'दर्द के बीच उन्होंने शूटिंग की', असरानी को याद कर बोले प्रियदर्शन

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दिग्गज एक्टर गोवर्धन असरानी का सोमवार को चार दिनों तक अस्पताल में रहने के बाद निधन हो गया. वो न केवल भारतीय सिनेमा में एक प्रमुख हस्ती थे, बल्कि फिल्ममेकर प्रियदर्शन के जीवन और करियर का एक स्तंभ भी थे.

इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में प्रियदर्शन ने उन्हें न केवल एक एक्टर के रूप में, बल्कि शिल्प, विनम्रता और अनुशासन की एक संस्था के रूप में याद किया. उन्होंने बताया कि असरानी के साथ 19 फिल्मों में काम किया. 'जो कि ऋषि दा (ऋषिकेश मुखर्जी) के साथ किए गए काम से कहीं ज्यादा है. जो किसी भी फिल्म मेकर के साथ उनका अधिकतम काम है.'

प्रियदर्शन ने क्या कहा?
प्रियदर्शन ने कॉमेडी से परे असरानी की प्रतिभा को याद करते हुए बताया कि कैसे 70 के दशक में दर्शक अभिमान और परिचय जैसी फिल्मों में उनके जमीनी अभिनय की ओर आकर्षित होते थे. वह सिर्फ एक कॉमेडी एक्टर ही नहीं थे. फिल्म 'कोशिश' में वह खलनायक भी थे. इस फिल्म में मैं उनसे नफरत करता था, इसलिए आप उनकी विविधता का अंदाजा लगा सकते हैं. वह एक संपूर्ण एक्टर थे, जो कभी भी तमाशा नहीं करते थे, फिर भी हमें सचमुच हंसा सकते थे.

असरानी को कई बार-बार कास्ट करने के बारे में प्रियदर्शन ने बताया, 'मैंने उन्हें पहली बार 'गर्दिश' (1993) में एक छोटी सी भूमिका के लिए सिर्फ देखने के लिए बुलाया था. उसके बाद, वह मेरी फिल्मों, जिनमें 'हेरा फेरी', 'दे दना दन' और 'मालामाल वीकली' में शामिल हुए. जिसके बाद वो मेरी फिल्मों का हिस्सा बन गए क्योंकि कोई और बिना ओवरएक्टिंग के इतने स्वाभाविक रूप से कॉमेडी नहीं दे सकता था.'

प्रियदर्शन के साथ की फिल्म
जब प्रियदर्शन से पूछा गया कि क्या उन्हें असरानी की बिगड़ती सेहत के बारे में कोई अंदाजा था? फिल्ममेकर ने तुरंत सेट पर साथ बिताए अपने आखिरी दिनों को याद करते हुए कहा, 'वह मेरी पिछली दो फिल्मों, 'भूत बंगला' और 'हैवान' में थे. वह दोनों फिल्मों में एक बहुत बड़ी भूमिका निभा रहे थे. मैंने 'भूत बंगला' पहले ही पूरी कर ली थी, और उस फिल्म से पहले वह काफी समय से काम नहीं कर रहे थे. इसलिए उन्होंने मुझसे कहा, 'मुझे कोई फोन नहीं करता. मुझे फोन करने के लिए शुक्रिया.' ये उनकी आखिरी फिल्में भी हैं, और हमने दोनों की शूटिंग सिर्फ छह महीनों में की. यानी हमने साथ में काफी समय बिताया.'

अंतिम वक्त तक शूट करते रहे
शूटिंग के आखिरी दिनों के बारे में बताते हुए, प्रियदर्शन ने बताया कि कैसे असरानी शारीरिक दर्द के बावजूद काम करते रहे. अस्पताल में भर्ती होने से कुछ दिन पहले असरानी सेट पर थे और उन्होंने बताया कि चोट के कारण वह चल नहीं पा रहे थे और डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी थी. तो मैंने सोचा कि मैं शूटिंग नहीं करूंगा, लेकिन उन्होंने मुझसे कहा, 'मुझे टालना मत, मैं आऊंगा. बस मुझे एक दिन दे दो, और ठीक वैसा ही हुआ, वह अगले दिन सेट पर थे. वह चल नहीं पा रहे थे, इसलिए हमने शॉट्स के बीच में उनके लिए एक कुर्सी रखी थी. लेकिन जैसे ही आपने एक्शन कहा, वह एक अलग ही इंसान थे, बहुत अच्छी एक्टिंग कर रहे थे, दर्द या बेचैनी का कोई निशान नहीं था.'

अक्षय कुमार का टूटा दिल
प्रियदर्शन ने बताया कि वह इसे ईश्वरीय कृपा मानते हैं कि फिल्म समय पर पूरी हो गई.  मेरे पास पुलिस स्टेशन में बैठे हुए उनका बस एक छोटा सा शॉट था. बस इतना ही बचा था, और उन्होंने मुझसे कहा था कि जब वह वापस आएंगे तो ठीक हो जाएंगे और आज वह हमारे बीच नहीं हैं. मुझे उनकी बहुत याद आती है. अक्षय कुमार ने ही मुझे उनके निधन की सूचना दी. वह भी बहुत दुखी थे, उन्होंने मुझसे कहा, 'प्रियान, मैंने उनके साथ दो फिल्में की हैं और हर दिन 35 से 45 दिन उनके साथ रहा हूं. अब मैं बहुत टूटा हुआ महसूस कर रहा हूं, मुझे नींद नहीं आ रही है क्योंकि मुझे बहुत बुरा लग रहा है.' 

19 फिल्मों में साथ किया काम
फिल्ममेकर ने याद किया कि असरानी सिर्फ एक बार पढ़कर ही संवाद का एक पूरा पन्ना याद कर लेते थे. उनका अनुशासन इतना गहरा था कि सेट पर आने से पहले वह अपनी लिखावट में संवाद दोबारा लिखते थे, यह सुनिश्चित करते हुए कि वह पूरी तरह से तैयार हैं. वे गरीबी और आम आदमी की जिंदगी के हास्य को समझते थे. वे सोने का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुए थे, और न ही वे अपनी मांसपेशियों का प्रदर्शन करने आए थे.

प्रियदर्शन ने आगे कहा, 'जब भी असरानी सेट पर आते, सभी कलाकार उनके आस-पास इकट्ठा हो जाते और वह बीते दिनों की मजेदार कहानियां सुनाना शुरू कर देते. जिनमें राज कपूर के साथ बिताया गया उनका समय भी शामिल था. 'हर कोई उन्हें सुनना पसंद करता था, और लोग अक्सर उनसे उन लोगों के लिए कहानियां दोहराने के लिए कहते थे जिन्होंने उन्हें अभी तक नहीं सुना था.'

'वह बहुत विनम्र व्यक्ति थे, और इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हम इस राह पर चलना चाहते थे. उनका मानना ​​था कि उन्होंने एक जिंदगी जी है और मुझे इस तरह सम्मान क्यों मिलना चाहिए. कुछ लोग बहुत सरल होते हैं, और मुझे लगता है कि हमें उनसे कुछ सीखना चाहिए. एक ऐसा व्यक्ति जिसने भारत में सबसे ज्यादा 350 से ज्यादा फिल्में की हैं. वह विनम्रता से जीना पसंद करते थे. मुझे गर्व है कि उन फिल्मों में से, मैं उनके साथ 19 फिल्में कर पाया. 

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