आंखों पर भी वायु प्रदूषण का वार, AIIMS एक्सपर्ट ने बताया कैसे बिना दवा करें आई केयर 

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प्रदूषण के कारण फेंफड़ों का बुरा हाल तो है ही, साथ ही स्मॉग को खुद में समा रही आंखें भी बेहाल हैं. प्रदूषण के कारण आंखों में दर्द, आंखों से पानी आना, आंखों में खुजली और आंखों में किसी बाहरी चीज का अहसास जैसे लक्षणों वाले मरीज बढ़े हैं. आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि ऐसे माहौल में आंखों की कैसे केयर कर सकते हैं.

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प्रदूषण से सांसों के साथ आंखें भी हो रहीं बीमार (Photo: Getty Images)

दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा इन दिनों आंखों के लिए भी खतरा बन गई है. फेफड़ों की तरह अब आंखें भी प्रदूषण की सीधी मार झेल रही हैं. हवा में मौजूद धूल, धुआं, नाइट्रोजन डायऑक्साइड (NO₂), सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और हाइड्रोकार्बन जैसे प्रदूषक आंखों की बाहरी सतह को सूखा और संक्रमित कर रहे हैं. इन दिनों अस्पतालों में ऐसे मरीज बढ़ गए हैं जिन्हें आंखों में दर्द, खुजली, जलन, पानी आना या आंख में कुछ गिर जाने जैसा अहसास हो रहा है.

एम्स के पूर्व नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. बृजेश लहरी बताते हैं कि आंखें शरीर का वो हिस्सा हैं जो हवा के लगातार संपर्क में रहती हैं. इसलिए वायु प्रदूषण का सबसे पहला असर अक्सर इन्हीं पर दिखता है. पीएम 2.5 जैसे महीन कण आंख की नमी कम कर देते हैं और टियर फिल्म को डैमेज कर देते हैं. 

प्रदूषण से हो सकते हैं ये लक्षण

आंखों में लगातार खुजली या जलन होना
लालपन और बार-बार पानी आना
आंखों में रेत या धूल जैसा अहसास होना
कुछ समय देखने के बाद धुंधलापन या थकान महसूस होना
सुबह उठते ही आंखें सूखी या भारी लगना

डॉ. लहरी बताते हैं कि अगर ये लक्षण तीन दिन से ज्यादा बने रहें तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है. देर करने पर आंखों की ऊपरी परत यानी कॉर्निया में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है. 

बिना दवा भी फिट रहेंगी आंखें, आजमाएं ये ट‍िप्स

  • आंखों को प्रदूषकों के संपर्क में आने से बचाएं. अगर AQI बहुत खराब है तो बाहर जाने से बचना पर्यावरण प्रदूषकों द्वारा आपकी आंखों को जलन से बचाने का सबसे अच्छा तरीका होगा. लेकिन अगर ये संभव नहीं है तो वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने से बचने के लिए सेफ्टी के लिए धूप का चश्मा पहनें. 
  • खुद को हाइड्रेटेड ररखें. वायु प्रदूषण आंखों में मौजूद टियर यानी आंसू फिल्म के उत्पादन में कमी के कारण सूखी आंखों और एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस के लक्षणों को बढ़ा सकता है और नियमित रूप से पर्याप्त पानी पीने से आपको आंसुओं के उत्पादन में सुधार करने में मदद मिलेगी और इस प्रकार लक्षणों में कमी आ सकती है. 
  • चेहरे और आंखों को छूने से बचें.अपने हाथों को साफ किए बिना आंखों और चेहरे को छूने से संक्रामक एजेंट आपकी आंखों और पलकों तक पहुंच सकते हैं जिससे संक्रमण हो सकता है और इससे आंखों में जलन के लक्षण और बढ़ सकते हैं. 
  • मस्कारा और काजल जैसे आई मेकअप के इस्तेमाल से बचें. मस्कारा और आई मेकअप के इस्तेमाल से आंखों की एलर्जी बढ़ सकती है और कभी-कभी पलकों में संक्रमण भी हो सकता है. 

डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि ऐसे समय में स्क्रीन का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से बचें. ज्यादातर आजकल लोग मोबाइल या लैपटॉप के सामने समय बिताते हैं और उन्हें पलक झपकाने की भी याद नहीं रहती. इससे ड्राई आई डिजीज के लक्षण और भी बढ़ जाते हैं. लंबे समय तक स्क्रीन का इस्तेमाल करने से पलकें कम झपकती हैं जिससे ड्राई आई की समस्या बढ़ जाती है. 

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