ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने सोमवार को कहा कि अमेरिका इस स्थिति में नहीं है कि तय करे कि किन देशों के पास परमाणु हथियार होने चाहिए और किन देशों के पास नहीं. खामेनेई का यह बयान सामने आने के बाद अमेरिका भड़क गया है और उसने कहा है कि दुनिया के नंबर वन आतंकवाद स्पॉन्सर देश को परमाणु हथियार रखने की इजाजत कभी नहीं दी जा सकती है.
मंगलवार को व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने ईरान इंटरनेशनल से बातचीत में कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप हमेशा से स्पष्ट रहे हैं- दुनिया के नंबर वन आतंकवाद-स्पॉन्सर देश को कभी भी परमाणु हथियार रखने की इजाजत नहीं दी जा सकती.'
इसी के साथ ही अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि ईरान के साथ सहयोग का रास्ता हमेशा खुला रहेगा. उन्होंने कहा, 'जैसा कि राष्ट्रपति (ट्रंप) ने कहा है- यहां तक कि ईरान के लिए भी, जिसकी हुकूमत ने मध्य पूर्व में भारी तबाही मचाई है, दोस्ती और सहयोग का हाथ हमेशा खुला है.’
अधिकारी ने राष्ट्रपति ट्रंप के इजरायली संसद में दिए भाषण का हवाला देते हुए कहा, 'इस क्षेत्र के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता कि ईरान के नेता आतंकवाद का त्याग करें... और आखिरकार इजरायल के अस्तित्व के अधिकार को स्वीकार करें.'
कैसे शुरू हुआ अमेरिका-ईरान का हालिया विवाद?
बीते हफ्ते ट्रंप ने इजरायल की संसद नेसेट में अपने भाषण के दौरान कहा था कि गाजा में इजरायल और हमास के बीच सीजफायर के बाद अमेरिका के लिए ईरान के साथ भी एक शांति समझौता करना अच्छा रहेगा. इसी दौरान ट्रंप ने दोहराया कि अमेरिका ने ईरान के परमाणु स्थलों पर हुए हमलों के दौरान उन्हें नष्ट करने की पुष्टि की थी.
उन्होंने कहा, 'हमने ईरान के प्रमुख परमाणु ठिकानों पर 14 बम गिराए. जैसा कि मैंने पहले ही कहा था, उसके परमाणु ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है और इसकी पुष्टि हो चुकी है.'
रविवार को ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को एक इंटरव्यू भी दिया है जिसमें वो कह रहे हैं, 'अमेरिकी हमलों के बाद ईरान अब मध्य पूर्व का दादा नहीं रहा.' उन्होंने आगे इन हमलों को 'सबसे सुंदर सैन्य अभियान' बताया.
इजरायल और ईरान के बीच जून 2025 में लड़ाई शुरू हुई थी जो 12 दिनों तक चली. इस युद्ध के खत्म होने से ठीक पहले अमेरिका इजरायल के पक्ष में ईरान में बमबारी पर उतर आया और उसने ईरान के परमाणु संवर्धन ठिकानों पर हमले का दावा किया.
अमेरिकी हमलों में ईरानी संयंत्रों को कितना नुकसान पहुंचा है?
हालांकि, अमेरिकी हमले में ईरान के परमाणु प्रोग्राम को कितना नुकसान पहुंचा, इसे लेकर कोई सटीक जानकारी सामने नहीं आई है. हालांकि, पेंटागन ने कहा है कि इन हमलों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को एक से दो साल तक के लिए पीछे कर दिया है.
इससे पहले एक क्लासिफाइड अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि ईरान को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है और वो महज कुछ महीनों में ही नुकसान से उबर जाएगा.
सोमवार को खामेनेई ने ट्रंप की टिप्पणियों को 'अनुचित, गलत और दादागिरी' बताया. इजरायल-ईरान युद्ध अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु वार्ता के छठे दौर से दो दिन पहले हुआ था. जून में हुए इस युद्ध के बाद से ही परमाणु वार्ता पटरी से उतर गई है, ईरान का कहना है कि वो बातचीत के लिए तभी तैयार है जब अमेरिका सैन्य कार्रवाई न करने की गारंटी दे.
खामेनेई ने X पर लिखा, 'ट्रंप कहते हैं कि वो डीलमेकर हैं, लेकिन अगर किसी समझौते के साथ जबरदस्ती जुड़ी हो और उसका परिणाम पहले से तय हो, तो वह समझौता नहीं बल्कि थोपना और दबाव बनाना है.'
परमाणु हथियार को लेकर अमेरिका को किसने अधिकार दिया
सोमवार को ही खामेनेई ने कहा कि ट्रंप ईरान के पहमाणु संयंत्रों को बर्बाद करने का सपना देख रहे हैं. उन्होंने कहा, 'अमेरिकी राष्ट्रपति गर्व से कहते हैं कि उन्होंने ईरान के परमाणु संयंत्रों पर बमबारी कर उसे नष्ट कर दिया. बहुत अच्छा, सपने देखते रहो! ईरान के पास परमाणु संयंत्र हैं या नहीं, इसका अमेरिका से क्या लेना-देना? इस तरह का हस्तक्षेप अनुचित, गलत और जबरदस्ती है.'
खामेनेई ने ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा, 'अमेरिका को यह अधिकार किसने दिया कि वो तय करे किस देश के पास परमाणु इंडस्ट्री होना चाहिए और किसके पास नहीं? आखिर अमेरिका की क्या हैसियत है कि वह ईरान की परमाणु क्षमताओं में हस्तक्षेप करे?'
अमेरिका और पश्चिमी देशों का आरोप है कि ईरान गुप्त रूप से यूरेनियम संवर्धित कर परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहा है. वहीं, ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल नागरिक ऊर्जा उद्देश्यों के लिए है, न कि हथियार बनाने के लिए.
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