Andes plane crash: अक्सर आपने किसी एडवेंचर फिल्म या जॉम्बी फिल्मों में देखा होगा कि लोग अपनी जान बचाने को अपने साथ वालों को खा जाते हैं. लेकिन, अगर आपको कहा जाए कि ऐसा हकीकत में हुआ हो तो, जी हां ये सच है. 13 अक्टूबर 1972 को एक ऐसी घटना हुई थी, जिसमें कुछ लोगों को जिंदा रहने के लिए अपने ही साथियों की डेड बॉडी के मांस खाने पड़े थे. इस घटना को Andes plane crash के नाम से जाना जाता है. उस प्लेन में सवार यात्रियों को करीब 72 दिन बाद रेस्क्यू किया गया. इतना ही नहीं जिंदा बचे लोगों ने अपनी जान बचाने के लिए इस हादसे में मारे गए लोगों के मांस तक खाएं. यह विमान हादसा अब तक का दुनिया का सबसे बड़ा प्लेन हादसा था. इसमें Uruguay की क्रिस्चन टीम शिकार हुई थी. ये लोग चीली के सेंटियागो में मैच खेलने जा रहे थे. Uruguay एयरफोर्स का प्लेन टीम के प्लेयर और उनके परिवार और दोस्तों को लेकर एंड्रीज से गुजर रहा था.
भयानक हादसे में 18 लोगों की मौत
Uruguayan Air Force Flight 571 प्लेन में कुल 45 लोग सवार थे. उड़ान भरने के दौरान मौसम खराब होने लगा. एंड्रीज के सफेद बर्फीले पहाड़ों में पायलट को कुछ भी नजर नहीं आ रहा था. मौसम खराब को देखते हुए पायलट को संभावित घटना नजर आने लगा. करीब 14000 फीट की ऊंचाई पर न जाने क्या हुआ. पायलट अपनी पोजिशन समझ नहीं पाया और प्लेन (Flight 571) एक झटके में एंडीज की चोटी से टकरा गया. प्लेन के चोटी से टकराते ही जोरदार धमाका हुआ. देखते ही देखते धूं-धूं जलते प्लेन एंड्रीज के पर्वत में कहीं खो गया. इस भयानक हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई. बाकि 27 लोग जैसे-तैसे बच पाए. बचे हुए लोगों के लिए एंडीज की हाड़ कंपा देने वाली ठंड में जिंदगी मौत से बदतर हो रही थी.
11वें दिन बंद किया गया सर्च ऑपरेशन
हादसे की जानकारी मिलते ही Uruguay की सरकार में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया. लेकिन, प्लेन का रंग सफेद होने के कारण बर्फ से ढकी सफेद एंडीज पर प्लेन ढूंढना काफी मुश्किल था. लगातार 10 दिन तक असफलता हाथ लगने पर 11वें दिन बचाव अभियान बंद कर दिया गया. उस वक्त ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि एंडीज के माइनस 30 डिग्री के तापमान में किसी का भी इतने दिनों तक जिंदा रहना नामुमकिन है. उधर हादसे में बचे हुए 27 लोग अपने पास बचे भोजन को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया, ताकि वे ज्यादा दिन तक चल सके. पानी की कमी को दूर करने के लिए उन्होंने प्लेन में से एक मेटल के टुकड़े को निकाला जो धुप में बहुत गर्म हो सके, ताकि उस पर बर्फ रखकर पिघलाया जा सके. इस तरह से वे लोग पानी इकट्ठा करने लगे. इससे उनकी पानी की समस्या हल हो गयी, लेकिन कुछ ही दिनों में भोजन समाप्त हो गया. भोजन खत्म होने के बाद लोग भूख से इतने परेशान हो गए थे कि उन्होंने अपने आपको जिंदा रखने के लिए अपने साथियों का मांस खाना शुरू कर दिया.
हार मानने तो तैयार नहीं थे खिलाड़ी
इस हादसे को 60 दिन गुजर चुके थे, अब सिर्फ 16 लोग बचे थे. जब कुछ समझ नहीं आया तो फुटबॉल प्लेयर्स (नेंडा और केनेसा) सोचते हैं कि यहां बैठकर मरने से अच्छा है कि मदद की तलाश में निकला जाए. करीब 60 दिनों के अंदर दोनों का शरीर कमजोर हो चुका था. बर्फ पर मदद की तलाश के लिए जाने के लिए उनके पास पर्याप्त साधन नहीं थे. लेकिन दोनों खिलाड़ी थे और दोनों के अंदर अंत तक हार नहीं मानने का जज्बा था. उन्होंने हाथ पैर को गलने से बचाने के लिए फ्लाइट के सीट के कवर और दूसरी चीजों को मिलाकर ड्रेस तैयार किया. दोनों जैसे-तैसे चीली की आबादी वाले क्षेत्र तक पहुंच जाते हैं. उन्हें दुसरी ओर नदी दिखाई दी. वे इतना ज्यादा थक गए थे कि एक कदम भी नहीं चल पाए और उस दिन वहीं सो गए. जब नींद खुली तो देखा कि नदी की दूसरी तरफ घोड़े पर दो आदमी बैठे हैं. उन दोनों ने जोर-जोर से मदद की गुहार लगाई. लेकिन नदी में लहर इतनी तेज थी कि आवाज उस तरफ नहीं जा पायी.
72 दिनों के बाद लोगों को किया गया रेस्क्यू
दोनों साथी हार मानने को तैयार नहीं थे, तभी घोड़े पर सवार आदमी ने इशारे में कहा कि आप यहीं इंतजार करो हम आते हैं, कुछ देर बाद घोड़े पर बैठे वे लोग आए और अपने साथ पेन-पेपर और पत्थर भी लाएं और उस पेन-पेपर को पत्थर से बांधकर दूसरी तरफ जोर से फेंका. वे पेन-पेन मिलते ही दूसरी तरफ फुटबॉल प्लेयर ने लिखा-करीब जो 2 महीने पहले एंडीज की पहाड़ियों पर जो प्लेन हादसा हुआ था, हम उसी हादसे में बचे लोग हैं. हमारे साथ 16 और साथी मदद के इंतजार में हैं, प्लीज आप हमारी मदद करें, नहीं तो सबकी जान चली जाएगी. दूसरी ओर जब ये बात घोड़े पर बैठे लोगों को पता लगी तो अपने साथ लाए ब्रेड, चॉकलेट और कुछ खाने की चीजें उन्हें पत्थर से बांधकर फेंक कर जल्द मदद को आने का वादा कर जाता है. 22 सितंबर को 2 रेस्क्यू हेलीकॉप्टर उनकी मदद के लिए पहुंचे. हादसे के 72 दिनों के बाद 16 लोगों को बचाया गया. इस हादसे पर Alive नाम की किताब भी लिखी गई है और इस पर फिल्म भी बनाई गई है.