Balarama and Revati Vivah: 27 जून को शुरू हुई भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का 8 जुलाई को नीलाद्रि विजय की रस्म के साथ ही समापन हो जाएगा. हिंदू ग्रंथों में कथित अनेक कथाओं में से एक भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम और उनकी पत्नी रेवती की अनोखी कहानी का उल्लेख है. कथानुसार, प्राचीन समय की बात है. सतयुग में रैवत नाम के राजा की एक पुत्री थी, जिसका नाम रेवती था. राजा यह मानते थे कि उनकी बेटी बेहद खूबसूरत और ज्ञानवान है. उन्हें लगता था कि पृथ्वी पर कोई भी पुरुष उनकी बेटी के योग्य नहीं है. इसलिए एक बार योग्य वर की तलाश में वो अपनी पुत्री को ब्रह्मलोक ले गए.
ब्रह्मलोक पहुंचने के बाद राजा ने अपनी तकलीफ सृष्टि के देवता ब्रह्माजी को बताई. राजा ने ब्रह्मा जी से अनुरोध किया कि वे उसकी पुत्री के लिए सही वर सुझाएं. राजा की ऐसी बात सुनकर ब्रह्मा जी मुस्कराकर बोले, “हे राजन, आप परेशान मत होइए. आप पृथ्वी पर वापस लौट जाइए. वहां श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम आपकी पुत्री के लिए सर्वथा योग्य हैं.” ब्रह्मा जी से ऐसा सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुए और ब्रह्मा जी को प्रणाम कर पृथ्वी पर वापस लौट आए.
लौटे तो बदल चुकी थी दुनिया
जब राजा रैवत अपनी पुत्री को लेकर धरती पर लौटे तो उन्होंने पाया कि वहां के लोगों का कद बहुत छोटा है. ऐसा दृश्य देखकर राजा और उनकी पुत्री रेवती हैरान रह गए. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि ये सब कैसे हुआ. फिर उन्होंने वहां लोगों से बात की तो पता चला कि ये द्वापरयुग चल रहा है. सतयुग में जातक की लंबाई 32 फुट यानी 21 हाथ के समान थी. त्रेतायुग में 21 फुट यानी 14 हाथ के समान और द्वापर युग में 11 फुट यानी करीब 7 हाथ के समान थी. ये सब देख-समझकर राजा बहुत परेशान हो गए.
बलराम जी ने बताया सच
राजा रैवत तुरंत बलराम के पास पहुंचे. उन्हें पृथ्वी से ब्रह्मलोक की पूरी कहानी सुनाई और इसका हल पूछा. राजा की बात सुनकर बलराम मुस्कराए और बोले कि 'जब आप सतयुग में ब्रह्मलोक गए और फिर वापस पृथ्वी पर लौटे, तब से अब तक सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग के 27 चक्र समाप्त हो चुके हैं. इसलिए लोगों का आकार भी बदल चुका है.' बलराम की बात सुनकर राजा परेशान हो गए और बोले कि इतनी कम लंबाई के पुरुष के साथ मेरी बेटी का विवाह कैसे हो पाएगा?
राजा के ऐसे शब्द सुनकर बलराम जी मुस्कुराए और उन्होंने अपने हाथ में हल को लिया और रेवती को थोड़ा दबाकर उनका कद छोटा कर दिया. यह चमत्कार देखकर राजा बेहद प्रसन्न हुए. इसके बाद बलराम के साथ रेवती का विवाह संपन्न हुआ.
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