Ganesh Visarjan 2025: इस साल 27 अगस्त से गणेश उत्सव की शुरुआत हुई थी और अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन के साथ इसका समापन होगा. हर साल इसी दिन गणपति बप्पा को विदाई दी जाती है और उनका विधिवत विसर्जन किया जाता है. गणेश महोत्सव के इस अंतिम दिन गणपति की आखिरी पूजा भी होगी, जिसे उत्तर पूजा कहा जाता है. आइए जानते हैं कि विसर्जन से पहले गणपति जी की उत्तर पूजा कैसे की जाती है.
विसर्जन से पहले होगी उत्तर पूजा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन से पहले उत्तर पूजा का विधान है. यह बप्पा को सम्मानपूर्वक विदाई देने और उनसे अनजाने में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगने का विशेष अनुष्ठान है. इसमें पंचोपचार पूजा की जाती है, जिसमें गणपती जी को गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, मोदक और दूर्वा अर्पित किए जाते हैं.
उत्तर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बार गणेश विसर्जन के लिए सुबह से लेकर रात तक अलग-अलग प्रहर में कई अबूझ मुहूर्त हैं. विसर्जन से मुहूर्त से पहले आप उत्तर पूजा कर सकते हैं.
सुबह का शुभ मुहूर्त- सुबह 07:36 बजे से सुबह9:10 बजे तक
दोपहर का शुभ मुहूर्त- दोपहर 12:19 बजे से शाम 5:02 बजे तक
शाम का शुभ मुहूर्त- शाम 6:37 बजे से रात 8:02 बजे तक
रात का शुभ मुहूर्त- रात 9:28 बजे से देर रात 1:45 बजे तक
गणेश विसर्जन का महत्व
गणेश विसर्जन केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन के गहरे संदेश को दर्शाता है. भक्त ‘गणपति बप्पा मोरया’ के जयकारों के साथ बप्पा से पुनः आने की प्रार्थना करते हैं. मान्यता है कि विसर्जन के साथ ही भगवान गणेश अपने भक्तों के दुख और विघ्न हर लेते हैं. गणेश चतुर्थी पर हम भगवान गणेश को प्राण-प्रतिष्ठा के साथ आमंत्रित करते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन सम्मानपूर्वक जल में विसर्जित कर प्रकृति को वापस लौटा देते हैं.
गणपति विसर्जन से पहले भगवान गणेश से क्षमा प्रार्थना करना आवश्यक है. उनसे अपनी भूल-चूक के लिए क्षमा मांगें और उनके आशीर्वाद से सुख-समृद्धि की कामना करें. इतना ही नहीं, अपनी मनोकामना कहने के बाद बप्पा से अगले बरस आने की प्रार्थना भी करें.
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