महाराष्ट्र के कोल्हापूर में हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां एक 10 साल के बच्चे की हार्ट अटैक से मौत हो गई. दरअसल, बच्चा गणपति मंडल में खेल रहा था. वहां कुछ बेचैनी हुई तो वह भागकर घर पहुंचा. घर जाकर अपनी मां की गोद में लेट गया और उसकी सांसें थम गईं. इस दर्दनाक घटना ने पूरे गांव और परिवार में मातम पसर गया. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है.
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परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़. (Photo: Screengrab)
महाराष्ट्र में कोल्हापुर जिले से सन्न कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां पन्हाला तहसील के कोडोली गांव में एक दस साल के बच्चे को हार्ट अटैक आ गया, जिससे उसकी मौत हो गई. इस घटना के बाद परिजनों में कोहराम मच गया. पूरे गांव में शोक की लहर है.
दरअसल, यह घटना उस समय हुई, जब दस साल का श्रवण अजीत गावड़े अन्य बच्चों के साथ घर के पास गणपति मंडल पंडाल में खेल रहा था. खेलते-खेलते श्रवण को कुछ बेचैनी सी महसूस होने लगी. डर और बेचैनी में वह घर की ओर भागा. घर पहुंचकर बच्चा अपनी मां की गोद में लेट गया. कुछ ही पलों में उसने मां की गोद में ही दम तोड़ दिया. परिवार का कहना है कि बच्चे की मौत गंभीर हृदयाघात से हुई है.
इस दौरान परिजन बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. श्रवण की मौत हृदयाघात से हुई है. इस दुखद हादसे से कोडोली और आसपास के इलाके में शोक की लहर दौड़ गई. पड़ोसी और गांव वाले इस खबर से स्तब्ध हैं. हर कोई मासूम बच्चे की अचानक मौत से गमगीन है.
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अजीत गावड़े अपने परिवार के साथ कोल्हापुर जिले की पन्हाला तहसील के कोडोली स्थित वैभव नगर में रहते हैं. अजीत गावड़े का दस साल का बेटा श्रवण गणपति मंडल में अन्य बच्चों के साथ खेल रहा था. खेलते-खेलते अचानक उसकी तबीयत खराब होने लगी. बेचैनी होने पर बच्चा दौड़कर घर पहुंचा और अपनी मां के पास आकर कहा कि मेरी तबीयत खराब है. इसके बाद कुछ ही पलों में उसकी मां की गोद में बच्चे ने दम तोड़ दिया.
श्रवण की अचानक मौत से परिजनों में कोहराम मच गया. अजीत गावड़े के दो बच्चे थे. एक बेटा और एक बेटी. उनकी बेटी की चार साल पहले मौत हो गई थी. अब उनके इकलौते बेटे श्रवण की मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.
श्रवण के चाचा गजानन गावड़े ने बताया कि श्रवण बहुत ही चंचल और मिलनसार बच्चा था. हर कोई उससे खुश रहता था. इतनी जल्दी उसका जाना हम सभी के लिए बेहद दर्दनाक है. गांव के लोगों का कहना है कि श्रवण हमेशा खेल-कूद में आगे रहता था. अब उसकी हंसी और मासूमियत सबकी स्मृतियों में रहेगी.
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रिपोर्ट: दीपक सूर्यवंशी