प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की है, जिसमें एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश का आरोप लगाया गया है. जांच एजेंसी का कहना है कि मां-बेटे की जोड़ी ने 'यंग इंडियन' नाम की कंपनी का इस्तेमाल करके एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) पर “धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश” के तहत नियंत्रण हासिल किया था. इसी कंपनी द्वारा 'नेशनल हेराल्ड' अखबार का भी पब्लिकेशन किया जाता था, जो अब बंद हो चुका है.
ईडी ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास यंग इंडियन में संयुक्त रूप से 76% हिस्सेदारी थी, और 2010 में कंपनी के गठन के वक्त से ही उनका नियंत्रण था. एजेंसी का आरोप है कि इस कंपनी को एक कॉर्पोरेट मुखौटा बनाकर एजेएल की 755 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों को अवैध रूप से हड़पने के लिए इस्तेमाल किया गया. मसलन, कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) से 90 करोड़ रुपये का लोन लेकर उसे इक्विटी में बदल दिया गया - और बदले में सिर्फ 50 लाख रुपये दिए गए.
साजिश और धोखाधड़ी से अधिग्रहण का आरोप
ईडी का आरोप है कि गांधी परिवार ने कांग्रेस कमेटी और यंग इंडियन में अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हुए ऐसा तंत्र रचा, जिसके तहत एजेएल का पूरा शेयर, जिसमें प्रमुख अचल संपत्तियां और अन्य संसाधन शामिल थे - यंग इंडियन को सौंप दिए गए. यह प्रक्रिया उस 90.21 करोड़ रुपये के लोन को महज 50 लाख रुपये में यंग इंडियन को सौंपने से शुरू हुई थी. ईडी का कहना है कि उस समय सोनिया गांधी एआईसीसी की अध्यक्ष थीं और राहुल गांधी महासचिव थे - और दोनों की इस लेनदेन में सीधी भूमिका थी.
एजेंसी का दावा है कि एजेएल ने यह लोन कभी नहीं लौटाया और इसके बजाय इस कर्ज को 26 फरवरी 2011 को यंग इंडियन के पक्ष में इक्विटी शेयरों में बदल दिया गया. इससे यंग इंडियन को एजेएल की सभी संपत्तियों, जिनमें दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, पटना सहित कई शहरों की जमीनें शामिल हैं, उन पर नियंत्रण हासिल कर लिया, और इसका कोई भुगतान भी नहीं किया गया.
अपराध से अर्जित संपत्ति और उसका इस्तेमाल
ईडी ने अपराध से अर्जित आय (Proceeds of Crime) को तीन हिस्सों में विभाजित किया है:
एजेएल के इक्विटी शेयर: यंग इंडियन को 90.21 करोड़ रुपये के अंकित मूल्य पर आवंटित किए गए.
एजेएल की वास्तविक संपत्ति: आयकर विभाग द्वारा किए गए मूल्यांकन के मुतबिक 755 करोड़ रुपये है.
किराये से आय: 2010–2023 के बीच इन संपत्तियों से 142.67 करोड़ रुपये की आय अर्जित की गई, जिसे ईडी ने अवैध करार दिया है.
इसके अतिरिक्त, यंग इंडियन को वित्त वर्ष 2017–18 में 18.12 करोड़ रुपये के फेक चंदे मिले, जिन्हें ईडी के मुताबिक आयकर देनदारियों को चुकाने के लिए जुटाया गया था. यह चंदे कथित तौर पर वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं, जैसे कि मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस द्वारा, फर्जी नामों और कंपनियों के जरिये जुटाए गए.
फर्जी किराया और संदिग्ध विज्ञापन आय
ईडी ने एजेएल की वित्तीय गतिविधियों पर भी सवाल उठाए हैं:
फर्जी अग्रिम किराया: 2017–18 में 38.41 करोड़ रुपये अग्रिम किराये के रूप में हासिल हुए, लेकिन इनमें से अधिकांश के लिए कोई वैध करार नहीं था. जिन संस्थाओं से यह रकम आई, उन्होंने बाद में कहा कि यह रकम व्यापारिक लेनदेन के तहत नहीं, बल्कि कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर भेजी गई थी.
संदिग्ध विज्ञापन आय: 2017–2021 के बीच एजेएल ने 29.45 करोड़ रुपये के विज्ञापन से आय दिखाई, जिसमें से 15.86 करोड़ रुपये कांग्रेस से जुड़े संगठनों से आया. ईडी का कहना है कि ये विज्ञापन कॉमर्शियल नहीं थे, बल्कि सिर्फ औपचारिक बधाई या संदेश थे, ताकि वैध कारोबार की आड़ में आय अर्जित की जा सके.
सोनिया गांधी पर आरोप
सोनिया गांधी को इस मामले में आरोपी नंबर 1 बनाया गया है. ईडी का आरोप है कि,
- सोनिया गांधी एआईसीसी अध्यक्ष और यंग इंडियन की निदेशक के रूप में अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया.
- 90.21 करोड़ रुपये के लोन को बिना किसी उचित जांच-पड़ताल के यंग इंडियन को सौंपा और उसे शेयर में परिवर्तित किया.
- वे यंग इंडियन और एजेएल के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्त रहीं.
ईडी ने कहा है, “सोनिया गांधी अन्य आरोपियों के साथ मिलकर एजेएल के शेयरधारकों और एआईसीसी के डोनेटर्स को धोखा देने की साजिश में शामिल रहीं. उन्होंने अपराध से अर्जित आय, उसके स्वामित्व, उसे छिपाने, उसके गलत इस्तेमाल करने और उसे वैध दिखाने की प्रक्रिया में शामिल रहीं.
ईडी के आरोपों के मुताबिक, सोनिया गांधी के बयान, भटकाने वाले और जांच को भ्रमित करने वाले थे, जो कि PMLA की धारा 50 के तहत जुलाई 2022 में दर्ज किए गए थे. एजेंसी ने उन्हें PMLA की धारा 3 (मनी लॉन्ड्रिंग) और धारा 70 (कॉरपोरेट जिम्मेदारी) के तहत दोषी बताया है.
राहुल गांधी पर आरोप
राहुल गांधी को आरोपी नंबर 2 बताया गया है, और ईडी का कहना है कि:
- राहुल गांधी ने 13 दिसंबर 2010 को यंग इंडियन के निदेशक बनाए गए और इसके तुरंत बाद ही 38% हिस्सेदार बन गए.
- राहुल गांधी ने एजेएल के लोन को इक्विटी में बदलने की योजना में सक्रिय भूमिका निभाई और इससे पहले ही एजेएल को मांग पत्र भेजना शुरू कर दिया था, जब तक कि लोन का आधिकारिक तौर पर ट्रांसफर नहीं हुआ था.
- उस समय यंग इंडियन की समस्त गतिविधियों की जिम्मेदारी राहुल गांधी पर ही थी.
- ईडी का आरोप है कि जून 2022 में उनके बयान भी भ्रामक थे और उन्होंने सारी जिम्मेदारी दिवंगत मोतीलाल वोरा पर डालने की कोशिश की थी.
संपत्ति कुर्की और कानूनी कार्रवाई
ईडी ने 20 नवंबर 2023 को एजेएल की 751.91 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया था, जिसे 10 अप्रैल 2024 को अडजुडिकेटिंग अथॉरिटी ने पुष्टि कर दी. एजेएल और यंग इंडियन ने इसके खिलाफ अपीलेट ट्रिब्यूनल में अपील की है, जिसकी सुनवाई चल रही है.
कांग्रेस की प्रतिक्रिया और राजनीतिक विवाद
जहां तक कांग्रेस पार्टी का सवाल है, उसने अब तक इस शिकायत पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पहले इस पूरे मामले को “राजनीतिक प्रतिशोध” और विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के रूप में खारिज कर चुकी है.