ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटा दी और अंदर घुसकर उसके सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया. भारतीय जांबाजों ने हर मोर्चे पर पाकिस्तानी सेना को करारी शिकस्त दी, बावजूद इसके पाकिस्तान ने अपने आर्मी चीफ आसिम मुनीर को प्रमोशन का इनाम देते हुए फील्ड मार्शन बना दिया है. प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला हुआ, जो लगातार सवालों के घेरे में है.
हारे हुए जनरल को मिला प्रमोशन
जंग में बुरी तरह हारने वाले जनरल मुनीर को यह प्रमोशन उनके नेतृत्व, रणनीतिक सोच और भारत के ख़िलाफ चलाए गए सैन्य अभियान में निभाई गई अहम भूमिका की दलीलों के साथ मिला है. ऐसा सिर्फ पाकिस्तान में ही हो सकता है, जहां मुंह की खाने के बाद भी किसी आर्मी चीफ की पीठ थपथपाई जा रही है. अब आसिम मुनीर ताउम्र फील्ड मार्शल रहेगा और पाकिस्तान में कर्ज के पैसों से तनख्वाह पाता रहेगा.
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पाकिस्तान में बीते पांच दशकों में पहली बार किसी आर्मी चीफ को यह रैंक मिली है. इससे पहले जनरल अयूब खान ने तख्तापलट और राष्ट्रपति बनने के साथ-साथ 1959 में खुद को फील्ड मार्शन बना लिया था. पाकिस्तान में फील्ड मार्शल का पद पाकिस्तानी सशस्त्र बलों में सर्वोच्च पद है. जनरल आसिम मुनीर देश के इतिहास में दूसरे फील्ड मार्शल बन गए हैं. फील्ड मार्शल की रैंक आम तौर पर जनरल (चार सितारा) से ऊपर होती है और उसे फाइव स्टार रैंक में माना जाता.
ताउम्र पद पर बना रहेगा
फील्ड मार्शल की रैंक औपचारिक होती है और युद्धकाल में दी जाती है. इसके अलावा युद्ध के दौरान विशेष परिस्थितियों में खास सैन्य उपलब्धियां हासिल करने पर यह रैंक दी जाती है. आर्मी चीफ आसिम मुनीर को भारत के ऑपरेशन सिंदूर के खिलाफ पाकिस्तान की ओर से शुरू किए गए ऑपरेशन बन्यनुन मार्सूस में शानदार सैन्य नेतृत्व और वीरता के लिए इस रैंक से सम्मानित किया गया है.
प्रमोशन के बाद भी असीम मुनीर आर्मी चीफ के पद पर बना रहेगा. असीम मुनीर नवंबर 2022 में पाकिस्तान के सेना प्रमुख बने और फिर उन्होंने एक साल बाद संसदीय कानून में संशोधन के जरिए सेना प्रमुख का कार्यकाल 3 साल से बढ़ाकर पांच साल करवा दिया था. ऐसे में आर्मी चीफ के पद से 2027 में रिटायर होने के बाद भी वह फील्ड मार्शन बना रहेगा.
कर्ज के पैसे से करेगा मौज
फील्ड मार्शल को आजीवन सैन्य अधिकारी माना जाता है और वह अपनी मृत्यु तक इस रैंक और सुविधाओं के हकदार रहते हैं. ऐसे में आसिम मुनीर की मौज है और वह पूरी जिंदगी सैलरी और भत्ते के साथ लग्जरी लाइफ जीता रहेगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जनरल मुनीर को हर महीने करीब 2.5 लाख पाकिस्तानी रुपये सैलरी के तौर पर मिलते हैं, जो भारतीय रुपये में करीब ₹75,000 के करीब होते हैं.
आर्मी चीफ मुनीर को यह पद और सुविधाएं ऐसे वक्त में मिल रही हैं, जब पाकिस्तान बुरी तरह कर्ज में डूबा हुआ है. हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को एक अरब डॉलर का लोन दिया है क्योंकि देश गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है और कई इलाकों में भुखमरी जैसे हालात हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सही मायने में कर्ज के भरोसे ही चल रही है और देश पर 130 अरब डॉलर से ज्यादा का भारी-भरकम कर्ज हो चुका है. यह कर्ज पाकिस्तान की जीडीपी का करीब 42 फीसदी है और पड़ोसी मुल्क IMF का पांचवां सबसे बड़ा कर्जदार है.
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पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार मुनीर पर ऐसे ही मेहरबान नहीं है, बल्कि आर्मी चीफ को उस वफादारी का इनाम मिल रहा है जिसके तहत उसने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से बेदखल करवाने में शहबाज शरीफ की मदद की थी. हालांकि एक डर पाकिस्तान का इतिहास भी दिखा रहा है, जहां ताकतवर जनरल अक्सर तख्तापलट की वजह बने हैं और मुनीर भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है.