वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद पी चिदंबरम ने बुधवार को बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार के कथित प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने बेंगलुरु की सड़कों के विकास के लिए फंड उपलब्ध कराने की बात कही थी. चिदंबरम ने इस विचार को "बेहतरीन पेशकश" बताया लेकिन कहा कि समस्या धन की कमी नहीं, बल्कि सार्वजनिक कार्यों के निष्पादन में है.
पी चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि सरकार यदि चाहें तो इस विचार को कुछ बदलावों के साथ लागू कर सकती हैं. उन्होंने लिखा, "सरकारी धन और टेंडर प्रक्रिया के बाद ठेकेदार का चयन किया जा सकता है, लेकिन उस ठेकेदार के काम की निगरानी किरण मजूमदार-शॉ जैसी किसी इच्छुक कंपनी या उद्योगपति के अधीन होनी चाहिए."
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चिदंबरम ने सुझाव दिया कि ऐसी व्यवस्था में ठेकेदार भले ही सड़क जैसे सार्वजनिक काम को अंजाम दे, लेकिन गुणवत्ता और समय पर निष्पादन की जिम्मेदारी निगरानी करने वाली कंपनी या उद्योगपति की होगी. परियोजना में देर या अतिरिक्त लागत की जिम्मेदारी भी उसी पर होगी. चिदंबरम ने कहा कि चेन्नई या बेंगलुरु इस मॉडल को आजमाने के लिए उपयुक्त शहर हो सकते हैं.
किरण मजूमदार ने मीडिया रिपोर्ट्स पर दी सफाई
इस बीच खुद किरण मजूमदार-शॉ ने मीडिया की खबरों को गलत ठहराया है. उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी भी सड़कों की मरम्मत कराने की पेशकश नहीं की थी. एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा, "मीडिया ने यह खबर गढ़ी है. मैंने सड़कों की मरम्मत का कोई प्रस्ताव नहीं दिया. यह देखकर हैरानी होती है कि एक पत्रकार का डिप्टी सीएम से पूछा गया सवाल इतनी बड़ी खबर में बदल गया. तथ्य जांच क्यों नहीं की गई?"
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बेंगलुरु की बिगड़ती सड़कों, ट्रैफिक और गंदगी की आलोचना
यह विवाद उस समय उठा जब हाल में मजूमदार-शॉ ने बेंगलुरु की बिगड़ती सड़कों, ट्रैफिक और गंदगी की स्थिति पर खुलकर आलोचना की थी. उनके बयानों पर उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि अगर मजूमदार-शॉ चाहें तो सरकार उन्हें सड़कें सौंप सकती है जिनका वे विकास करना चाहें.
फिलहाल, चिदंबरम और मजूमदार-शॉ की बयानबाजी ने बेंगलुरु की सड़कों और सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर चल रही बहस को फिर से केंद्र में ला दिया है.
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