरोपियों को धर दबोचा. इस दौरान आरोपी ऑनलाइन जुआ खेलते पकड़े गए. पुलिस को देखत ही भागने की कोशिश करने लगे.

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान भुवेंद्र (48), सूरज (26), मयंक (20), राहुल (26), रोहन (23), राजेंद्र गुप्ता (40), धर्मवीर (33), दिलशाद अहमद (33) और राजेश गुप्ता (32) के रूप में हुई है. सभी आरोपी जुए के इस काले में सक्रिय भूमिका में थे. पुलिस ने मौके से 85, 320 रुपए नकद, 6 कंप्यूटर सिस्टम और जुए से जुड़ी अन्य सामग्री बरामद की है. 

डीसीपी ने बताया कि पुलिस जांच में पता चला कि इस रैकेट का सरगना भूपेंद्र के खिलाफ दिल्ली पब्लिक गैंबलिंग एक्ट के तहत पहले से ही पांच के दर्ज हैं. इस गिरोह के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की जांच शुरू कर दी गई है. पुलिस की पूछताछ में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि यह गिरोह एक अवैध ऑनलाइन कैसीनो एप्लिकेशन चला रहा था. 

इस ऐप को गूगल या अन्य प्लेटफॉर्म से डाउनलोड नहीं किया जा सकता था. इसे संदिग्ध डाउनलोड लिंक के जरिए फैलाया जाता था, जिन्हें मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर QR कोड के जरिए संभावित शिकारों के साथ साझा किया जाता था. जैसे ही कोई व्यक्ति QR कोड स्कैन करता, उसे ऐप डाउनलोड करने का लिंक मिलता. ऐप डाउनलोड होने के बाद OTP आता.

इस तरह लोग ऑनलाइन कैसीनो से जुड़ जाते. ऐप असली पैसे से वर्चुअल पॉइंट खरीदने का विकल्प देता, जिनका इस्तेमाल जुए में किया जाता. पुलिस ने बताया कि आरोपी हर ऐप को 2 से 3 महीने तक चलाते थे. इस दौरान वे अनजान लोगों से बड़ी रकम ऐंठते थे. जैसे ही ऐप पर शक गहराता, इसे बंद कर दिया जाता. नए नाम से दूसरा ऐपा लॉन्च कर दिया जाता. 

इस व्यवस्थित तरीके से आरोपी अपनी पहचान छिपाते हुए बार-बार नए शिकार फंसाते रहे. डीसीपी ने कहा, "गिरोह लगातार बदलते प्लेटफॉर्म और फर्जी ऐप्स की आड़ में लोगों को ठगता था. यह पूरा नेटवर्क संगठित तरीके से काम कर रहा था." पुलिस अब इस रैकेट से जुड़े अन्य लिंक और सहयोगियों की तलाश में जुट गई है. आरोपियों से भी पूछताछ की जा रही है.

---- समाप्त ----

Read Entire Article