दुनिया में एक बार फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ (Trump Tariff) सुर्खियों में है, क्योंकि इसे लेकर तमाम देशों को दी गई 90 दिन की छूट 9 जुलाई को खत्म होने वाली है. इस बीच ऐसी खबरें भी हैं कि ट्रंप की इस डेडलाइन से पहले ही भारत और अमेरिका के बीच मिनी ट्रेड डील का ऐलान हो सकता है. ये उम्मीद ऐसे समय में जताई जा रही है, जबकि India-US Trade Deal पर एक बड़ा पेंच फंसा हुआ है, जिसे लेकर दोनों देशों के बीच समझौता अटका है. दरअसल, अमेरिका एग्रीकल्चर और डेयरी प्रोडक्ट्स के लिए अपनी शर्तों पर भारतीय बाजार को खोलने की मांग कर रहा है, तो वहीं गेहूं-चावल और डेयरी को लेकर भारत अपने रुख पर अड़ा हुआ है. आइए जानते हैं इस मामले के बारे में विस्तार से और इन सेक्टर्स में अमेरिकी एंट्री से होने वाले साइड इफेक्ट के बारे में...
कभी डील के संकेत, तो कभी पलटे नजर आए ट्रंप
बीते कुछ दिनों में India-US Trade Deal को लेकर तमाम खबरें औऱ बयान सामने आए. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इसे लेकर अपने बयान देते आ रहे हैं. जहां एक ओर Donald Trump भारत के साथ जल्द बहुत बड़ी डील होने की बात कहते नजर आए, तो वहीं कभी ये बपयान देते हुए नजर आए कि भारत अपने बाजार हमारे लिए नहीं खोल रहा है. यहां जान लेना जरूरी है कि Trade Deal आखिर होती क्या है, तो बता दें कि जब भारत, अमेरिका में अपना कोई सामान भेजता है, तो उस पर US कितना टैरिफ लगाएगा, ऐसे ही जब अमेरिकी सामान भारत में आएगा तो हम उस पर कितना टैक्स लगाएंगे.
अमेरिका की मांग, भारत की दो-टूक
भारत-US के बीच इसी ट्रेड डील को लेकर लंबी बातचीत हो चुकी है और अब भारतीय वार्ताकार देश में वापस भी आ गए हैं, लेकिन अभी तक इसे लेकर कोई अंतिम समझौता नहीं हो सकता है. अब इसके पीछे की वजह जानें, तो अमेरिका इस मांग पर अड़ा हुआ है कि भारत एग्रीकल्चर और डेयरी प्रोडक्ट्स के इम्पोर्ट पर टैरिफ को कम करके भारतीय बाजार को उसके सामानों के लिए खोले. इसके अलावा ऑटो समेत अन्य सेक्टरों में भी उसकी टैरिफ कम करने की मांग है. वहीं दूसरी ओर भारत अपनी शर्तों पर अड़ा हुआ है और खासतौर पर एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर पर किसी भी समझौते के पक्ष में नजर नहीं आ रहा है. सरकार की ओर से भी इसे लेकर तस्वीर साफ कर दी गई है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) से लेकर केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) तक इन शर्तों को दरकिनार किया है, तो केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने तो इस मामले में दो-टूक कह दिया है कि भारत अपने मूल हितों से समझौता नहीं कहेगा. उन्होंने कहा कि Nation First हमारा मूल मंत्र है और किसी भी तरह के दबाव में बातचीत नहीं होगी. जो भी होगा भारतीय किसानों के हितों को ध्यान में रखते होगा. भारत के इस रुख के बाद अब ट्रेड डील पर किसी भी फैसले के लिए गेंद अमेरिका के पाले में है.
क्यों गेहूं-चावल और डेयरी पर फंसा पेंच?
एक ओर जहां ट्रंप टैरिफ में छूट की डेडलाइन खत्म होने वाली है, तो दूसरी ओर भारत गेहूं-चावल और डेयरी पर अड़ा हुआ है. सरकारी सूत्रों की मानें तो US Trade Deal को लेकर भारत का रुख सकारात्मक है और जो बातचीत होनी थी पूरी हो चुकी है. यानी मामला कृषि-डेयरी उत्पादों को लेकर ही फंसा हुआ है. US इसलिए चाहता है कि दूध, डेयरी प्रोडक्ट्स, पिस्ता, बादाम, सोया, मक्का और गेहूं पर भारत टैक्स कम करे, क्योंकि इसके बाद उसे भारत का बड़ा बाजार मिलेगा और अमेजन, वाल मार्ट जैसी कंपनियों को बाजार में सीधे माल बेचने की सुविधा मिल जाएगी, जो अब तक तमाम भारतीय कंपनियों के जरिए अपने सामान बेचती हैं. लेकिन, भारत का मानना है कि देश की बड़ी आबादी खेती-किसानी पर आश्रित है और अमेरिकी सामान सस्ते में आने से उनकी रोजी-रोटी पर बड़ा संकट आ सकता है.
बता दें कि भारत ने पहले कभी किसी व्यापार समझौते में अपने डेयरी सेक्टर को नहीं खोला है और जैसा कि अधिकांश भारतीय किसान जीविका के लिए खेती में लगे हुए हैं, इसलिए सरकार सब्सिडी वाले अमेरिकी आयातों के जरिए उन्हें नुकसान पहुंचाने का जोखिम उठाने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है. इससे पहले भारत ने UK और ऑस्ट्रेलिया से हुई ट्रेड डील में भी इस तरह के प्रोडक्ट्स को दूर रखा है.
इन सेक्टर्स में US की एंट्री के नुकसान?
अब समझते हैं कि आखिर इन सेक्टर्स में अमेरिकी एंट्री के नुकसान क्या है, जिन्हें लेकर भारत सरकार किसी भी समझौते के मूड में नजर नहीं आ रही है. इसे ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव ने विस्तार से समझाया है. उनका कहना है कि अमेरिकी कृषि और डेयरी प्रोडक्ट्स पर अगर भारत Tariff Cut का फैसला लेता है, तो इससे भारत की खाद्य सुरक्षा कमजोर हो सकती है, क्योंकि इस तरह का कोई भी निर्णय सीधे देश के छोटे किसानों को सस्ते, सब्सिडी वाले आयात और वैश्विक मूल्य अस्थिरता का सामना करने को मजबूर कर सकता है. जीटीआरआई के मुताबिक, इन प्रोडक्ट्स पर टैरिफ कटौती का India-US Trade Deal के तहत लिया जाने वाला निर्णय रणनीतिक रूप से नासमझी होगा.
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