सेटेलाइट इमेज और मैप में देखें इजरायली स्ट्राइक में कितना हुआ ईरान का नुकसान, न्यूक्लियर साइट्स रहे टारगेट

13 hours ago 2

ईरान और इजरायल के बीच दूसरे दिन शनिवार को भी भी मिसाइल और ड्रोन हमले जारी हैं, जिससे दोनों देशों को गंभीर नुकसान हुआ और पूरे वेस्ट एशिया क्षेत्र की शांति, अर्थव्यवस्था और आवाजाही प्रभावित हुई.

ईरान को अपने नागरिक और सैन्य ढांचे पर भारी नुकसान हुआ है, जिसमें परमाणु सुविधाएं और भूमिगत बैलिस्टिक मिसाइल साइटें भी शामिल हैं. इसके मुकाबले इजरायल में कम नुकसान हुआ है. हालांकि, राजधानी तेल अवीव में ईरानी बैलिस्टिक मिसाइलों द्वारा हुआ विनाश दशकों में पहली बार देखा गया है.

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किसका पलड़ा भारी है?

स्पष्ट रूप से इजरायल का! इजरायली सेना ने तेहरान पर जोरदार हमला करते हुए उसकी शीर्ष सैन्य नेतृत्व को खत्म कर दिया और ईरान की सैन्य क्षमताओं को गहरी चोट दी. शुक्रवार सुबह से ही इजरायली लड़ाकू विमानों ने तेहरान और अन्य शहरों में लगातार बमबारी की, जिसमें न तो कोई विमान गिरा और न ही कोई पायलट मारा गया. इजरायली सैन्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ़्रिन ने कहा कि इन हमलों में 200 फाइटर जेट्स ने करीब 100 ठिकानों को निशाना बनाया.

इसके जवाब में ईरान ने 100 से अधिक ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों की कई लहरें इजरायल पर दागीं, जो मुख्य रूप से सेंट्रल इजरायल पर केंद्रित थीं. अधिकारियों ने दावा किया कि इनमें से अधिकांश ड्रोन इजरायली सीमा में प्रवेश करने से पहले ही मार गिराए गए.

इजरायल की मजबूत एयर डिफेंस ने अधिकांश बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट कर दिया, लेकिन कुछ मिसाइलें जमीन पर गिरने में सफल रहीं और उन्होंने आवासीय इमारतों और दफ्तरों को नुकसान पहुंचाया. ईरान द्वारा निशाना बनाया गया सबसे अहम ठिकाना तेल अवीव स्थित इजरायली सेना का मुख्यालय ‘किर्यात’ बताया गया है, जैसा कि Fox News ने रिपोर्ट किया.

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार को रातभर चले मिसाइल हमलों में कम से कम तीन इजरायली नागरिकों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए. केंद्रीय इजरायल के रमात गन और रिशोन लेजिओन इलाके सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं.

इनके अलावा, इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान के अंदर ड्रोन असेंबल करके एक गुप्त तोड़फोड़ अभियान भी अंजाम दिया. दूसरी ओर, इजरायली हमलों में कम से कम सात शीर्ष ईरानी सैन्य अधिकारी मारे गए हैं. इनमें शक्तिशाली इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के प्रमुख, सेना प्रमुख, खतम अल-अनबिया कमांड हेडक्वार्टर के प्रमुख और कुद्स फोर्स के कमांडर शामिल हैं. इन कमांडरों को बेहद सटीक हमलों में उस समय मारा गया जब वे सो रहे थे.

एक ईरानी राजनयिक ने कहा कि इजरायली हमलों में 80 से अधिक ईरानी नागरिक मारे गए और लगभग 300 घायल हुए. सैटेलाइट तस्वीरों में दक्षिणी करमंशाह और पश्चिमी तबरीज़ में ईरान की भूमिगत मिसाइल साइटों को नुकसान देखा गया है.

ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइटों - नतांज, फोर्डो और इस्फहान - को इजरायली हमलों में नुकसान पहुंचा है. संयुक्त राष्ट्र में गवाही देते हुए IAEA ने कहा कि नतांज प्लांट का ऊपर का हिस्सा जहां ईरान 60% यूरेनियम समृद्ध कर रहा था, “नष्ट हो गया है” और सेंट्रीफ्यूज को भी क्षति पहुंची हो सकती है. इजरायल ने यह भी दावा किया है कि उसने 9 ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों को मार गिराया है।

इस बीच, उड़ानों की निगरानी करने वाले डेटा से पता चलता है कि कई अनियोजित उड़ानें तेहरान से अज्ञात स्थानों के लिए रवाना हुईं, जिससे यह संकेत मिलते हैं कि या तो ईरान अपने विमानों को सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहा है या फिर वीवीआईपी लोग राजधानी से बाहर निकल रहे हैं.

और बढ़ सकता है तनाव

अमेरिका ने ईरान से उसके सैनिकों और कर्मियों को निशाना न बनाने को कहा है और दावा किया है कि वह सीधे संघर्ष में शामिल नहीं है, लेकिन ईरान ने इन दावों को खारिज करते हुए वॉशिंगटन की सैन्य सहायता और राजनीतिक समर्थन को आधार बनाते हुए चेतावनी दी है कि वह वेस्ट एशिया में अमेरिका के ठिकानों पर हमला कर सकता है.

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इस बीच, अमेरिकी मीडिया ने रिपोर्ट किया है कि अमेरिकी बलों ने ईरानी मिसाइलों को रोकने में इजरायल की मदद की. यदि ईरान अमेरिकी सैन्य संपत्तियों पर हमला करता है, तो स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है. अमेरिका पहले ही कई दूतावासों से गैर-जरूरी स्टाफ और सैनिकों के परिवारों को निकाल चुका है और क्षेत्र में अपने युद्धपोतों को भी तैनात कर दिया है.

इजरायल ने ईरान पर हमला क्यों किया?

इजरायल का कहना है कि तेहरान परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल करने के करीब है, जो उसके अस्तित्व के लिए खतरा है. वहीं ईरान और उसके सहयोगी संगठन इजरायल को पूरी तरह खत्म करने की बात करते हैं. अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश भी ईरान के परमाणु कार्यक्रम का विरोध करते हैं. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "ईरान को परमाणु बम नहीं मिल सकता."

2015 में ईरान ने अमेरिका और कुछ अन्य पश्चिमी देशों से समझौता किया था, जिसके तहत उसने अपने कुछ परमाणु ठिकानों को बंद कर दिया और बदले में उस पर लगे प्रतिबंधों में राहत दी गई, लेकिन ट्रंप ने तीन साल बाद इस डील से अमेरिका को बाहर निकाल लिया, यह कहते हुए कि यह ईरान के मिसाइल कार्यक्रम और क्षेत्रीय प्रभाव को रोकने में विफल रही.

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