बिहार के पहले फेज की 121 सीटों का पूरा गुणा गणित... तेजस्वी और नीतीश के लिए क्या हैं चुनौतियां

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बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों पर मंगलवार शाम प्रचार का शोर थम जाएगा. राज्य की सत्ता की किस्मत का फैसला इसी चरण के चुनाव से तय हो जाएगा. इस फेज में 18 जिलों की 121 सीटों पर 1314 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 6 नवंबर को 3,75,13,302 मतदाता तय करेंगे.

बिहार के पहले चरण में मिथिलांचल, कोसी, मुंगेर डिवीजन और भोजपुर बेल्ट की 121 सीटों पर चुनाव है. इस फेज के कुल 1314 उम्मीदवारों में 122 महिला प्रत्याशी मैदान में हैं. आरजेडी सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव मैदान में है तो जेडीयू अपने कोटे की आधे से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के सियासी भविष्य का फैसला पहले चरण के चुनाव से तय हो जाएगा. पहले चरण में तेजस्वी के सामने अपनी सीटों को बचाए रखने की चुनौती होगी तो नीतीश कुमार को अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए जद्दोजहद करनी होगी. 

नीतीश सरकार के 16 मंत्रियों की अग्निपरीक्षा इसी फेज में होनी है. इससे समझा जा सकता है कि पहले चरण का चुनाव किसके लिए कितना अहम है. 

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पहले फेज में किसके कितने उम्मीदवार?

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच कांटे का माना जा रहा है. पहले चरण में महागठबंधन की तरफ आरजेडी 72 सीट पर चुनाव लड़ रही है तो उसके सहयोगी कांग्रेस 24 और सीपीआई माले 14 सीट पर किस्मत आजमा रहे हैं.

वीआईपी और सीपीआई छह-छह सीट पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि सीपीएम तीन और आईपी गुप्ता की इंडियन इंक्लूसिव पार्टी (आईआईपी) ने दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. इस तरह छह सीटों पर महागठबंधन की फ्रेंडली फाइट है.

वहीं, एनडीए की तरफ से जेडीयू पहले फेज में 57 सीट पर किस्मत आजमा रही है तो बीजेपी ने 48 सीट पर उम्मीदवार उतारे हैं. चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) ने 13 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएम के दो प्रत्याशी मैदान में हैं और जीतनराम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) भी एक सीट पर चुनाव लड़ रही है.

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी पहले चरण की 8 सीटों पर किस्मत आजमा रही है. साथ ही उनके सहयोगी चंद्र शेखर और स्वामी प्रसाद मौर्य की पार्टी ने भी उम्मीदवार उतारे हैं.  इसके अलावा जन सुराज पार्टी ने पहले चरण की 119 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. 

पहले चरण में किसका क्या दांव पर लगा है?

पहले चरण में एनडीए और महागठबंधन दोनों गठबंधनों की साख दांव पर लगी है. इन 121 विधानसभा सीटों पर पिछली बार हुए चुनाव के नतीजे देखें तो महागठबंधन और एनडीए में कांटे की फाइट रही थी. महागठबंधन ने 61 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि एनडीए को 59 सीटें मिली थीं.

एलजेपी पिछलली बार अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी और उसे सिर्फ एक सीट मिली थी. इस तरह भले ही 2020 में मुकाबला बराबरी का रहा हो, लेकिन इस बार सीन बदल गया है. 

पहले चरण की जिन 121 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, उसमें सबसे ज्यादा सीटें आरजेडी ने 42 सीटों पर जीत का परचम फहराया था जबकि 32 सीटें बीजेपी ने जीती थीं। जेडीयू के 23 विधायक जीतकर आए थे और कांग्रेस के 8 विधायक थे. 

इसके अलावा माले के 7, वीआईपी के चार, सीपीआई और सीपीएम के दो-दो विधायक जीते थे. इसके अलावा एलजेपी एक सीट जीती थी. इस तरह आरजेडी के लिए अपनी सीटें बचाए रखने की जंग है तो जेडीयू के सामने अपने खिसके जनाधार को दोबारा से पाने की चुनौती है.

बिहार के पहले चरण की चुनावी लड़ाई

पहले चरण की जिन 121 सीटों पर 6 नवंबर को मतदान होना है, उनमें 57 सीटों पर जेडीयू चुनाव लड़ रही है. जेडीयू की पहले चरण की 36 सीटों पर आरजेडी से सीधी लड़ाई है और 13 सीट पर कांग्रेस से मुकाबला है. इसके अलावा सात सीट पर जेडीयू की लड़ाई सीपीआई माले से है और दो सीटों पर मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के साथ फाइट है.

वहीं, 23 सीट पर आरजेडी और बीजेपी के बीच मुकाबला है तो कांग्रेस और बीजेपी के बीच पहले चरण में सिर्फ 13 सीटों पर सीधी लड़ाई है. चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी (आर) को 10 सीटों पर आरजेडी से सीधा मुकाबला करना पड़ रहा है तो भाकपा-माले 5 सीट पर बीजेपी से दो-दो हाथ कर रही है.

मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी का चार सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार से मुकाबला है तो उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम के दोनों उम्मीदवारों का मुकाबला आरजेडी प्रत्याशी से है. 

नीतीश के लिए कितना अहम पहला चरण

पहले चरण के चुनाव में असल लड़ाई जेडीयू की है, जिसमें महागठबंधन के आरजेडी से कांग्रेस और लेफ्ट तक से उसे दो-दो हाथ करना पड़ रहा है. 2020 में आरजेडी के साथ सीधी लड़ाई में जेडीयू फेल रही थी. इस बार के चुनाव में जेडीयू को महागठबंधन से ही नहीं बल्कि जन सुराज से भी मुकाबला करना पड़ रहा है.

जेडीयू के 2020 में जीते 43 विधायकों में से 23 विधायक यानी आधे से ज्यादा पहले चरण वाली सीटों से जीतकर आए थे. इस लिहाज से समझा जा सकता है कि जेडीयू के लिए कितना अहम है पहले फेज का चुनाव. बिहार की सियासत दो दशक से नीतीश कुमार के इर्द-गिर्द सिमटी हुई है, लेकिन बिहार की सियासी धुरी पर खड़े नीतीश कुमार के लिए इस बार का चुनाव काफी अलग और चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है.

20 साल से सत्ता में होने रहने के चलते नीतीश कुमार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर भी मानी जा रही है, जिसके चलते बीजेपी खुद फ्रंटफुट पर उतरकर चुनाव लड़ रही है. ऐसे में जेडीयू के लिए अपना सियासी वर्चस्व बनाए रखने के लिए बिहार की चुनावी जंग जीतना काफी अहम हो जाता है, क्योंकि इस बार बीजेपी से कम सीटें आती हैं तो सीएम की कुर्सी मिलना नीतीश को आसान नहीं होगा.

तेजस्वी के लिए कितना अहम पहला फेज

महागठबंधन के सीएम पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव के लिए पहले चरण का चुनाव काफी अहम माना जा रहा है. पिछली बार तेजस्वी यादव ने सारण और भोजपुर बेल्ट में बेहतर प्रदर्शन कर आरजेडी को मुख्य मुकाबले में ला दिया था. पहले चरण में महागठबंधन को एनडीए से ज्यादा सीटें मिली थीं. इस लिहाज से अगर तेजस्वी यादव को सत्ता के सिंहासन तक पहुंचना है तो उन्हें पहले चरण की ज्यादा से ज्यादा सीटों पर अपनी जीत का परचम फहराना होगा. 

राघोपुर सीट से तेजस्वी यादव खुद चुनावी मैदान में हैं। ऐसे में उन्हें अपनी जीत की हैट्रिक लगाने के साथ-साथ कांग्रेस और बाकी सहयोगी दलों के उम्मीदवारों को जिताने का जिम्मा है. पिछले चुनाव में सहयोगी दलों के पिछड़ जाने से तेजस्वी सत्ता के दहलीज तक पहुँचकर सीएम नहीं बन पाए थे, लेकिन इस बार सियासी सीन काफी बदल गया है.

पिछली बार अकेले लड़ने वाले चिराग पासवान इस बार एनडीए के साथ हैं तो उपेंद्र कुशवाहा भी नीतीश कुमार को सीएम बनाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। ऐसे में तेजस्वी के लिए काफी मुश्किल भरा चुनाव है, लेकिन युवाओं और अपने सियासी समीकरण के सहारे वह जीत का परचम फहराना चाहते हैं. 

नीतीश सरकार के 16 मंत्रियों की अग्निपरीक्षा

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में महागठबंधन और एनडीए दोनों के दिग्गज चेहरों की अग्निपरीक्षा होनी है. महागठबंधन की अगुवाई कर रहे आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की राघोपुर सीट पर पहले चरण में चुनाव है, जिसके चलते उनकी अग्निपरीक्षा 6 नवंबर को ही हो जाएगी. इसके अलावा एनडीए के दोनों डिप्टी सीएम का इम्तिहान पहले चरण में होना है.

बीजेपी नेता सम्राट चौधरी तारापुर सीट से मैदान में हैं तो विजय कुमार सिन्हा लखीसराय सीट से किस्मत आजमा रहे हैं, जिनकी सीट पर पहले चरण में चुनाव होना है. पहले चरण में नीतीश सरकार के 16 मंत्रियों की किस्मत दांव पर लगी है, जिसमें जेडीयू कोटे से 5 मंत्री तो बीजेपी कोटे से 11 मंत्री हैं.

बीजेपी के 11 मंत्रियों में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे सीवान सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. बांकीपुर सीट पर नितिन नवीन, तारापुर से डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, लखीसराय से डिप्टी सीएम विजय सिन्हा, दरभंगा के जाले से नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्र, दरभंगा से राजस्व मंत्री संजय सरावगी, कुढ़नी से पंचायती राज मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता, साहेबगंज से पर्यटन मंत्री राजू कुमार, अमनौर से सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री कृष्ण कुमार मंटू, बिहारशरीफ से पर्यावरण मंत्री सुनील कुमार और बछवाड़ा से खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता मैदान में हैं.

वहीं, जेडीयू के पांच मंत्रियों की किस्मत पहले चरण में दांव पर है. नीतीश कुमार के खास जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी सराय रंजन से चुनाव लड़ रहे हैं. नालंदा से ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, बहादुरपुर से समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी, कल्याणपुर से सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री महेश्वर हजारी और सोनबरसा से मंत्री रत्नेश सदा की किस्मत का फैसला पहले चरण में होगा. 

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