PAK को चकमा देने के लिए भारतीय जेट्स ने अपनाई ये खास टेक्नीक... अमेरिकी फाइटर पायलट का खुलासा

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भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को ऐसा चकमा दिया कि उसकी सारी पोल खुल गई. इस ऑपरेशन ने भारतीय वायुसेना (IAF) की उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic Warfare - EW) रणनीतियों को दुनिया के सामने ला दिया.

पूर्व अमेरिकी F-15E स्ट्राइक ईगल और F-16 थंडरबर्ड पायलट रयान बोडेनहाइमर ने IAF की रणनीतियों को "अब तक का सबसे बेहतरीन स्पूफिंग और डिसेप्शन" (भ्रम और धोखा) बताया. उन्होंने इस सफलता का श्रेय राफेल जेट के X-गार्ड जैमिंग डिकॉय और SPECTRA EW सूट को दिया, जिसने पाक की PL-15E मिसाइलों को धोखा दिया.

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ऑपरेशन सिंदूर

ऑपरेशन सिंदूर 7 मई 2025 को शुरू हुआ, जब भारतीय वायुसेना ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब दिया, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे. इस ऑपरेशन में IAF ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. राफेल, सुखोई Su-30 MKI और मिराज 2000 जेट्स ने SCALP क्रूज मिसाइलों और स्पाइस-2000 बमों का उपयोग कर सटीक हमले किए, बिना भारतीय हवाई क्षेत्र छोड़े.

पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने पांच भारतीय जेट्स, जिनमें तीन राफेल शामिल थे, को मार गिराया. लेकिन भारतीय सूत्रों और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि ये नष्ट हुए डिकॉय (X-गार्ड) थे, न कि असली राफेल जेट्स. इस ऑपरेशन में IAF की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीकों ने पाकिस्तान वायुसेना (PAF) को पूरी तरह भ्रमित कर दिया.

X-गार्ड जैमिंग डिकॉय: तकनीकी जानकारी

X-गार्ड एक इजरायली निर्मित फाइबर-ऑप्टिक टोड डिकॉय (towed decoy) है, जिसे राफेल जेट्स के SPECTRA इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट के साथ एकीकृत किया गया है. यह 30 किलोग्राम का उपकरण राफेल जेट के पीछे तार द्वारा खींचा जाता है. दुश्मन के रडार और मिसाइलों को धोखा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

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360 डिग्री जैमिंग सिग्नल: X-गार्ड 360 डिग्री के दायरे में जैमिंग सिग्नल भेजता है, जो दुश्मन के रडार और मिसाइलों के एक्टिव सीकर्स को भ्रमित करता है. यह रडार सिग्नेचर को नकली बनाता है, जिससे ऐसा लगता है कि यह एक असली जेट है.

AI-संचालित तकनीक: X-गार्ड में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग होता है, जो रडार सिग्नल के डॉप्लर शिफ्ट (Doppler Shift) और सिग्नेचर की कॉपी करता है. 

यह दुश्मन के रडार को भ्रमित करने के लिए रीयल-टाइम में सिग्नल को बदलता रहता है, जिससे मिसाइलें असली जेट के बजाय डिकॉय को निशाना बनाती हैं.

डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी मेमोरी (DRFM): X-गार्ड डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी मेमोरी (DRFM) तकनीक का उपयोग करता है, जो दुश्मन के रडार सिग्नल को रिकॉर्ड और हेरफेर करता है. यह झूठे लक्ष्य (false targets) बनाता है, जिससे दुश्मन का रडार और मिसाइल सिस्टम गलत दिशा में भटक जाते हैं.

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एंटी-मिसाइल सुरक्षा: X-गार्ड हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (जैसे PL-15E) और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (SAMs) दोनों से रक्षा करता है. यह राफेल को मिसाइलों के नो-एस्केप ज़ोन (जहां मिसाइल से बचना मुश्किल होता है) से बाहर रखता है.

वज़न और डिज़ाइन: X-गार्ड का वज़न केवल 30 किलोग्राम है, जिससे यह हल्का और प्रभावी है. इसे फाइबर-ऑप्टिक केबल के माध्यम से जेट से जोड़ा जाता है, जो इसे तेज़ गति पर भी स्थिर रखता है.

SPECTRA EW सूट: राफेल की रक्षा प्रणाली

राफेल जेट का SPECTRA (Système de Protection et d’Évitement des Conduites de Tir du Rafale) इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट इसकी सबसे बड़ी ताकत है. यह थेल्स और MBDA द्वारा विकसित एक प्रणाली है, जो राफेल को दुश्मन के रडार और मिसाइलों से बचाने के लिए डिज़ाइन की गई है. इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं...

थ्रेट डिटेक्शन: SPECTRA में एक्टिव और पैसिव सेंसर होते हैं, जो 360 डिग्री में रडार और मिसाइल सिग्नल का पता लगाते हैं. यह लो प्रोबेबिलिटी ऑफ इंटरसेप्ट (LPI) रडार डिटेक्शन का उपयोग करता है, जिससे दुश्मन को इसका पता लगाना मुश्किल होता है.

जैमिंग और काउंटरमेज़र्स: SPECTRA दुश्मन के रडार और मिसाइलों को भ्रमित करने के लिए चैफ, फ्लेयर्स और डायरेक्टेड जैमिंग का उपयोग करता है. यह एडवांस एल्गोरिदम के साथ रडार सिग्नल को विश्लेषण करता है और तुरंत काउंटरमेज़र्स लागू करता है.

एडवांस्ड रडार: SPECTRA राफेल के RBE2-AA एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार के साथ मिलकर काम करता है, जो 145 किमी की दूरी पर 40 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है.

डेटा लिंक और नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध: SPECTRA राफेल को अन्य जेट्स, AWACS (Airborne Warning and Control System) और ग्राउंड स्टेशनों के साथ रीयल-टाइम डेटा साझा करने की अनुमति देता है, जिससे समन्वित हमले संभव होते हैं. 

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ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय रणनीति

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने कई उन्नत रणनीतियों का उपयोग किया, जो इसकी सफलता का कारण बनीं. 

मल्टी-स्पेक्ट्रम इलेक्ट्रॉनिक युद्ध: IAF ने DRFM जैमिंग, GPS स्पूफिंग और रडार क्रॉस-सेक्शन मैनिपुलेशन का उपयोग किया. इससे पाकिस्तानी रडार और मिसाइल सिस्टम की सेंसर फ्यूजन और टारगेटिंग एल्गोरिदम बाधित हो गए.

राफेल और Su-30 MKI जेट्स ने EL/M-8222 जैमिंग पॉड्स और तरंग रडार वॉर्निंग रिसीवर का उपयोग किया, जिसने PL-15E मिसाइलों के डेटा लिंक और AESA सीकर्स को बाधित किया.

X-गार्ड डिकॉय की भूमिका: X-गार्ड ने नकली रडार सिग्नेचर बनाकर पाकिस्तानी J-10C और JF-17 जेट्स को भ्रमित किया. पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने राफेल जेट्स को मार गिराया, लेकिन भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सूत्रों ने पुष्टि की कि ये X-गार्ड डिकॉय थे.

X-गार्ड ने PL-15E मिसाइलों के एक्टिव सीकर्स को गलत लक्ष्य की ओर मोड़ दिया, जिससे मिसाइलें असली जेट्स के बजाय डिकॉय को निशाना बनाती रहीं.

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लंबी दूरी की सटीक हमले: राफेल जेट्स ने SCALP क्रूज मिसाइलों (450 किमी रेंज) और HAMMER बमों (70 किमी रेंज) का उपयोग किया, जो स्टील्थ और जैम-प्रतिरोधी हैं. ये हथियार भारतीय हवाई क्षेत्र से लॉन्च किए गए, जिससे पायलटों और जेट्स को जोखिम कम हुआ.

S-400 और आकाश सिस्टम: भारत की S-400 और आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों ने पाकिस्तानी जेट्स को भारतीय हवाई क्षेत्र में घुसने से रोका. इन प्रणालियों ने पाकिस्तानी J-10C और JF-17 जेट्स को लंबी दूरी से ही मिसाइलें दागने के लिए मजबूर किया, जिससे उनकी सटीकता कम हो गई.

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पाकिस्तान की PL-15E मिसाइल और उसकी विफलता

पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर में अपनी J-10C और JF-17 ब्लॉक III जेट्स से PL-15E मिसाइलों का उपयोग किया, जो चीन की उन्नत बियॉन्ड-विज़ुअल-रेंज (BVR) मिसाइल का निर्यात संस्करण है.

  • रेंज: 145 किमी (घरेलू PL-15 की रेंज 200-300 किमी).
  • गति: मैक 5 से अधिक.
  • गाइडेंस: डेटा लिंक के साथ मिड-कोर्स गाइडेंस और टर्मिनल होमिंग के लिए AESA रडार सीकर.
  • प्लेटफॉर्म: J-10C (KLJ-7A AESA रडार, 100-120 किमी डिटेक्शन रेंज) और JF-17 ब्लॉक III.

हालांकि, PL-15E मिसाइलें भारतीय जेट्स को मार गिराने में असफल रहीं. इसका कारण था...

IAF की EW क्षमता: राफेल का SPECTRA सूट और Su-30 MKI के EL/M-8222 पॉड्स ने PL-15E के डेटा लिंक और AESA सीकर को जैम कर दिया, जिससे मिसाइलें अपने लक्ष्य को ट्रैक नहीं कर पाईं.

पाकिस्तानी रणनीति की कमी: पाकिस्तान ने मिसाइलों को उनकी अधिकतम रेंज (D-MAX) से दागा, जिससे उनकी सटीकता कम हो गई. J-10C का रडार और ZDK-03 AWACS भारतीय EW के सामने अप्रभावी रहे.

मलबे का विश्लेषण: भारत में पंजाब के होशियारपुर में PL-15E मिसाइलों का लगभग बरकरार मलबा मिला, जिसमें प्रणोदन प्रणाली, डेटा लिंक और सीकर शामिल थे. इससे पता चला कि मिसाइलें या तो लक्ष्य को ट्रैक नहीं कर पाईं या ईंधन खत्म होने के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गईं.

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ऑपरेशन सिंदूर का परिणाम

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने न केवल अपने लक्ष्यों को सटीकता से नष्ट किया, बल्कि पाकिस्तान के दावों को भी गलत साबित किया. पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने पांच भारतीय जेट्स (तीन राफेल, एक Su-30 MKI, एक मिग-29, और एक ड्रोन) को मार गिराया, लेकिन भारतीय सूत्रों ने पुष्टि की कि कोई पायलट नहीं खोया गया. ऑपरेशन की सफलता पर कोई असर नहीं पड़ा.

IAF ने रडार डेटा, सैटेलाइट इमेजरी और सिग्नल इंटेलिजेंस (SIGINT) के साथ साबित किया कि उसने कई पाकिस्तानी जेट्स, जैसे मिराज-5, JF-17, F-16 और संभवतः एक साब 2000 Erieye AWACS को मार गिराया. Kawa Space की सैटेलाइट इमेजरी में PAF बेस भोलारी में एक नष्ट हुआ हैंगर दिखा, जिसे ब्रह्मोस मिसाइल से निशाना बनाया गया था.

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