बच्चों के अपहरण और रेप के मामलों में साल 2019 से फरार नित्यानंद ने कुछ ही समय बाद अपना एक देश बनाने का दावा किया. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा कथित तौर पर इक्वाडोर के पास बसा देश था. हालांकि इक्वाडोरियन सरकार ने इसे सिरे से नकार दिया. हाल में नित्यानंद के अनुयायी बोलीविया में जमीन खरीदते पाए गए, जिन्हें पकड़कर उनके असल देशों में भेज दिया गया. दिलचस्प बात है कि नित्यानंद के मानने वाले भारत ही नहीं, अमेरिका और चीन से भी हैं. लेकिन नित्यानंद को अब तक क्यों नहीं पकड़ा जा सका?
नित्यानंद पर साल 2010 में ही रेप के मामले में गैर-जमानती वारंट निकला. इसके बाद ही वो अपने अनुयायियों के जरिए बचता रहा. साल 2019 में मामला तब बिगड़ा, जब गुजरात के एक माता-पिता ने शिकायत की कि नित्यानंद ने उनके बच्चों का अपहरण कर लिया है. पुलिस एक्शन में आई लेकिन तब तक वो देश से गायब हो गया. उसने पहले इक्वाडोर जाने की खबरें उड़ाईं, लेकिन इक्वाडोर सरकार ने माना कि उन्होंने ऐसे किसी शख्स को आधिकारिक शरण नहीं दी हुई है. खबरें ये भी आईं कि वो त्रिनिदाद या किसी ऐसे देश में हो सकता है, जिनका हमारे साथ प्रत्यर्पण समझौता नहीं.
इसी दौरान पता लगा कि नित्यानंद ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर एक देश खड़ा कर लिया है. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा की अपनी मुद्रा, संविधान और झंडा भी दिखाया गया. हालांकि कोई नहीं जानता कि ये देश आखिर है कहां. अपने काल्पनिक देश को लेकर नित्यानंद एंड कंपनी सोशल मीडिया पर लगातार कुछ न कुछ पोस्ट करती रहती है, जैसे उनके देश ने कितनी उन्नति कर ली, या वे क्या नया कर रहे हैं.
वे इसके लिए नागरिकता भी ऑफर कर रहे हैं, जिसकी कुछ शर्तें भी हैं. यानी कुल मिलाकर एक पूरा देश बन चुका, जो दिनोंदिन विकास कर रहा है और जिसके दरवाजे सबके लिए खुले हैं. बस, पेंच ये रहा कि ऐसा कोई देश अस्तित्व में ही नहीं. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, नित्यानंद ने इक्वाडोर के पास एक द्वीप लिया, जहां कैलासा है. लेकिन इस द्वीप देश का कोई विजुअल कहीं नहीं. न ही इक्वाडोर सरकार ऐसे किसी देश की बात कर रही है.
दरअसल साउथ अमेरिका में इक्वाडोर समेत कई देश हैं, जिनके पास कई द्वीप हैं. यहां आइलैंड्स खरीदे भी जा सकते हैं क्योंकि इससे देश की अखंडता को कोई खतरा नहीं होता. भगोड़े नित्यानंद ने जानबूझकर ऐसी जगह का नाम लिया, ताकि लोग कुछ दिन ही सही भ्रम में रहें.
अब हाल में एक नई बात हुई. कैलासा के प्रतिनिधियों ने बोलीविया के अमेजन में आदिवासी समुदायों से एक हजार साल के लिए जमीन पट्टे की डील कराने की कोशिश की. बोलीवियाई मीडिया में रिपोर्ट आने के बाद प्रशासन सक्रिय हुआ और ऐसी डील्स को गैरकानूनी बताते हुए सारे के सारे कैलासा समर्थकों को उनके देश डिपोर्ट कर दिया.
बोलीविया की इमिग्रेशन ऑफिसर कैथरीन कैल्डेरॉन ने प्रेस वार्ता में माना कि ये लोग अलग-अलग समय पर देश में टूरिस्ट बनकर आए और यहां लैंड डील में लग गए. वहां अमेजन जंगलों में उन्होंने आदिवासी समुदायों को ट्रैप में लिया क्योंकि वे सबसे सॉफ्ट टारगेट थे, और उनसे 4.8 लाख हेक्टेयर जमीन की डील कर ली. एक हजार साल के लिए हुए सौदे के तहत जमीन पर कैलासा का पूरा अधिकार था, और इस कथित देश के लोग इसे जैसे चाहे इस्तेमाल कर सकते थे.
नित्यानंद के अनुयायी, जिन्हें 'कैलासा' के प्रतिनिधि कहा जा रहा है, उस जमीन पर हिंदू राष्ट्र की तरह की कोई बसाहट तैयार करने की फिराक में थे, जिसका दावा वे पहले से करते आ रहे थे.
रिपोर्ट्स और फिर प्रशासनिक रोक के बाद अनुयायी अपने देशों में वापस लौटाए जा चुके. लेकिन इस सबके बीच नित्यानंद अब भी गायब है. किसी को नहीं पता कि सूर्योदय को रोक सकने या पुर्नजन्म को कंट्रोल कर सकने की कथित शक्ति रखने वाला ये शख्स कहां है. नित्यानंद के ठिकाने को लेकर अलग-अलग दावे होते रहे. अनुमान लगाया जा रहा है कि आरोपी किसी ऐसे देश में है, जिसके साथ भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं, यानी जहां जाने पर अपराधियों पर भारत सरकार का खास बस नहीं चलता.
इसके अलावा इंटरपोल ने भी नित्यानंद के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस नहीं निकाला. ये एक रास्ता था, जिससे उसके बारे में जानकारी जल्दी मिल सकती थी. यही वजह है कि न तो उसकी लोकेशन पता लग सकी, न ही कोई कार्रवाई हो सकी.