कहते हैं किस्मत कभी-कभी खेल कर जाती है, लेकिन इस बार खेल ऐसा हुआ कि एक गार्ड की रातों की नींद उड़ गई.कानपुर में काकादेव क्षेत्र के एक कोचिंग सेंटर में सुरक्षा गार्ड की नौकरी करने वाले 22 वर्षीय ओमजी शुक्ला के पास न तो बड़ी गाड़ी है, न महंगे कपड़े, न कोई आलीशान घर. सैलरी केवल 10 हजार रुपये महीने है और इसी से वह परिवार का खर्च चलाते हैं.लेकिन अचानक उनके दरवाजे पर आया नोटिस ऐसा था, जिसने उनकी दुनिया ही हिला दी.
दिल्ली स्थित केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) विभाग ने उन्हें तीन करोड़ से अधिक का टैक्स नोटिस भेजा है.विभागीय रिकार्ड में उनके नाम पर 17.47 करोड़ रुपये का कपड़ों का कारोबार दर्ज बताया गया है.ओमजी ने जैसे ही नोटिस पढ़ा, उनके होश उड़ गए और उन्होंने माथा पकड़ लिया.
कैसे शुरू हुई कहानी
हंसपुरम, आवास विकास कॉलोनी निवासी ओमजी शुक्ला की रोजमर्रा की जिंदगी बेहद साधारण है.सुबह जल्दी उठकर वह काकादेव स्थित कोचिंग सेंटर में ड्यूटी पर जाते हैं और शाम को लौटकर घर की जिम्मेदारियों में लग जाते हैं.कुछ सप्ताह पहले डाकिया उनके घर पर एक लिफाफा छोड़ गया.उसमें एक पेज का नोटिस था.ओमजी ने इसे पड़ोसियों को दिखाया तो सबने कहा कि यह कोई मजाक या फर्जी कागज है.लेकिन सावधानी बरतते हुए उन्होंने उसे संभाल कर रख लिया.ठीक एक हफ्ते बाद 21 अगस्त को फिर डाकिया आया और इस बार 32 पन्नों का मोटा नोटिस सौंप गया.इस नोटिस में उनका नाम, पता और यहां तक कि पैन नंबर तक सही लिखा था.यहीं से ओमजी को अहसास हुआ कि मामला गंभीर है.
नोटिस में क्या है
नोटिस के मुताबिक, ओमजी शुक्ला के नाम पर 17 करोड़ 47 लाख 56 हजार रुपये का कपड़ों का कारोबार दर्ज है.इस कारोबार पर कुल 3 करोड़ 14 लाख 56 हजार रुपये टैक्स बनता है, जिसका भुगतान करने का आदेश उन्हें दिया गया है.इसके अलावा, सात दिनों के भीतर सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ विभागीय कार्यालय में पेश होने को कहा गया है.युवा गार्ड के लिए यह नोटिस किसी सपने जैसा था लेकिन डरावने सपने जैसा.जिस व्यक्ति की मासिक आय 10 हजार रुपये है, वह करोड़ों के कारोबार और करोड़ों के टैक्स का बोझ कैसे उठा सकता है ?
दफ्तर की दौड़
नोटिस मिलने के बाद ओमजी ने पहले तो परिवार से सलाह की, फिर पड़ोसियों और जान-पहचान वालों से राय ली.सभी ने यही कहा कि मामले को हल्के में मत लेना.आखिरकार वह सर्वोदय नगर स्थित सीजीएसटी कार्यालय पहुंचे.वहां उन्होंने आयुक्त रोशन लाल से मिलकर अपनी पूरी स्थिति बताई.ओमजी ने आयुक्त से कहा कि वह एक साधारण गार्ड हैं और उनकी सैलरी 10 हजार रुपये है.कारोबार चलाना तो दूर, उन्होंने कभी कारोबार के बारे में सोचा तक नहीं.
घबराने की जरूरत नहीं
सीजीएसटी आयुक्त रोशन लाल ने ओमजी की बात ध्यान से सुनी और उन्हें आश्वस्त किया.उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में घबराने की जरूरत नहीं है.जरूरी यह है कि समय पर नोटिस का जवाब दिया जाए.जांच में पता किया जाएगा कि उनके नाम पर किसी और ने फर्जी तरीके से कंपनी रजिस्टर कर ली है या कारोबार दिखाया है. आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया कि नोटिस की वास्तविक जांच वहीं होगी, जिस कार्यालय से यह जारी हुआ है.उन्होंने ओमजी को सलाह दी कि अपने सभी पहचान पत्र, बैंक खाता विवरण और आय से जुड़े दस्तावेज लेकर नियत समय पर पेश हों.
कैसे फंसा गरीब गार्ड ?
कर विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तरह के मामले नए नहीं हैं.अक्सर फर्जी कंपनियां या बेनामी कारोबार किसी गरीब या साधारण व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर कर दिए जाते हैं.कई बार पैन कार्ड या आधार कार्ड की कॉपी का गलत इस्तेमाल कर बड़ी रकम का कारोबार दिखा दिया जाता है.बाद में जब टैक्स की बारी आती है, तो नोटिस सीधे उस व्यक्ति के घर पहुंचता है, जिसका नाम दस्तावेज़ों में दर्ज है.संभावना जताई जा रही है कि ओमजी शुक्ला भी ऐसे ही किसी फर्जीवाड़े का शिकार हुए हैं.
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