CM Yogi Adityanath on North-South Corridor: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर के विकास की आवश्यकता पर बल दिया है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में अधिकांश राजमार्ग और एक्सप्रेस-वे पूर्व-पश्चिम दिशा में केंद्रित हैं, ऐसे में अब आवश्यकता है कि नेपाल सीमा से लेकर प्रदेश के दक्षिणी छोर तक फैले जनपदों को जोड़ने वाला एक सुदृढ़ उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर तैयार किया जाए.
NHAI के सहयोग से निर्माण, बाकी सड़कों का राज्य सरकार करेगी विकास
मुख्यमंत्री बोले - राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) के अन्तर्गत आने वाले हिस्सों में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) का सहयोग लिया जाए और शेष मार्गों का निर्माण, सुदृढ़ीकरण तथा चौड़ी करण राज्य स्तर पर कराया जाए.
स्थानीय उद्योगों को मिलेगा बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक में लोक निर्माण विभाग के कार्यां की समीक्षा कर रहे थे. उन्होंने निर्देशित किया कि निर्माण कार्यों में प्रयुक्त सामग्री, जैसे सीमेंट, सरिया आदि यथा सम्भव उत्तर प्रदेश की इकाइयों से ही ली जाए, बशर्ते कि वे गुणवत्ता के मानकों पर खरी उतरती हों. मुख्यमंत्री ने विभाग को यह सुनिश्चित करने को कहा कि वार्षिक कार्य योजना बनाते समय प्रदेश के सभी जनपदों और विधानसभाओं को समवेत रूप से लाभ पहुंचे और विकास में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न न हो.
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शहरी यातायात के लिए बाईपास, रिंग रोड और फ्लाईओवर
मुख्यमंत्री ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में बढ़ते ट्रैफिक दबाव को देखते हुए बाईपास, रिंग रोड और फ्लाईओवर के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जाए. एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर निकायों में यातायात की सुगमता सुनिश्चित करने वाले निर्माण कार्यों को प्राथमिकता दी जाए, जिससे लोगों को जाम की समस्या से मुक्ति मिल सके.
सड़क सुरक्षा को सर्वोपरि मानें
उन्होंने सड़क सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए कहा कि इस विषय में परिवहन, लोक निर्माण और पुलिस विभाग को एकजुट होकर कार्य करना होगा.
गांवों तक भी पहुंचे अच्छी सड़कें
मुख्यमंत्री योगी ने ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत की निधियों का बेहतर उपयोग करते हुए गांवों को भी अच्छी सड़क सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं.
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कड़ी निगरानी, शिथिलता पर कार्रवाई
उन्होंने निर्माणाधीन परियोजनाओं की सतत निगरानी की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की शिथिलता पर उत्तरदायित्व तय किया जाए. तकनीकी गुणवत्ता से कोई समझौता न हो. सभी कार्य पारदर्शिता के साथ सम्पन्न किए जाएं.