ईरान-इजरायल के बीच वॉर (Iran Israel War) ने दुनियाभर के लिए टेंशन पैदा कर दी है. क्योंकि कच्चे तेल के दाम (Crude Oil Price) में बढ़ी बढ़ोतरी देखी गई है और आगे भी यह बढ़ोतरी जारी रह सकती हैं. इससे दुनियाभर के शेयर बाजार (Stock Market) भी प्रभावित हुए हैं. आशंका है कि अगर दोनों देशों के बीच जंग और बढ़ा तो ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है और ग्लोबल स्तर पर महंगाई का खतरा बढ़ सकता है. कुछ देशों की अर्थव्यवस्था सुस्त भी पड़ सकती है.
अगर भारत की बात करें तो दोनों देशों के साथ भारत का भी बड़ा कारोबार है. यह कई चीजें इन दोनों देशों के साथ आयात करता है. वहीं दूसरी ओर, अगर ग्लोबल सप्लाई चेन प्रभावित हुआ तो भारत पर भी इसका असर दिखाई देगा. भारत में कच्चे तेल (Crude Oil in India) की सप्लाई प्रभावित होने से महंगाई बढ़ सकती है. हालांकि भारत बड़ी मात्रा में कच्चा तेल ईरान से नहीं मंगाता है, लेकिन सप्लाई चेन प्रभावित होने से निर्यात महंगा हो सकता है.
भारत के लिए क्यों है टेंशन?
Iran दुनिया भर में कच्चे तेल का 3 फीसदी उत्पादन करता है, लेकिन ईरान और मिडिल ईस्ट के रास्ते कई चीजें भारत आती हैं. द् हिंदु की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते टेंशन के कारण भारत के निर्यात में 40 से 50 फीसदी महंगा हो सकता है. वहीं ET की एक रिपोर्ट में एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि इससे भारत के एक्सपोर्ट पर 15 से 20 फीसदी का कास्ट बढ़ सकता है.
Crude Oil का लेकर इतना बड़ा टेंशन
कच्चे तेल की बात करें तो 85 फीसदी हिस्सा भारत आयात करता है. इसलिए, भले ही ईरान से सीधे आयात कम हो, लेकिन संघर्ष के कारण वैश्विक कीमतों में उछाल से कच्चे तेल के आयात की लागत बढ़ जाएगी. वैश्विक तेल का लगभग 20% हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है, जो उत्तर में ईरान और दक्षिण में अरब प्रायद्वीप के बीच स्थित है. ऐसे में जलडमरूमध्य में किसी भी तरह के रुकावट से शिपमेंट और ज्यादा प्रभावित होगी.
फ्लाइट की भी बढ़ेगी लागत
वहीं पाकिस्तान का एयरस्पेस भारत के लिए पहले से बंद है और अब ईरान के एयरस्पेस बंद होने से फ्लाइट का खर्च भी ज्यादा बढ़ सकता है, जिसका असर भारतीय एयलाइंस कंपनियों पर पड़ेगा और यात्रियों के लिए टिकट महंगे हो सकते हैं.
ईरान और इजरायल से भारत का कितना बड़ा व्यापार?
इजरायल के साथ व्यापार की बात करें तो भारत ने वित्त वर्ष 2025 में इजरायल को 2.1 अरब डॉलर की चीजें निर्यात किया है, जबकि 1.6 अरब डॉलर की चीजें मंगाया है. वहीं Iran को भारत ने 1.2 अरब डॉलर का निर्यात किया है और 441.9 मिलियन डॉलर की चीजें आयात की हैं. ऐसे कहा जा सकता है कि दोनों देशों को मिलाकर भारत करीब 5 अरब डॉलर का व्यापर करता है.
इजरायल से क्या-क्या मंगाता है भारत?
भारत इजराइल को तराशे हुए हीरे, ज्वेलरी, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और इंजीनियरिंग सामान सप्लाई करता है. वहीं इजरायल भारत को बड़ी मात्रा में सैन्य हथियार निर्यात करता है. इज़राइल भारत का 32वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और एक प्रमुख डिफेंस सप्लायर है.
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में दिए गए आंकड़ों को देखें, तो बीते 10 साल में भारत में इजरायल से रडार्स, सर्विलांस और लड़ाकू ड्रोन और मिसाइल्स समेत करीब 3 अरब डॉलर के सैन्य हार्डवेयर का आयात किया गया है. इतना ही नहीं भारत इजरायल से मोती, कीमती पत्थर, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, उर्वरक, रासायनिक उत्पादों का भी आयात करता है.
ईरान से क्या महंगा है भारत?
इजरायल के अलावा, इरान से भी भारत व्यापार करता है. ईरान से कच्चे तेल के अलावा सूखे मेवे, केमिकल और कांच के बर्तन भारत आते हैं. वहीं भारत की ओर से ईरान पहुंचने वाले प्रमुख सामानों की बात करें, तो बासमती चावल का ईरान बड़ा आयातक है. बासमती चावल के अलावा भारत ईरान को चाय, कॉफी और चीनी का भी निर्यात करता है.