भारत की 'तेल-नीति', US से ऑयल इंपोर्ट 4 साल में सबसे ज्यादा, रूस से भी जमकर खरीद

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अमेरिका लंबे समय से दुनिया के तमाम देशों पर रूसी कच्चा तेल (Russian Oil) की खरीद बंद करने का दबाव डालता नजर आया है. डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसे देशों की लिस्ट में भारत पर इस मुद्दे को लेकर तगड़ा एक्शन भी लिया. रूसी तेल खरीद को यूक्रेन युद्ध में व्लादिमीर पुतिन की आर्थिक मदद बताते हुए ट्रंप ने भारत पर लागू 25% टैरिफ को बढ़ाकर दोगुना या 50% दिया. इसके बाद भारत ने ऐसी रणनीति अपनाई कि अमेरिका भी खुश और रूसी खरीद भी जारी. केप्लर के आंकड़ों के अनुसार, अक्तूबर में US Oil Import चार साल के हाई पर पहुंच गया, लेकिन Russian Oil Import अभी भी सबसे ऊपर है. 

कुल आयात का 12% अमेरिका से
केप्लर के आंकड़ों के अनुसार, अक्तूबर 2025 में अमेरिका से भारत का कच्चा तेल आयात चार साल से भी ज्यादा समय के हाई लेवल पर पहुंच गया है. इंडियन रिफाइनरियों ने अनुकूल मूल्य अंतर और चीन की कमजोर डिमांड का फायदा उठाते हुए तेल की खरीद बढ़ाई है. इस बीच भारत के कुल क्रूड ऑयल आयात में पिछले महीने अमेरिका तेल का योगदान 12% था. US Crude Oil Import में ये बढ़ोतरी दरअसल, रूसी एनर्जी कंपनियों पर कड़े अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच भारत की सोर्सिंग रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है.

2021 के बाद सबसे ज्यादा तेल खरीद
आंकड़ों पर नजर डालें, तो भारत ने अक्तूबर महीने में 5,68,000 बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) अमेरिकी कच्चे तेल का आयात किया था, जो मार्च 2021 के बाद से सबसे अधिक है. इससे कुल कच्चे तेल की खपत 48.1 लाख बैरल प्रतिदिन हुई, जो सितंबर की तुलना में 3% ज्यादा है. खास बात ये है कि अमेरिकी तेल आयात में यह वृद्धि तब हुई, जब रूसी आपूर्ति 16.2 लाख बैरल प्रतिदिन के साथ स्थिर बनी रही, जिससे रूस भारतीय तेल आयात में 34% हिस्सेदारी के साथ टॉप सप्लायर बना रहा. 

रूस से तेल खरीद स्थिर रहने के पीछे एक बड़ा कारण ये भी है कि रोसनेफ्ट और लुकोइल पर हाल ही में लगे अमेरिकी प्रतिबंध 21 नवंबर से प्रभावी होंगे, जबकि 45-55 दिनों की शिपिंग विंडो के कारण अक्टूबर के रूसी बैरल का कॉन्ट्रैक्ट संभवतः पहले ही हो गया था. 

ये हैं अमेरिकी सप्लाई बढ़ने के कारण
कंपनी के प्रमुख रिसर्च एनालिस्ट सुमित रिटोलिया का कहना है कि भारत का अक्टूबर क्रूड मिक्स स्पष्ट रूप से बढ़ते विविधीकरण और अवसरवादी खरीदारी पैटर्न को प्रदर्शित करने वाला है. उन्होंने कहा ऐसा नहीं है कि अमेरिका से क्रूड के आयात में ये तेजी तमाम  प्रतिबंधों पर किसी तात्कालिक प्रतिक्रिया के चलते है, बल्कि इसके कारण ब्रेंट-WTI क्रूड रेट और चीन की मांग में कमी है. 

रिटोलिया ने अनुमान जाहिर करते हुए कहा कि हालांकि रूसी हिस्सा अभी भी मजबूत है, लेकिन दिसंबर में लोडिंग कम हो सकती है.उन्होंने ये भी कहा कि रूसी तेल आयात पर पूरी तरह से रोक नामुमकिन है, जब तक कि रिफाइनर कंपनियों पर सीधे बैन नहीं लगते या भारत सरकार औपचारिक प्रतिबंध नहीं लगाती. एक्सपर्ट के मुताबिक, भारत लागत, सुरक्षा और भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को संतुलित करने के लिए लगातार अपने क्रूड बास्केट को नया रूप दे रहा है. 

भारत के टॉप-3 क्रूड सप्लायर
भारत के आयात में रूस के बाद दूसरे नंबर पर इराक, जबकि तीसरे पायदान पर सऊदी अरब का नाम आता है. इराक से जहां भारत ने अक्टूबर में 8,26,000 बैरल प्रतिदिन तेल खरीदा, तो वहीं सऊदी से 6,69,000 बैरल प्रतिदिन का तेल आयात किया गया है. इसके अलावा भारत ने ब्राज़ील से तेल आयात दोगुने से भी ज्यादा हो गया, जबकि नाइजीरिया और UAE से आयात में गिरावट आई है. 

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