इस कदम से दुनिया को संकट में डाल सकता है ईरान... लेकिन नहीं करेगा ये गलती, समझें पूरा मामला

12 hours ago 1

ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष (Iran Israel Conflict) अब और तेज हो गया है. इजरायल ने शुक्रवार तड़के 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' के तहत ईरान के कई ठिकानों पर हमला किया था,  हमला में 6 वैज्ञानिक और कई मिलिट्री कमांडर मार गिराये थे. इसके जवाब में ईरान ने पलटवार किया और हमले का कड़ा जवाब देते हुए ‘ट्रू प्रॉमिस थ्री’ ऑपरेशन के तहत 100 से ज्‍यादा मिसाइलें दागी हैं. 

इजरायल के हमले के बाद ईरान ने इमरजेंसी का ऐलान किया है. वहीं अपना एयरस्‍पेस भी बंद कर दिया है. कच्चे तेल का दाम एक ही दिन में 8 फीसदी तक महंगा हो चुका है. वहीं एक्‍सपर्ट्स का अनुमान है कि यह कीमत और ज्‍यादा प्रभवित हो सकती है. यह भी अंदेशा जताया जा रहा है कि भारत के लिए लॉजिस्टिक एक्‍सपोर्ट- इम्‍पोर्ट प्रभावित होगा और एक्सपोर्ट का कॉस्‍ट 20% तक महंगा हो सकता है. 

ईरान के इस कदम से दुनिया में आ सकता है संकट
ईरान-इजरायल संघर्ष (Iran Israel Tension) के बीच बढ़ती आशंकाओं को लेकर दुनिया को एक और टेंशन सता रहा है. ऐसा कहा जा रहा है कि Iran होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद कर सकता है. अगर वह यह बंद करता है तो दुनिया में कच्‍चे तेल का संकट भी आ सकता है, क्‍योंकि यह दुनिया का सबसे व्‍यस्‍त तेल मार्ग है और मार्ग बंद होने से क्रूड ऑयल की सप्‍लाई बाधित हो सकती है. हालांकि कई रक्षा विश्लेषकों और ऊर्जा अर्थशास्त्रियों का मानना ​​है कि ईरान द्वारा होर्मुज जलडमरूमध्य को पूरी तरह से बंद करना बेहद असंभव है. 

ईरान उठा सकता है ये कदम?
एक्‍सपर्ट्स का कहना है कि ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का रिस्‍क नहीं उठाएगा. उनका विचार है कि तेहरान बयानबाजी बढ़ा सकता है या जहाजों को परेशान कर सकता है, लेकिन दुनिया के सबसे व्यस्त तेल मार्ग को रोकना आर्थिक रूप से खुद को नुकसान पहुंचाने वाला काम होगा. 

यह अटकलें इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर लगाई जा रही है. कट्टरपंथी आवाजों ने होर्मुज को अवरुद्ध करने का विचार पेश किया है. यह एक ऐसा  संकीर्ण चोकपॉइंट है, जिसके माध्यम से प्रतिदिन 20% ग्‍लोबल तेल जाता है. 

पूरी तरह से क्‍यों नहीं हो सकता बंद? 

  • खुद को नुकसान पहुंचाना: ईरान अपना अधिकांश तेल निर्यात करता है और महत्वपूर्ण वस्तुओं का आयात इसी के माध्यम से करता है. इसे बंद करने से इसकी अपनी अर्थव्यवस्था कमजोर हो जाएगी और चीन जैसे प्रमुख साझेदार अलग-थलग पड़ जाएंगे, जो ईरान से 75% से अधिक कच्चा तेल खरीदता है. 
  • सैन्य जोखिम: अमेरिकी नौसेना का पांचवां बेड़ा, ब्रिटेन और फ्रांस के सहयोगियों के साथ मिलकर जलमार्ग पर गश्त करता है. पूर्ण नाकाबंदी से पश्चिमी सैन्य प्रतिक्रिया की संभावना बढ़ जाएगी.
  • ट्रैक रिकॉर्ड: ईरान ने पहले भी इसी तरह की धमकियां दी हैं, लेकिन कभी भी इसकी नाकाबंदी नहीं की है. एक शिपिंग विश्लेषक ने कहा कि उन्होंने धमकी का इस्तेमाल लाभ उठाने के लिए किया है, कार्रवाई के लिए नहीं.

बाजार पहले से ही मुश्किल में
बंद के बिना भी, वैश्विक तेल बाजार तेजी से प्रतिक्रिया कर रहे हैं. इजरायली हमलों के बाद दो दिनों में ब्रेंट क्रूड में 11% की उछाल आई है, अगर तनाव बढ़ता है तो कीमतें 100-120 डॉलर प्रति बैरल को पार कर सकती हैं. होर्मुज के माध्यम से कतर के निर्यात पर निर्भर वैश्विक LNG मार्केट प्रभावित हो सकता है.  

बता दें कि इजरायल-ईरान तनाव के कारण मार्ग परिवर्तन और युद्ध जोखिम बीमा प्रीमियम में वृद्धि हुई है. कुछ जहाज मालिक खाड़ी के मार्गों से बचने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि ईरान की संभावित जवाबी कार्रवाई या समुद्री तनाव से बचा जा सके.

भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
भारत कच्चे तेल का लगभग दो-तिहाई और एलएनजी का लगभग आधा हिस्सा होर्मुज के माध्यम से आयात करता है, व्यवधान की स्थिति में काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इससे तेल और गैस की बढ़ती कीमतें घरेलू महंगाई को बढ़ा सकती हैं. बढ़ते आयात बिल से चालू खाता घाटा बढ़ेगा और रुपया कमजोर होगा. इसके अलावा विमानन, लॉजिस्टिक्‍स, टायर और मैन्‍युफैक्‍चरिंग एरिया का कास्‍ट में ग्रोथ का सामना करना पड़ सकता है. 

हालांकि भारत के पास सामरिक तेल भंडार हैं, फिर भी एक्‍सपर्ट आगाह करते हैं कि ये भंडार अल्पकालिक आपूर्ति झटकों के लिए बनाए गए हैं, न कि क्षेत्रीय युद्ध से उत्पन्न होने वाली स्थायी बाधा के लिए. 

Read Entire Article