वेनेजुएला पर हमले की तैयारी? ट्रंप की सेना 20 साल पुराने नेवल बेस पर हो गई एक्टिव

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प्यूर्टो रिको में एक पुरानी अमेरिकी नौसेना बेस को फिर से तैयार किया जा रहा है. यह बेस 20 साल से बंद पड़ा था. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि वहां मजदूर रनवे तक जाने वाले रास्तों को साफ कर रहे हैं और नया कवर डाल रहे हैं. अमेरिका का यह कदम वेनेजुएला में संभावित सैन्य अभियानों की तैयारी का संकेत दे रहा है.

साथ ही, प्यूर्टो रिको और सेंट क्रॉइक्स के सिविलियन एयरपोर्ट्स पर भी सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं. ये जगहें वेनेजुएला से करीब 800 किलोमीटर दूर हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलास मादुरो पर दबाव बनाने की कोशिश है. आइए विस्तार से जानें इसकी पूरी कहानी...

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US Puerto Rico base

रूजवेल्ट रोड्स नेवल बेस: 20 साल बाद नई जिंदगी

रूजवेल्ट रोड्स नेवल बेस प्यूर्टो रिको के पूर्वी तट पर है. यह 1940 के दशक में बना था और कोल्ड वॉर के समय अमेरिका का महत्वपूर्ण सैन्य केंद्र था. यहां से विमान, जहाज और सैनिक तैनात होते थे. लेकिन 2004 में इसे बंद कर दिया गया. तब से यह खाली पड़ा था. अब सैटेलाइट तस्वीरें दिखा रही हैं कि कंस्ट्रक्शन का काम जोरों पर है.

टैक्सीवे—जो विमानों को रनवे तक ले जाते हैं, उनको साफ किया जा रहा है. पुरानी सतह हटाकर नई डाली जा रही है. यह काम इतना तेज है कि विशेषज्ञों को लगता है कि जल्द ही बेस इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाएगा.

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अमेरिकी नौसेना ने आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की, लेकिन स्रोतों के मुताबिक यह वेनेजुएला की तरफ नजर रखने के लिए है. वेनेजुएला दक्षिण अमेरिका में है, जहां तनाव बढ़ रहा है. अमेरिका को शक है कि वहां तानाशाही चल रही है और लोकतंत्र खतरे में है.

US Puerto Rico base

सिविलियन एयरपोर्ट्स पर भी काम: क्यों?

सिर्फ सैन्य बेस ही नहीं, प्यूर्टो रिको के सिविलियन एयरपोर्ट्स पर भी सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं. सेंट क्रॉइक्स द्वीप पर भी यही हो रहा है. ये एयरपोर्ट्स सामान्य उड़ानों के लिए हैं, लेकिन अब इन्हें मजबूत बनाया जा रहा है. रनवे लंबे किए जा रहे हैं. स्टोरेज बढ़ाया जा रहा है. ये जगहें वेनेजुएला से सिर्फ 800 किलोमीटर दूर हैं. अगर जरूरत पड़ी, तो यहां से तेजी से सैन्य विमान भेजे जा सकते हैं.

तीन अमेरिकी सैन्य अधिकारियों और तीन नौसेना विशेषज्ञों ने रॉयटर्स को बताया कि यह सब वेनेजुएला के नेतृत्व पर दबाव डालने के लिए है. राष्ट्रपति मादुरो पर अमेरिका का गुस्सा पुराना है. 2019 से अमेरिका उन्हें तानाशाह कहता आया है. अब ये कदम और सख्ती दिखा रहे हैं.

मादुरो की जवाबी कार्रवाई: रूस और चीन से मदद

वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलास मादुरो घबरा गए हैं. वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने रूस और चीन से सैन्य मदद मांगी है. अमेरिका की गतिविधियों से डर लग रहा है कि सीमा पर हमला हो सकता है. जल्द ही एक रूसी IL-76 कार्गो प्लेन वेनेजुएला पहुंचा. यह प्लेन एवियाकॉन जिटोट्रांस कंपनी का था, जो वैगनर ग्रुप से जुड़ी है.

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वैगनर रूस का विवादास्पद सैन्य समूह है, जो यूक्रेन युद्ध में लड़ा. इस प्लेन में क्या था—हथियार, सैनिक या खुफिया सामान—यह साफ नहीं. लेकिन यह साफ है कि रूस वेनेजुएला का साथ दे रहा है. 

मादुरो का कहना है कि अमेरिका उनके देश को अस्थिर करना चाहता है. वेनेजुएला में तेल के विशाल भंडार हैं, जो अमेरिका को लुभाते हैं. आर्थिक संकट के बीच मादुरो की सत्ता डगमगा रही है. 

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दुनिया की नजर: तनाव क्यों बढ़ रहा?

यह सब दक्षिण अमेरिका में नया तनाव पैदा कर रहा है. अमेरिका कहता है कि वह लोकतंत्र बचाना चाहता है. लेकिन आलोचक कहते हैं कि यह तेल और प्रभाव के लिए है. रूस और चीन, वेनेजुएला को हथियार देकर अमेरिका को चुनौती दे रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र चिंतित है कि इससे युद्ध हो सकता है.

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पिछले साल वेनेजुएला ने ब्राजील और गयाना से सीमा विवाद किया था. अब अमेरिका की चाल से हालात और बिगड़ सकते हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि प्यूर्टो रिको बेस से निगरानी आसान हो जाएगी. लेकिन अगर युद्ध हुआ, तो लाखों लोग प्रभावित होंगे. 

भविष्य क्या?

अमेरिका के ये कदम वेनेजुएला को चेतावनी हैं. मादुरो को चुनाव कराने या सत्ता छोड़ने का दबाव है. लेकिन रूस-चीन का साथ उन्हें हौसला दे रहा है. प्यूर्टो रिको बेस का काम पूरा होने पर साफ हो जाएगा कि अमेरिका कितना सीरियस है. 

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