क्लासरूम में मिले टीचर्स किताबों से जुड़ा ज्ञान देते हैं, लेकिन बिजनेस की दुनिया के असली टीचर होते हैं मेंटर्स. ये मेंटर कैसे काम करते हैं आप इस एग्जांपल से समझिए. पुणे के सिद्धार्थ सालुंके ने अपनाा बायोटेक स्टार्टअप शुरू किया. लेकिन उनके स्टार्ट अप को सही मायने में उड़ान तब मिली जब मेंटर ने उन्हें इनोवेशन और मार्केटिंग का मंत्र दिया. नतीजा ये हुआ कि ये भारत का अपना विख्यात RT-PCR किट का स्टार्ट अप बना जिसका 14 करोड़ का बिजनेस है और 90 लोगों को नौकरी भी मिली.
क्या करते हैं मेंटर
ठीक ऐसे ही औरंगाबाद के योगेश गवांदे, खेती-बाड़ी बैकग्राउंड से आए थे. मेंटर डॉ. अनिल कुसादिकर ने उन्हें समझाया कि प्रोटोटाइप को स्केलेबल प्रोडक्ट कैसे बनाते हैं. अब उनका Niyo Farmtech 2 करोड़ का कारोबार कर रहा है. इसी तरह पुणे की अमृता मंगले कैमिस्ट्री में माहिर थीं, पर बिजनेस स्किल्स की कमी थी. मेंटर की सलाह पर उन्होंने लागत घटाई, ब्रांड पोजिशनिंग सुधारी और 3 करोड़ का कारोबार खड़ा कर लिया. हेल्मेट पार्ट्स बनाने वाले चरुदेव बंसल हों या मशीन टूल्स के पंकज आहूजा, दोनों के लिए मेंटर सिर्फ सलाहकार नहीं, बल्कि संकटमोचक साबित हुए.
जीवन ही बदल गया…
संदीप डाभाडे वो नाम है जो एक तबला वादक से पैकेजिंग इंडस्ट्री के मालिक बने. मेंटर ने उन्हें सिखाया कि बिजनेस में सिस्टम और प्लानिंग उतने ही जरूरी हैं, जितनी रियाज में तान और ताल. पंचामृतम नाम का स्टार्ट अप एक छोटे गांव से निकलकर प्रिसिजन कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग में एक्सपोर्ट तक पहुंचीं. मेंटर ने उन्हें सिखाया कि सिर्फ मशीन खरीदना नहीं, बल्कि भविष्य में निवेश करना क्यों जरूरी है.
गृहिणी से एग्री-बिजनेस लीडर बनीं सारिका पाटिल ने अपने 40,000 स्कवायर फिट के ‘एग्रो मॉल’ में हजारों किसानों को जोड़ा. वहीं, कीर्तना ने हेल्दी स्नैक्स से घर-घर पहचान बनाई. कीर्तना को लोन के लिए 13 बार बैंक ने रिजेक्ट किया, लेकिन मेंटर की गाइडेंस से न सिर्फ लोन मिला, बल्कि 2 करोड़ का कारोबार भी खड़ा हो गया.
क्यों मेंटर्स हैं खास
इन सारी कहानियों में कॉमन बात यही है कि बिजनेस की दुनिया की सीढ़ी में मेंटोरशिप किसी सपोर्ट की तरह होती है. ये आधुनिक गुरुकुल हैं. फर्क इतना है कि यहां शिक्षा किताबों से नहीं, बल्कि तजुर्बे और दिशा से मिलती है. Teacher’s Day पर हमें ये याद रखना चाहिए कि सिर्फ स्कूल के टीचर्स ही नहीं, बल्कि हर वो इंसान जिसने हमें रास्ता दिखाया, गिरने से पहले संभाला और आगे बढ़ने का हौसला दिया, वही असली गुरु है.
(लेखिका लक्ष्मी वेंकटरमण वेंकटेशन बीवाईएसटी की संस्थापक और प्रबंधन ट्रस्टी व भारत के पूर्व राष्ट्रपति आर. वेंकटरमन की पुत्री हैं)
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