अमित शाह का सम्राट चौधरी को 'बड़ा आदमी' बनाने का वादा, क्या दोहराई जा रही है विष्णु साय वाली कहानी?

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बिहार विधानसभा चुनावों में एनडीए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ रहा है. पर जिस तरह की बातें इस सप्ताह निकल कर आईं हैं वो पार्टी कार्यकर्ताओं ही नहीं आम जनता के बीच भी गफलत फैला रही हैं. फिलहाल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जेडीयू नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के बयानों ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है. अमित शाह ने 30 अक्टूबर को तारापुर की रैली में कहा कि सम्राट जी को जिताइए, मोदी जी इन्हें बड़ा आदमी बनाएंगे. जाहिर है कि अमित शाह के इस बयान ने उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को मुख्यमंत्री पद का संभावित दावेदार बना दिया है.

दूसरी ओर जेडीयू नेता और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह का बयान भी कम उलझाऊ नहीं है. अमित शाह के पुराने बयान की ही तरह ललन सिंह का एक बयान वायरल हो रहा है जिसमें वो कहते हुए देखे जाते हैं कि चुनाव के बाद तय होगा कि बिहार का सीएम कौन बनेगा? हालांकि, दोनों ही नेताओं ने यह भी दोहराया है कि पिछले चुनाव में जेडीयू की कम सीट आने के बावजूद नीतीश कुमार ही सीएम बनाए गए थे.

इस बार नीतीश के विरोधी ही नहीं, उनके साथियों के बयानों से लग रहा है कि नीतीश कुमार की कुर्सी पर उतनी मजबूत नहीं है. ऐसे में विश्‍लेषण इसी बात का रह जाता है कि क्या ये बयान एनडीए में आंतरिक कलह के संकेत हैं? या ये सब बीजेपी किसी रणनीतिक चाल के तहत हो रहा है?

1-सम्राट चौधरी की ताजपोशी का संकेत या प्रचार की चाल?

इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ग्राउंड रिपोर्ट की मानें तो तारापुर विधानसभा सीट के लोग यह मानकर चल रहे हैं कि बहुत संभावना है कि सम्राट चौधरी जीतने के बाद बिहार के सीएम बन जाएं. इस रिपोर्ट में गांव का एक व्यक्ति कहता है कि कौन जाने, शायद हम विधानसभा में भविष्य के मुख्यमंत्री को भेजने वाले हैं. आखिर  शाह जी ने इशारा तो दे ही दिया है.

दरअसल 30 अक्टूबर 2025 को मुंगेर जिले के तारापुर विधानसभा क्षेत्र में आयोजित एक जनसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के पक्ष में जोरदार अपील की. उन्होंने कहा, सम्राट जी को जिताइए, मोदी जी इन्हें बड़ा आदमी बनाएंगे. यह बयान न केवल स्थानीय स्तर पर सम्राट चौधरी के चुनाव प्रचार को गति देने वाला था, बल्कि बिहार के कुछ हिस्से में बीजेपी के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है. सम्राट चौधरी, जो भाजपा के कद्दावर नेता हैं जो नीतीश कुमार के साथ फिर से गठबंधन होने के बाद उप-मुख्यमंत्री बने, लंबे समय से पार्टी के अंदरूनी दावेदार माने जाते रहे हैं. लेकिन अमित शाह का यह बयान 'बड़ा आदमी' शब्द के साथ आया है. 

इस बयान का संदर्भ समझने के लिए हमें बिहार की सियासी पृष्ठभूमि पर नजर डालनी होगी. 2022 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 125 सीटें जीती थीं, जिसमें भाजपा को 78 और जेडीयू को 43 मिलीं. नीतीश कुमार ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद संभाला, लेकिन गठबंधन में भाजपा की बढ़ती महत्वाकांक्षा ने जेडीयू को असहज कर दिया. सम्राट चौधरी, जो कुर्मी समुदाय से आते हैं और बिहार के पश्चिमी हिस्से में मजबूत पकड़ रखते हैं, को भाजपा ने रणनीतिक रूप से मजबूत किया है.

अमित शाह का बयान इसी रणनीति का हिस्सा लगता है. एक ओर यह सम्राट को प्रेरित करने वाला है, दूसरी ओर भाजपा कार्यकर्ताओं को संकेत दे रहा है कि पार्टी का वजन बढ़ रहा है. लेकिन क्या इसका मतलब सम्राट चौधरी की 'ताजपोशी' तय है? राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह बयान प्रचार का हिस्सा है. क्योंकि बीजेपी अभी नीतीश कुमार को अलग थलग करने की हैसियत में नहीं है. और न ही सम्राट चौधरी में इतनी कूवत है कि वो नीतीश कुमार का स्थान ले पाएं.प्रशांत किशोर ने वैसे भी उन्हें नैतिक तौर पर बहुत कमजोर कर दिया है. भाजपा के अंदरूनी स्रोतों के अनुसार, यह बयान सम्राट को 'कैबिनेट मंत्री' या 'प्रदेश अध्यक्ष' जैसे पद का संकेत हो सकता है, न कि सीएम का. 

3-क्या सीएम नीतीश कुमार का पत्ता कट चुका है?

अब सवाल उठता है  कि क्या नीतीश कुमार का पत्ता कट चुका है? 74 वर्षीय नीतीश, जो बिहार के 'विकास पुरुष' कहलाते हैं, ने 2005 से चार बार मुख्यमंत्री पद संभाला. उनके कार्यकाल में बिहार का विकास दर 10% से ऊपर रही, सड़कें बनीं, बिजली पहुंची. लेकिन उम्र, स्वास्थ्य और गठबंधन की अस्थिरता ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया. अमित शाह और ललन के बयानों ने इन कमजोरियों को उजागर किया है. 

हालांकि एनडीए ने कई बार स्पष्ट किया कि नीतीश ही चेहरा हैं. सम्राट चौधरी ने 1 नवंबर को एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि नीतीश कुमार ही एनडीए का सीएम फेस हैं. उनका स्वास्थ्य ठीक है, और ये उनका आखिरी चुनाव नहीं. लेकिन महाराष्ट्र चुनावों के दौरान देवेंद्र फडणवीस भी यही कहते थे उनके सीएम एकनाथ शिंदे ही हैं. उनके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जा रहा है. लेकिन नीतीश की ताकत उनके 'सुशासन' मॉडल में है. एनडीए का घोषणापत्र विकसित बिहार नीतीश के मॉडल का ब्लू प्रिंट है. 

4-क्या रणनीति के तहत ऐसा कहा जा रहा है?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच अमित शाह और ललन सिंह का बयान क्या महज चुनावी फायदे के लिए है? दरअसल प्रदेश में बहुत से लोग नीतीश की तारीफ करते हैं पर साथ में यह भी चाहते हैं कि अब कोई दूसरा आदमी सीएम बनना चाहिए. बहुत से लोगों को लगता है कि नीतीश अब बुजुर्ग हो चुके हैं. उनकी तबीयत भी अब ठीक नहीं रहती है.

इसके साथ ही बीजेपी के हार्ड कोर समर्थक ये चाहते हैं कि बीजेपी का कोई नेता अब नेतृत्व संभाले. जाहिर है कि चुनावों में सबको संतुष्ट करना जरूरी होता है. शायद यही कारण है कि बीजेपी यह भ्रम बनाकर चल रही है. एक तरफ वो नीतीश को फिर से सीएम बनाने की बात करती है तो दूसरी तरफ ये भी नेतृत्व बदलने का शिगूफा भी छोड़ती रहती है.

ये बयान रणनीतिक रूप में भी सही है. क्योंकि बिना नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) को 'खत्म' किए या BJP में विलय किए वर्तमान  केंद्र सरकार एक दिन नहीं टिक सकती. केंद्र में NDA की सरकार 2024 लोकसभा चुनाव में 293 सीटों पर टिकी है, जिसमें BJP के 240 और JDU के 12 सांसदों का योगदान अहम है. JDU के समर्थन हटते ही तेलुगूदेशम भी मोलभाव में जुट जाएगी और उसके नखरे बढ़ जाएंगे. जाहिर है कि बीजेपी अभी इस हैसियत में नहीं है कि नीतीश कुमार जैसे अपने सहयोगी को छोड़कर आगे की कुछ सोच सके.

एक बात यह भी है कि नीतीश कुमार के पास दूसरा ऑप्शन भी हमेशा मौजूद रहेगा. वो कभी भी महागठबंधन की ओर पलटी मार सकते हैं. इसलिए बीजेपी नेतृत्व अभी भी नीतीश के अलावा किसी और को बिहार का नेतृत्व देने के बारे में सोच भी नहीं सकती है. 

5-अमित शाह का कहा पत्थर की लकीर होता है

भारतीय राजनीति के 'चाणक्य' कही जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान हमेशा से ही सियासी हलचलों का केंद्र रहे हैं. उनका हर कथन न केवल रणनीतिक होता है, बल्कि आज की तारीख में जो वे कहते हैं, वही होता है. विशेष रूप से चुनावी माहौल में उनके वादे 'पत्थर की लकीर' साबित हुए हैं .पुरानी बातों को याद करिए. छत्तीसगढ़ इसका जीता-जागता उदाहरण है. 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, अमित शाह ने एक रैली में विष्णु देव साय के पक्ष में कहा था, 'विष्णु देव जी अनुभवी नेता हैं. उन्हें विधायक बनाइए, मैं उन्हें बड़ा आदमी बनाऊंगा'. विष्णु देव साय, जो 2018 में हार गए थे, 2023 में कोंकरी से विधायक बने और दिसंबर में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री. 
 शाह के इस तरह के वादे भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह भरते हैं. क्योंकि शाह न केवल भविष्यवाणी करते हैं, बल्कि उसे साकार करने की मशीनरी भी चला देते हैं. वे जाति-गठजोड़, संगठन और केंद्र की ताकत का ऐसा मिश्रण बनाते हैं कि बयान केवल शब्द नहीं, ब्लूप्रिंट बन जाते हैं. बिहार में भी, जहां नीतीश कुमार का वर्चस्व है, शाह का सम्राट चौधरी वाला बयान JDU को संदेश है – भाजपा अब 'बड़ा भाई' है. यदि इतिहास दोहराया, तो 14 नवंबर के नतीजे सम्राट को 'बड़ा आदमी' बना सकते हैं.
 

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