नेपाल में सोशल मीडिया बैन से शुरू हुआ युवाओं का आक्रोश अब एक संगठित आंदोलन में बदल चुका है. Gen-Z प्रदर्शनकारियों ने गुरुवार को राजधानी काठमांडू में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना दस सूत्रीय एजेंडा सार्वजनिक किया. इस एजेंडे में संसद भंग करने से लेकर संविधान संशोधन और अंतरिम सरकार बनाने तक की मांगें शामिल हैं.
दस सूत्रीय एजेंडा:
1. राष्ट्रपति तुरंत संसद को भंग करें.
2. सुशीला कार्की के साथ मिलकर आगे का रोडमैप तैयार किया जाए.
3. इस रोडमैप का ड्राफ्ट राष्ट्रपति को सौंपकर उसे लागू किया जाए.
4. ड्राफ्ट के हिसाब से संविधान में संशोधन हो.
5. सुशीला कार्की के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनाई जाए.
6. अंतरिम सरकार में 9 मंत्री हों—3 Gen-Z से, 3 Gen-Y से और 3 Gen-X से.
7. अगले 6-7 महीनों में आम चुनाव कराए जाएं.
8. संविधान में प्रावधान हो कि भ्रष्ट नेता चुनाव न लड़ सकें.
9. सेना के साथ तालमेल बनाकर शांति बहाल की जाए.
10. विदेश में रह रहे नेपाली नागरिकों को मतदान का अधिकार दिया जाए.
प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट की स्थिति
प्रेस मीट के दौरान दिवाकर डंगाल, अमित बनिया और जुनाल डंगाल जैसे प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल का नहीं बल्कि जनता का है. उन्होंने पुरानी पार्टियों को चेतावनी दी कि उन्हें अपने स्वार्थों के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
एक कार्यकर्ता ने कहा, 'हम इस संविधान को खत्म नहीं करना चाहते, लेकिन इसमें बड़े संशोधन ज़रूरी हैं ताकि जनता की आकांक्षाओं को शामिल किया जा सके.' कुछ प्रदर्शनकारियों ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने का समर्थन किया, जबकि अन्य ने नेपाल बिजली प्राधिकरण के पूर्व CEO कुलमन घीसिंग का नाम आगे बढ़ाया. वहीं कुछ कार्यकर्ताओं का कहना था कि Gen-Z समूह खुद सत्ता में हिस्सा नहीं लेना चाहता, बल्कि एक वॉचडॉग की भूमिका निभाना चाहता है.
अब तक 34 की मौत
इस बीच, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि सोमवार और मंगलवार को हुए प्रदर्शनों में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है, 1,338 लोग अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं, जबकि 949 को डिस्चार्ज किया जा चुका है.
केपी ओली ने दिया इस्तीफा
बता दें कि के.पी. शर्मा ओली ने मंगलवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जब सैकड़ों प्रदर्शनकारी उनके कार्यालय में घुस गए और सोशल मीडिया बैन व भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए धरने पर बैठ गए. हालात बिगड़ने के बाद सोशल मीडिया बैन हटा लिया गया.
राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने ओली का इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है, लेकिन कहा है कि नई परिषद् मंत्रियों का गठन होने तक पुराना मंत्रिमंडल ही कामकाज संभालेगा.
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