नेताओं को भागने से रोकने और सजा दिलाने की मांग... नेपाल में Gen-Z ग्रुप ने बताया नई सरकार के गठन का प्लान!

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नेपाल में Gen-Z का आंदोलन अब थम गया है. गुरुवार को कुछ इलाकों से ही उपद्रव की घटनाएं सामने आई हैं. लेकिन अब चुनौती नई सरकार के गठन की है. आंदोलनकारी Gen-Z ग्रुप ने देश में आम चुनाव को लेकर अपनी मांगों का एक ड्राफ्ट सार्वजनिक किया है. पहली शर्त है कि संसद को भंग किया जाए. दूसरी शर्त देश में नागरिक-सैन्य सरकार के गठन की है. सेना की भूमिका को सीमित रखने की भी मांग है. साथ ही अगले एक साल के भीतर आम चुनाव कराने की मांग है. नेताओं और राजनीतिक दलों की संपत्ति की जांच के लिए एक मजबूत न्यायिक आयोग के गठन की मांग भी की गई है.

विनाश नहीं, जवाबदेही के लिए आंदोलन

युवा आंदोलनकारियों की तरफ से जारी एक मांग पत्र सामने आया है. इसमें देशव्यापी प्रदर्शन का मकसद बताया गया है. इसमें लिखा है कि भ्रष्टाचार से ग्रस्त शासन व्यवस्था के अंत की मांग और समय रहते भ्रष्टाचार को खत्म करने की प्रतिबद्धता के साथ विरोध प्रदर्शन हुआ था. हमारा आंदोलन विनाश के लिए नहीं, बल्कि जवाबदेही, पारदर्शिता और न्याय के लिए है.

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आगे लिखा गया है कि हम इस आंदोलन के दौरान हुई आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट और हिंसक घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं. ऐसी घटनाओं में शामिल लोग हमारा या हमारी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व नहीं करते. उन्होंने हमारे आंदोलन की गरिमा पर हमला किया है. उनकी पहचान कर उन्हें कानून के मुताबिक न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए. ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही तय हो सके. इसके बाद युवाओं ने अपनी मांगों को सार्वजनिक किया है.

सुशीला कार्की करें अंतरिम सरकार की अगुवाई

इसमें कहा गया है कि हमारी पुख्ता मांग है कि राष्ट्रपति के औपचारिक नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया जाए. इसका नाम संयुक्त नागरिक-सैन्य संकट प्रबंधन परिषद हो. इसकी कार्यकारी अध्यक्षता पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की करें. इसमें जस्टिस आनंद मोहन भट्टाराई भी शामिल हों. इस व्यवस्था में नेपाली सेना की भूमिका भी बताई गई है. युवाओं की मांग है कि सुरक्षा, स्थिरता और निष्पक्ष निगरानी तक सेना का काम सीमित रहेगा. हम स्पष्ट हैं कि अंतरिम सरकार का मुख्य लक्ष्य नए चुनाव कराना है, न कि लंबे समय तक शासन करना.

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नेपाल की जेलों से हजारों कैदी हुए फरार (Photo: PTI)

प्रदर्शनकारियों की मांग है कि 6-12 महीने के भीतर लोकतांत्रिक चुनावों के जरिए नागरिक शासन की वापसी हो. नीति-निर्माण और नागरिक शासन पर सेना का स्थायी नियंत्रण नहीं होगा. भ्रष्टाचार, हिंसा और सत्ता के दुरुपयोग के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाएगा. यह सुनिश्चित करने के लिए कि संक्रमण काल के दौरान कोई भी संस्था दूसरे पर हावी न हो और कोई संघर्ष न हो, एक संयुक्त नागरिक-सैन्य संकट प्रबंधन परिषद की स्थापना की जानी चाहिए. यह परिषद वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और अंतरिम सरकार के प्रमुख को एक साथ लाएगी, ताकि स्थिरता और सुशासन के लिए संतुलित और वैध फैसले लिए जा सकें. 

युवाओं पर गोली चलवाने वालों को मिले सजा

युवाओं का कहना है कि भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोपियों जिनमें नेता, प्रशासनिक और नौकरशाह शामिल हैं, के खिलाफ जांच बैठाई जाए. इसके लिए एक स्वतंत्र जांच निकाय का गठन हो. प्रदर्शन के दौरान हिंसा की घटनाओं में शामिल लोगों की पहचान की जाए और उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाए. प्रदर्शन को रोकने के लिए उठाए गए दमनकारी कदमों और पुलिस अधिकारियों की भी जांच की जाए, जिन्होंने युवाओं पर गोली चलाने के आदेश दिए थे.

चिट्ठी में कहा गया है कि सार्वजनिक तोड़फोड़, लूटपाट और हिंसा की घटनाओं से संबंधित मुद्दों की भी जांच की जाए, जिसमें न्यायालय भवनों, प्रशासनिक कार्यालयों और डिजिटल दस्तावेजों को तबाह करना भी शामिल है. ऐसे कृत्यों में शामिल व्यक्तियों और समूहों, जिनमें संभावित घुसपैठिए या भड़काने वाले भी शामिल हैं, की पहचान और मकसद की जांच की जाए. देश में तत्काल प्रभाव से अस्पतालों, स्कूलों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.

नेताओं को देश से भागने से रोका जाए

Gen-Z की मांग है कि तत्काल सहायता अभियान शुरू किया जाना चाहिए और जिन परिवारों को जान-माल का नुकसान हुआ है उन्हें मुआवजा देना चाहिए. अगर सिविल सोसायटी पीड़ितों की मदद के लिए फंड रेजिंग कैंपेन शुरू करती है, तो उसका वितरण सिर्फ सेना के साथ कॉर्डिनेट करके किया जाएगा. वर्तमान में सैन्य संरक्षण में रह रहे राजनेताओं को जवाबदेही से बचने या देश छोड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी. भ्रष्टाचार के आरोपों की पूरी और निष्पक्ष जांच की जाएगी और फिर इस मकसद के लिए गठित एक  ट्रिब्यूनल में, उचित प्रक्रिया के तहत उनपर मुकदमा चलाया जाएगा.

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चिट्ठी में कहा गया है कि जेल, पुलिस हिरासत और न्यायिक हिरासत से भागे हुए व्यक्तियों को कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से वापस बुलाकर हिरासत में बहाल किया जाना चाहिए. जो कैदी या बंदी बुलाए जाने के बाद भी स्वेच्छा से वापस नहीं आते, उन्हें गिरफ्तार करके कानून के अनुसार वापस लाया जाना चाहिए. वर्तमान विकट परिस्थिति में जो लोग भाग गए हैं या फरार हो गए हैं, उन्हें नागरिक समाज में दाखिल होने से रोकने के लिए कानूनी उपाय किए जाने चाहिए, ताकि वह अपराधी आम लोगों में घुल-मिल न सकें.

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