सनातन धर्म में पितृ पक्ष को बेहद पवित्र समय माना गया है. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक चलने वाला यह पखवाड़ा पूरी तरह से पूर्वजों की आत्मशांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दौरान किया गया श्राद्ध और तर्पण सीधा पितरों तक पहुंचता है और उन्हें शांति मिलती है.
ऐसे में अगर आप पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए किसी पवित्र स्थान की तलाश में हैं, तो राजस्थान के अजमेर में स्थित पुष्कर सरोवर आपके लिए सबसे खास हो सकता है. इसे सिर्फ़ एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि मोक्ष का द्वार भी माना जाता है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि यहां एक ही बार में किया गया श्राद्ध और पिंडदान का अनुष्ठान आपकी पांच पीढ़ियों तक के पितरों को शांति और मोक्ष दिला सकता है. यही कारण है कि पितृ पक्ष के दौरान देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं.
क्यों है पुष्कर सरोवर इतना खास?
पुष्कर को 'तीर्थों का राजा' कहा जाता है. हिंदू धर्म में इसका महत्व इसलिए भी है क्योंकि माना जाता है कि यहां भगवान ब्रह्मा का दुनिया का इकलौता मंदिर है. इतना ही नहीं पुष्कर सरोवर की उत्पत्ति को लेकर भी कई मान्यताएं हैं. कुछ लोग मानते हैं कि यह पवित्र जलस्रोत भगवान विष्णु की नाभि से निकला है, जबकि कुछ कहानियों के अनुसार, यह तब बना जब ब्रह्मा जी ने धरती पर एक कमल का फूल गिराया था. यही वजह है कि यह झील दुनिया भर में अपनी पवित्रता के लिए जानी जाती है.
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श्राद्ध और पिंडदान की महिमा
पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है और पुष्कर इस काम के लिए सबसे उत्तम जगह मानी जाती है. पुष्कर सरोवर तक जाने के लिए 52 घाट हैं, जहां देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. माना जाता है कि इस पवित्र जल में स्नान करने से न केवल आपके पाप धुल जाते हैं, बल्कि पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है. यहां का शांत और पवित्र वातावरण आपको एक अलग ही आध्यात्मिक एक्सपीरियंस देता है.
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5 पीढ़ियों का मोक्ष, सिर्फ़ एक अनुष्ठान से
पुष्कर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह देश का एकमात्र ऐसा तीर्थ है, जहां आप अपने 7 कुल और 5 पीढ़ियों तक के पूर्वजों के लिए श्राद्ध कर सकते हैं. कहा जाता है कि अन्य तीर्थस्थलों पर यह सुविधा एक या दो पीढ़ी तक ही सीमित है. इतना ही नहीं यह भी माना जाता है कि भगवान राम ने भी अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए यहीं पर श्राद्ध किया था.
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