कई सालों तक सिर्फ़ लग्जरी प्रोजेक्ट्स और प्रीमियम खरीदारों पर ध्यान देने के बाद, भारत के रियल एस्टेट डेवलपर्स अब एक बार फिर हाउसिंग मिड-सेगमेंट कैटेगरी की ओर लौट रहे हैं. प्रॉपर्टी बाज़ार में यह सेगमेंट सबसे स्थिर, गतिशील और मज़बूत क्षेत्रों में से एक बनकर उभर रहा है. जैसे-जैसे देश के युवा प्रोफेशनल, दोहरी आय वाले परिवार और पहली बार घर खरीदने वाले लोग शहरों में घरों की मांग बढ़ा रहे हैं, डेवलपर्स को इन ग्राहकों को पूरा करने में नया मकसद और मुनाफा दिख रहा है.
ELV Projects के कार्यकारी निदेशक, विवेक एन. बताते हैं, "फिलहाल, ज़्यादातर बड़े भारतीय शहरों में मिड-सेगमेंट वाले घर की कीमत 60 लाख रुपये से लेकर 1.2 करोड़ रुपये के बीच होती है, जिसमें शहर के हिसाब से थोड़ा-बहुत फ़र्क आ सकता है. इस सेगमेंट के मुख्य ग्राहक हैं- युवा प्रोफेशनल, मिड-लेवल मैनेजर्स, आईटी सेक्टर में काम करने वाले लोग, और 28 से 40 साल की उम्र के वे लोग जो पहली बार घर खरीद रहे हैं. ये ग्राहक ज़्यादातर बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और चेन्नई जैसे Tier 1 शहरों में हैं."
सपनों का घर, जेब के हिसाब से दाम
बहुत सारे खरीददारों के लिए, मिड-सेगमेंट के घर एकदम सही संतुलन बनाते हैं. इनमें मॉडर्न सुविधाएं तो मिलती हैं, लेकिन उनकी कीमत लग्जरी घरों जितनी ज़्यादा नहीं होती. डेवलपर्स भी इस सेगमेंट की ओर इसीलिए खिंचे चले आ रहे हैं क्योंकि यहां घर तेज़ी से बिकते हैं और उनके पास स्टॉक जमा होने का खतरा कम रहता है. मिगसन ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर, यश मिगलानी भी यही बात मानते हैं. वह कहते हैं कि मिड-सेगमेंट खासकर भारत के युवा, सैलरी पाने वाले लोगों के लिए एकदम फिट है, जिन्हें अपने सपनों का, लेकिन व्यावहारिक घर चाहिए. उनके शब्दों में, “यह सेगमेंट लोगों की ख्वाहिशों और सही कीमत के बीच पुल का काम करता है, जो उन्हें किफायती बजट में शानदार लाइफस्टाइल वाले घर देता है.”
सपनों और जेब का सही तालमेल
घर की इस कीमत और सपनों के बीच सही तालमेल ने इस सेगमेंट को महामारी के बाद और भी ज़्यादा आकर्षक बना दिया है. महामारी के दौरान, लोगों की प्राथमिकताएं दिखावे वाली भव्यता से हटकर ज़मीन से जुड़े आराम की ओर शिफ्ट हो गईंं.
बड़े शहरों में डेवलपर्स जानबूझकर अपने प्रोजेक्ट्स में मिड-सेगमेंट के घरों को बढ़ा रहे हैं. इसका सीधा-सा गणित है. जहां लग्जरी मार्केट धीमा पड़ता है, वहां मिड-सेगमेंट तेज़ी से बिकता है.
विवेक एन. कहते हैं, ' यह सच है कि कई डेवलपर्स जानबूझकर अपने प्रोजेक्ट्स में मिड-सेगमेंट के प्रोडक्ट जोड़ रहे हैं. " वे बताते हैं, "मिड-सेगमेंट में बिक्री लगातार बनी रहती है और घर जल्दी बिक जाते हैं, जबकि प्रीमियम और लग्जरी सेगमेंट हमेशा खास रहता है, इसलिए डेवलपर्स अब मिड-सेगमेंट प्रोजेक्ट्स के ज़रिए ज़्यादा से ज्यादा घर बेचकर अपना कारोबार बढ़ा रहे हैं."
मिगलानी कहते हैं कि NCR में यह बदलाव रणनीतिक और ज़रूरी दोनों था. "कई डेवलपर्स मिड-सेगमेंट में इसीलिए उतर रहे हैं क्योंकि इसमें बिक्री का वॉल्यूम, रफ़्तार और बाज़ार में मज़बूती बनी रहती है. लग्जरी प्रोजेक्ट्स में मांग उतार-चढ़ाव वाली होती है, जबकि मिड-सेगमेंट के घरों में लगातार बिक्री और लिक्विडिटी बनी रहती है."
विकास कहां हो रहा है?
पूरे भारत में, मिड-सेगमेंट के घरों की मांग उन इलाकों में बढ़ रही है, जो नौकरी और नए इंफ्रास्ट्रक्चर के हब बनकर उभर रहे हैं. दक्षिण भारत में, बेंगलुरु का सर्जापुर रोड, व्हाइटफ़ील्ड और नॉर्थ बेंगलुरु वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए बनाए जा रहे प्रोजेक्ट्स में लगातार तेज़ी देख रहे हैं. विवेक एन. बताते हैं कि हैदराबाद में कोंडापुर, मियापुर और कोमपल्ली भी इसी रास्ते पर हैं, जबकि पुणे के मार्केट को हिंजेवाड़ी, वाकड और बानेर जैसे इलाके आगे बढ़ा रहे हैं. वह आगे कहते हैं, "इन हब्स में सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर मज़बूत है, किरायेदारों की मांग अच्छी है, और प्रॉपर्टी की कीमतों में संतुलित बढ़ोतरी हो रही है. "
NCR में कहां हो रहा है तेज़ी से विकास?
इस बीच, NCR में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद जैसे इलाके सबसे आगे चल रहे हैं. मिगलानी बताते हैं, "आने वाले नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मेट्रो कॉरिडोर के विस्तार, और बेहतर एक्सप्रेसवे कनेक्टिविटी के कारण, ये हब अब पूरी तरह से आत्मनिर्भर शहरी सिस्टम में बदल रहे हैं. ये जगहें रहने के लिए बेहतरीन माहौल, अच्छी कनेक्टिविटी और प्रॉपर्टी के मूल्य बढ़ने की शानदार संभावनाएं देती हैं."
सपनों को फाइनेंस करना हुआ आसान
सरकार की योजनाओं और आसानी से मिलने वाले लोन ने इस सेगमेंट की ग्रोथ को और भी बढ़ावा दिया है. विवेक एन. कहते हैं, "ब्याज दरों के कम होने और लंबी अवधि के होम लोन मिलने से, पहली बार घर खरीदने वालों के लिए मिड-सेगमेंट की प्रॉपर्टी लेना पहले से ज़्यादा आसान हो गया है." वह आगे कहते हैं, "बैंक और फाइनेंस कंपनियां अब आसान डाउन पेमेंट विकल्प और EMI की योजनाएं दे रही हैं, जिससे सैलरी पाने वाले लोग किराए के घर से निकलकर अपना घर लेने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं."
मिगलानी भी मानते हैं कि फाइनेंस सुविधा बहुत ज़रूरी साबित हुई है. "सरकारी योजनाओं और आसान फाइनेंस ने मांग को और तेज़ कर दिया है. ब्याज दरों के स्थिर रहने और PMAY (प्रधानमंत्री आवास योजना) जैसी पहल से, घर लेना अब ज़्यादा आसान हो गया है. जब घर की कीमत और लोगों की चाहत को आसानी से फाइनेंस मिल जाता है, तो बाज़ार में उसकी पहुंच बहुत गहरी हो जाती है."
युवा खरीददार का असर
आज का भारतीय घर खरीददार युवा, टेक्नोलॉजी को समझने वाला और तुरंत फैसला लेने वाला है. वे बेतहाशा लग्जरी के बजाय सस्टेनेबिलिटी, अच्छी कनेक्टिविटी और स्मार्ट लिविंग को महत्व देते हैं. विवेक एन. कहते हैं, "आजकल, 25 से 40 साल की उम्र के लोग ही ज़्यादातर घर खरीद रहे हैं." वह बताते हैं, "उन्हें छोटे, स्मार्ट और ऊर्जा-कुशल घर पसंद हैं, जो मॉडर्न सुविधाओं से लैस हों. मिड-सेगमेंट के घर सपनों और समझदारी का सही मेल हैं. वे किफायती भी हैं और आर्थिक रूप से सही फैसला भी."
मिगलानी भी इस बात से सहमत हैं और कहते हैं, "आजकल की युवा कामकाजी पीढ़ी को ऐसे घर पसंद हैं जो छोटे हों, अच्छी तरह से कनेक्टेड हों, और टेक्नोलॉजी से लैस हों, जो उनकी हाइब्रिड काम करने की लाइफस्टाइल में फिट बैठते हों. साथ ही, दोहरी आय वाले परिवारों में भी अब पैसों को लेकर ज़्यादा आत्मविश्वास है, जिसकी वजह से वे घर खरीदने का फैसला तेज़ी से लेते हैं."
बाज़ार के उतार-चढ़ाव को झेलने की ताकत
डेवलपर्स को मिड-सेगमेंट के घर खासकर इसलिए भी अच्छे लगते हैं, क्योंकि यह सेगमेंट बाज़ार के झटकों को आसानी से झेल लेता है. लग्जरी घरों की तरह, जो सिर्फ अंदाज़े वाली या मौसमी मांग पर निर्भर करते हैं, मिड-टियर सेगमेंट ज़रूरत पूरी करने वाले ग्राहकों की वजह से टिका रहता है.
विवेक एन. कहते हैं, "आर्थिक उतार-चढ़ाव के दौरान भी मिड-सेगमेंट हाउसिंग मार्केट में मज़बूती बनी रही है, क्योंकि इसे आखिरी ग्राहक की ज़रूरतें चलाती हैं." वह आगे बताते हैं, "अपने बड़े खरीददार आधार और शहरी कामकाजी लोगों की मांग के कारण, यह सेगमेंट सरकारी नीतियों या लोन की ब्याज दरों में बदलाव से भी कम प्रभावित होता है."
मिगलानी निष्कर्ष निकालते हुए कहते हैं, "इस सेगमेंट की असली ताकत इसके गहरे ग्राहक आधार में है, जो इसे आने वाले रियल एस्टेट साइकिल के लिए सबसे सुरक्षित दांव बनाता है. डेवलपर्स और निवेशकों दोनों के लिए, यह लगातार बिक्री सही कीमत और लंबी अवधि में मूल्य वृद्धि सुनिश्चित करता है."
डेवलपर्स यह महसूस कर रहे हैं कि भले ही लग्जरी घर चकाचौंध पैदा करते हों और किफायती घर सरकारी लक्ष्यों को पूरा करते हों, लेकिन यह मिड-सेगमेंट ही है जो बाज़ार को टिकाए रखता है.
(ये आर्टिकल पहले indiatoday.in पर पब्लिश हुआ है, जिसे जैसमीन आनंद ने लिखा है)
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