सूर्य उपासना का महापर्व छठ सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक ऐसा भावनात्मक सफर है, जो आस्था, लोक संस्कृति और प्रकृति के प्रति समर्पण को दर्शाता है. सिर्फ बिहार ही नहीं इस पर्व ने अब देश के कोने-कोने में अपनी जड़ें जमा ली हैं, जिससे यह देश के सबसे बड़े सांस्कृतिक पर्यटन (Cultural Tourism) अनुभवों में से एक बन गया है.
अगर आप छठ पूजा के सबसे भव्य और अद्भुत नज़ारों को अनुभव करना चाहते हैं, तो बिहार के ऐतिहासिक घाटों के अलावा, देश के इन 5 प्रमुख राज्यों के घाटों की यात्रा करें. यहां का भक्तिमय माहौल आपको एक अविस्मरणीय अनुभव देगा.
काशी और प्रयागराज के घाट हैं मशहूर
बिहार से सटे होने के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ पूजा की परंपरा बेहद पुरानी और गहरी है, यहां वाराणसी और प्रयागराज के घाटों पर छठ का नज़ारा देखने लायक होता है. आध्यात्मिक नगरी काशी में छठ पर्व का विशेष महत्व है. गंगा के इन प्रमुख घाटों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. यहां की गंगा आरती और छठ के पारंपरिक गीत, भक्तिमय माहौल को और भी दिव्य बना देते हैं. छठ के दौरान यहां गंगा आरती और छठ के पारंपरिक गीत, स्थानीय संस्कृति को महसूस करने का बेहतरीन मौका देते हैं. घाटों पर नाव की सवारी से यह अलौकिक नज़ारा देखना शानदार अनुभव है. वहीं संगम नगरी में छठ व्रती गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल पर पूजा करते हैं. यह स्थान भक्तों की भारी भीड़ और आस्था के अद्भुत दृश्य के लिए मशहूर है.
दिल्ली-NCR – यमुना किनारे भव्य आयोजन
देश की राजधानी दिल्ली, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों की बड़ी आबादी का केंद्र है. यहां यमुना नदी के किनारों पर और दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए अस्थायी घाटों पर छठ पूजा का भव्य आयोजन होता है. कालंदी कुंज और आईटीओ घाट, इन जगहों पर हर साल हजारों की संख्या में लोग जुटते हैं. भीड़ को देखते हुए, प्रशासन की ओर से कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया जाता है ताकि व्रतियों को अर्घ्य देने में कोई परेशानी न हो.
झारखंड
बिहार से अलग होने के बावजूद झारखंड में छठ पूजा की परंपरा जीवंत है. यहां के घाटों की खूबसूरती, प्राकृतिक परिवेश से घिरी होने के कारण अलग ही होती है. जमशेदपुर के डोमुहानी घाट में सुवर्णरेखा और खरकाई नदियों के संगम स्थल 'डोमुहानी' पर छठ की विशेष रौनक देखने को मिलती है. नदी के किनारों पर की गई सजावट और रोशनी से पूरा क्षेत्र जगमगा उठता है. राजधानी रांची में ये शांत जलाशय छठ व्रतियों के लिए मुख्य केंद्र होते हैं, जहां प्रकृति की सुंदरता के बीच सूर्य देव की उपासना की जाती है.
पश्चिम बंगाल, हुगली नदी का किनारा
कोलकाता भी छठ पूजा के भव्य आयोजन के लिए जाना जाता है. यहां बिहार और पूर्वांचल से आए समुदायों ने इस पर्व को अपनी सांस्कृतिक पहचान के रूप में स्थापित किया है. हुगली नदी के किनारे स्थित बाबू घाट छठ पूजा का एक प्रमुख केंद्र है. इसके अलावा, कोलकाता का मशहूर रबीन्द्र सरोवर (झील) भी एक ऐसा स्थल है, जहां बड़ी संख्या में छठ व्रती एकत्रित होते हैं. यहां के घाटों पर छठ का लोक-संगीत और प्रसाद बनाने की खुशबू, एक खास बंगाली-बिहारी संगम पेश करती है.
महाराष्ट्र, जुहू चौपाटी पर आस्था का सैलाब
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में छठ पूजा के आयोजन ने इस पर्व को एक 'राष्ट्रीय' स्वरूप दिया है. मुंबई में सबसे बड़ा और मशहूर छठ घाट जुहू चौपाटी (समुद्र तट) पर बनता है. अरब सागर के किनारे, जुहू चौपाटी पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु जमा होते हैं. सूर्य को अर्घ्य देने के इस दृश्य में समुद्र की लहरें और भक्तों की आस्था का मिलाप होता है, जो इसे देश के सबसे अनूठे छठ घाटों में से एक बनाता है.
छठ पूजा आज केवल एक क्षेत्रीय त्योहार नहीं रहा, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक एकजुटता का प्रतीक बन गया है.
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