भविष्य के युद्धों में जीत इन तीन चीजों पर निर्भर... रण सम्वाद में बोले सीडीएस चौहान

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मध्य प्रदेश के डॉ. अंबेडकर नगर में आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित पहले त्रि-सेवा सेमिनार रण सम्वाद में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने भविष्य के युद्धों में जीत के लिए संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और टेक्नीकल इंटीग्रेशन को जरूरी बताया. इस सेमिनार का थीम था ‘युद्ध पर तकनीक का प्रभाव’. 

भविष्य के युद्ध: संयुक्त कार्रवाई और तकनीक का महत्व

जनरल चौहान ने कहा कि भविष्य के युद्धक्षेत्र सेना की सीमाओं को नहीं मानेंगे. जीत के लिए सभी क्षेत्रों में तेज और निर्णायक संयुक्त कार्रवाई जरूरी है. उन्होंने आत्मनिर्भरता और एकीकृत लॉजिस्टिक्स को भविष्य के युद्धों में जीत की कुंजी बताया. उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर और क्वांटम जैसी उभरती तकनीकों को अपनाने और संयुक्त प्रशिक्षण को मजबूत करने की जरूरत पर जोर दिया. 

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सुदर्शन चक्र: ढाल और तलवार

सीडीएस ने भारत के स्वदेशी सुदर्शन चक्र (भारत का अपना आयरन डोम) के विकास को नागरिक-सैन्य एकीकरण का प्रतीक बताया. उन्होंने कहा कि यह सिस्टम न केवल रक्षा (ढाल) के लिए होगा, बल्कि हमले (तलवार) में भी कारगर होगा. उन्होंने कई क्षेत्रों में क्षमता विकसित करने को भविष्य के युद्धों में जीत का केंद्र बताया.

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भारतीय युद्धों पर शोध की जरूरत

कौटिल्य का हवाला देते हुए जनरल चौहान ने कहा कि भारत प्राचीन काल से ज्ञान और विचारों का स्रोत रहा है, लेकिन भारतीय युद्धों और रणनीति पर शोध और विश्लेषण की कमी है. उन्होंने युद्ध, नेतृत्व, प्रेरणा, मनोबल और तकनीक जैसे विषयों पर गंभीर शोध की जरूरत बताई. उन्होंने कहा कि भारत को सशक्त, सुरक्षित, आत्मनिर्भर और विकसित बनाने के लिए सभी हितधारकों को मिलकर भविष्य की सेनाओं को तैयार करना होगा.

रण सम्वाद: नए विचारों का मंच

सीडीएस ने बताया कि रण सम्वाद का उद्देश्य युवा और मध्यम स्तर के सैन्य अधिकारियों को रणनीतिक चर्चा में शामिल करना है, जो तकनीकी प्रगति से वाकिफ हैं. उनके विचारों को सुनकर नए और अनुभवी विचारों के बीच तालमेल बनाया जा सकता है. यह मंच नए विचारों और अनुभवों के सामंजस्य को बढ़ावा देगा.

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दो दिवसीय सेमिनार का महत्व

यह दो दिवसीय सेमिनार सैन्य पेशेवरों को रणनीतिक संवाद के केंद्र में लाता है. दूसरे और अंतिम दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य भाषण देंगे. इस दौरान कुछ संयुक्त सिद्धांत (जॉइंट डॉक्ट्रींस) और टेक्नोलॉजी परस्पेक्टिव एंड कैपेबिलिटी रोडमैप भी जारी किए जाएंगे.

रण सम्वाद 2025 भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो संयुक्तता, आत्मनिर्भरता और तकनीकी नवाचार पर केंद्रित है. जनरल अनिल चौहान ने स्पष्ट किया कि भविष्य के युद्धों में जीत के लिए तकनीक और संयुक्त कार्रवाई जरूरी है.

सुदर्शन चक्र जैसे स्वदेशी प्रयास और रण सम्वाद जैसे मंच भारत को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम कदम हैं. यह सेमिनार न केवल सैन्य रणनीति को नया आयाम देगा, बल्कि भारत की रक्षा तैयारियों को वैश्विक स्तर पर मजबूत करेगा.

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